लेजेंड्री डायरेक्टर-लेखक सत्यजीत रे की कहानियों पर आधारित नेटफ्लिक्स मूवी RAY रिलीज हो गई है. मनोज बाजपेयी की इस फिल्म का बेसब्री से इंतजार कर रहे फैंस को रे में मनोज ने मुसाफिर अली से रुबरू करवाया है. श्रीजीत मुखर्जी, वसन बाला और अभिषेक चौबे ने रे की क्लासिक शॉर्ट स्टोरीज को पर्दे पर बड़े ही शानदार अंदाज में पेश किया है.
सटायर-साइक्लोजिकल थ्रिलर चार अलग-अलग व्यक्ति के चार अलग-अलग स्वभाव पर फोकस करती रे बाकी एंथोलॉजीज (कहानियों के संकलन) से कैसे अलग है, क्या यह दर्शकों की उम्मीद पर खरा उतरती है, आइए जानें इसका रिव्यू...
फॉरगेट मी नॉट
श्रीजीत मुखर्जी के निर्देशन में बनी फॉरगेट मी नॉट एक ऐसे शख्स की कहानी है, जिसका दिमाग कंप्यूटर की तरह हर चीज को याद रखता है. इस कहानी के मेन हीरो इप्सित रामा नायर (अली फजल) की मुलाकात रिया सरन (आनंदिता बोस) से होती है. इप्सित के मुताबिक, वे उन्हें नहीं जानते. रिया इप्सित को अजंता केव्स में उन दोनों के बीच हुई घटना के बारे में बताती है जो कि इप्सित को याद नहीं. उस घटना को याद करते-करते इप्सित अपना दिमागी संतुलन खोने लगता है और उसकी जिंदगी में उथल-पुथल मच जाती है. क्या इप्सित को भूलने की बीमारी हो गई है या नहीं, ये जानने के लिए फिल्म देखनी होगी.
बहुरूपिया
इंसान अपने असली चेहरे को छुपाते-छुपाते कब नकली चेहरे की असलियत जीने लगता है, इसे श्रीजीत मुखर्जी ने बहुरूपिया में रोचक अंदाज में पेश किया है. मेकअप आर्टिस्ट इंद्राशीष (केके मेनन) को एक लड़की देवश्री (बिदिता बाग) से प्यार हो जाता है. लेकिन देवश्री अपने करियर के लिए उसके प्रपोजल को ठुकरा देती है. दूसरी ओर बॉस उसे छुट्टी नहीं देता. दादी, जिससे इंद्राशीष सबसे ज्यादा नजदीक था वह भी उसे छोड़कर स्वर्ग सिधार गईं. जिंदगी में चल रही मायूसी से निराश इंद्राशीष प्रोस्थेटिक की मदद से बदला लेने का प्लान करता है. लेकिन एक दिन वह अपने ही जाल में फंस जाता है.
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हंगामा है क्यों बरपा
सटायर हंगामा है क्यों बरपा के मुख्य पात्र मुसाफिर अली (मनोज बाजपेयी) और असलम बेग (गजराज राव) ने अभिषेक चौबे के निर्देशन में बनी कहानी को जीवंत कर दिया है. कहानी कुछ यूं है कि मुसाफिर अली और असलम बेग ट्रेन में मिलते हैं. असलम को लगता है कि उन्होंने मुसाफिर अली को कहीं देखा है और मुसाफिर को भी यही लगता है. मुसाफिर को याद आ जाता है कि उसने दस साल पहले असलम की घड़ी खुशबक्त चुराई थी. अब क्या करेंगे मुसाफिर अली और क्या असलम को पता चल पाएगा कि ट्रेन में बैठा उनका साथी मुसाफिर अली ही वो चोर हैंं. सरल सी दिखने वाली इस कहानी में शानदार ट्विस्ट्स हैं और वजह और भी हैरान करने वाले हैं.
