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Film Review: जानें कैसी है 'षमिताभ'

'चीनी कम', 'पा' के बाद कई दिनों से कवायद थी कि अब तीसरी बार कब आर बाल्की कुछ ऐसा ले आएंगे जो की मिश्रण हो अद्भुत कहानी और बेहतरीन एक्टिंग का और आखिरकार ऐसा तीसरी बार करने में सक्षम हुए डायरेक्टर आर बाल्की और जन्म हुआ 'षमिताभ' का, जैसा की नाम से ही जान पड़ता है कुछ खास ही होगा, आइए पता करते हैं कि कि‍तनी खरी उतरी है ये फिल्म?

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'षमिताभ' फिल्म् का सीन
'षमिताभ' फिल्म् का सीन

फिल्म का नाम: षमिताभ
डायरेक्टर: आर बाल्कि
स्टार कास्ट: अमिताभ बच्चन, धनुष, अक्षरा हसन
अवधि: 153 मिनट
सर्टिफिकेट: U/A
रेटिंग: 3.5 स्टार

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'चीनी कम', 'पा' के बाद कई दिनों से कवायद थी कि अब तीसरी बार कब आर बाल्की कुछ ऐसा ले आएंगे जो कि‍ मिश्रण हो अद्भुत कहानी और बेहतरीन एक्टिंग का और आखिरकार ऐसा तीसरी बार करने में सक्षम हुए डायरेक्टर आर बाल्की और जन्म हुआ 'षमिताभ' का, जैसा की नाम से ही जान पड़ता है कुछ खास ही होगा, आइए पता करते हैं कि कि‍तनी खरी उतरी है ये फिल्म?

कहानी: 'षमिताभ' कहानी है एक मूक इंसान की जो महाराष्ट्र के इगतपुरी नाम के स्थान पर अपनी मां के साथ रहता है. नाम है उसका दानिश जिसे फिल्में देखने और फिल्मी सितारों की तरह एक्टिंग करने का बेहद शौक है. वीडियो कैसेट्स लेकर भी फिल्म देखने का जज्बा है उसका और उसकी एंट्री होती है मायानगरी मुंबई में जहां फिल्मों के सेट्स पर भटकते भटकते अस्सिटेंट डायरेक्टर अक्षरा से वो टकरा जाता है. अक्षरा का दयालु हृदय दानिश के सपनों को पूरा करने का माध्यम बन जाता है, अब फिल्म में मूक इंसान को आवाज देने का नवीनतम साधन भी प्रयोग करने की कोशिश की जाती है. जिसके लिए सबसे उपयुक्त आवाज है इंडस्ट्री के अमिताभ सिन्हा (अमिताभ बच्चन) की, जो फिल्म में एक स्ट्रगलिंग एक्टर का किरदार निभा रहे हैं जो आया तो था एक्टिंग करने लेकिन हालात ने बड़ा शराबी बना दिया, पूरे वक्त शराब के नशे में धुत और एक्टिंग का मुजाहिरा पेश करता हुआ इंसान ! फिर तकनीकी के माध्यम से अमिताभ बन जाते हैं आवाज हरफनमौला एक्टर दानिश (धनुष )की, और इस बात का इल्म सिर्फ अक्षरा, धनुष और अमिताभ को ही होता हैं. फिर पहली फिल्म बनती है, सुपरहिट हो जाती है और जब विदेश जाने की बारी आती है तो एक अनोखा नामकरण 'षमिताभ' भी होता है जो आपने ट्रेलर इत्यादि में पहले ही देखा होगा. किस तरह से दोनों के बीच में अहम की लड़ाई शुरू होती है और शिखर पर पहुंच कर क्या क्या घटनाएं घटती हैं, इन्हीं चीजों का चित्रण किया है डायरेक्टर आर बाल्की ने.

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क्यों देखें: एक बार फिर से अमिताभ के मुखारविंद से निकलने वाले संवाद आपको अपनी तरफ आकर्षित करेंगे. धनुष की अच्छी एक्टिंग भी आपको प्रेरित करेगी और फिल्म में सबसे बेस्ट वाकया तब होता है जब आर बाल्की ने बहुत ही सरल तरीके से एक्ट्रेस रेखा और धनुष का सीन शूट किया है. जहां साक्षात तो होते हैं धनुष, लेकिन आवाज होती है महानायक की. जिस तरह से रेखा ने संवादों का जवाब दिया है मानो की वो अमिताभ से ही बात कर रही हैं और उसके ठीक बाद जिस तरह से फिल्म में शराबी के किरदार में अमिताभ, रेखा की बातों को दोहराते हुए अपने 500 रुपये किराए वाले कब्रिस्तान के कूचे की तरफ बढ़ते हैं बहुत ही दिल को छू जाने वाला चित्रण है बाल्की का.

फैसला : फिल्म का पहला हाफ तो बहुत तेज जाता है. दूसरे हाफ में आपको संयम बना के रखना होगा, क्योंकि चीजों को समझाने के चक्कर में बाल्की ने समय थोड़ा ज्यादा ले लिया है. लेकिन कथानक, पटकथा और वक्त-वक्त पर कई सितारों जैसे जावेद अख्तर , रोहित शेट्टी, राजू हिरानी, महेश भट्ट की एंट्री आपको ले में बांधे रखती है. अगर आप अमिताभ बच्चन के दीवाने हैं, धनुष को पसंद करते हैं और बाल्की की स्टाइल की फिल्मों को तवज्जो देते हैं तो एक बार जरूर ये फिल्म परिवार के साथ देखी जा सकती है. अगर कमाई के दृष्टिकोण से देखें तो फिल्म में समय समय पर आने वाले विज्ञापनों का जिक्र भी आपको इस बात का जवाब दे देंगे कि फिल्म पहले से ही कई विज्ञापनों के सहारे कमाई कर चुकी है.

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