स्पॉटलाइट
अगर कहें कि करियर में फ्लॉप चल रहे हर्षवर्धन कपूर को वसन बाला के निर्देशन में बनी स्पॉटलाइट ने असल में स्पॉटलाइट में लाया है, तो यह गलत नहीं होगा. विक्रम अरोड़ा उर्फ विक (हर्षवर्धन कपूर) अपने लुक की वजह से स्पॉटलाइट में आए. एक शूटिंग लोकेशन में उन्हें उनसे ज्यादा तवज्जो वाली 'दीदी' (राधिका मदान) सारा स्पॉटलाइट छीन लेती है. दीदी कौन है और क्या विक को अपनी स्पॉटलाइट मिल पाएगी, यही है कहानी.
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एक्टिंग
मिर्जापुर के बाद रे में अली फजल का काम काबिले तारीफ है. जिस तरह उन्होंने इप्सित का कैरेक्टर निभाया, ऐसा लगता है जैसे ये उन्हीं के लिए बना था. केके मेनन ने इंद्राशीष के किरदार में बहुत ही उम्दा परफॉर्मेंस दी है. मनोज बाजपेयी मुसाफिर अली के रोल में क्या खूब जंचे. उनके उर्दू लफ्ज और शायराना अंदाज वाह-वाह करने को मजबूर कर देंगे. इस कहानी में गजराव राव के साथ मनोज बाजपेयी की केमिस्ट्री लाजवाब रही है. एक सीन में जब गजराज राव बच्चों की तरह मुंह फुला लेते हैं, वहां गजराज की एक्टिंग पर तालियों की कमी महसूस होती है. हर्षवर्धन कपूर ने 'स्पॉटलाइट' में बेहतरीन काम किया है.
सपोर्टिंग एक्टर्स भी कमाल
रे में बिदिता बाग, श्वेता बसु, आनंदिता बोस, राजेश शर्मा, दिब्येंदु भट्टाचार्य, राधिका मदान, चंदन रॉय सान्याल, आकांक्षा रंजन कपूर, ये सभी कलाकार चारों कहानियों के दिलचस्प किरदार रहे. इनकी मौजूदगी और अदाकारी को भी नकारा नहीं जा सकता.
निर्देशन
श्रीजीत मुखर्जी, अभिषेक चौबे और वसन बाला ने सत्यजीत रे की कहानियों को बड़ी ही ईमानदारी से पेश किया है. तीनों ही डायरेक्टर्स पहले ही अपने शानदार काम का परिचय दे चुके हैं और अब रे के बाद, दर्शक इनकी कहानियों का जरूर इंजतार करेंगे.
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बैकग्राउंड स्कोर
रे की हर कहानी में पीटर कैट रिकॉर्डिंग कंपनी के साथ ध्रुव भोला-करण सिंह-कार्तिक पिल्लई-रोहित गुप्ता और सूर्यकांत शहाणे के बैकग्राउंड स्कोर ने कहानी में एक्स्ट्रा मसाले का काम किया है. हंगामा है क्यों बरपा में नरेन चंदवरकर और बेनेडिक्ट टेलर ने गजलों की तो बहुरूपिया में सागर कपूर ने इंटेंसिटी से कहानियों के परफेक्शन में कहीं कोई कमी नहीं छोड़ी है. स्पॉटलाइट में राहुल कांबले के बैकग्राउंड स्कोर शानदार रहा.
ओवरऑल
सिनेमा इज ऐन आर्ट, यह कहावत नेटफ्लिक्स मूवी रे में देखी जा सकती है. कहानी के हर सीन को माप-तोल कर डाला गया है. पुरानी कहानियों को नए कलेवर को ढालने का बेहतरीन उदाहरण है रे. उम्दा निर्देशकों के साथ दिग्गज कलाकारों की जोड़ी, दर्शकों के लिए एंटरटेनमेंट पैकेज है.