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'सर सैयद अहमद खान: द मसीहा' रिव्यू- बेहतरीन अभिनय, सशक्त लेखन से सजा है एप्पल टीवी का शो

एप्पल टीवी पर प्रसारित 'सर सैयद अहमद खान: द मसीहा' एक ऐतिहासिक बायोपिक सीरीज है, जो सर सैयद अहमद खान की जीवन यात्रा, उनके विचारों, संघर्षों और उपलब्धियों को पर्दे पर जीवंत करती है. यह सीरीज कैसी है, आइए बताते हैं इस रिव्यू में.

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'सर सैयद अहमद खान: द मसीहा' रिव्यू
'सर सैयद अहमद खान: द मसीहा' रिव्यू

एप्पल टीवी पर प्रसारित 'सर सैयद अहमद खान: द मसीहा' एक ऐतिहासिक बायोपिक सीरीज है, जो सर सैयद अहमद खान की जीवन यात्रा, उनके विचारों, संघर्षों और उपलब्धियों को पर्दे पर जीवंत करती है. उर्दू में बनी यह पहली वेब सीरीज है जो केवल एक व्यक्ति की कहानी नहीं है बल्कि उस दौर की दास्तान है, जिसने हिंदुस्तान के शैक्षिक और सामाजिक भविष्य को आकार दिया.

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कहानी और प्रस्तुति
यह सीरीज मौलाना अल्ताफ हुसैन हाली की प्रसिद्ध जीवनी 'हयात-ए-जावेद' पर आधारित है. ऐतिहासिक तथ्यों की प्रमाणिकता सुनिश्चित करने के लिए अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के प्रसिद्ध विद्वानों से परामर्श लिया गया है. कहानी की शुरुआत 1857 की क्रांति से होती है और यह सर सैयद की पूरी जीवन यात्रा, उनके विचारों और समाज सुधार के मिशन को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत करती है.

1857 की क्रांति के दौरान अंग्रेजों को बचाने में उनकी भूमिका हो या भारतीय समाज में वैज्ञानिक सोच और शैक्षिक सुधारों की पहल, हर मोड़ दर्शकों को बांधे रखता है. यह सीरीज न केवल सर सैयद के किरदार को उभारती है, बल्कि उनके समय के महत्वपूर्ण किरदारों को भी पूरा सम्मान देती है.

अभिनय
शोएब हुसैन चौधरी ने सर सैयद अहमद खान की भूमिका को इतनी गहराई और सजीवता से निभाया है कि ऐसा प्रतीत होता है जैसे सर सैयद खुद पर्दे पर आ गए हों. उनकी संवाद अदायगी, बॉडी लैंग्वेज और अभिव्यक्ति इतनी प्रभावशाली है कि दर्शक उनसे नजरें नहीं हटा पाते.

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इसके अलावा जरीना वहाब, अक्षय आनंद, अरिफ जकारिया, साहिल आगा और शाहिद कबीर जैसे अनुभवी कलाकारों ने अपने-अपने किरदारों को जीवंत किया है.

लेखन और संवाद
मुतईम कमाली द्वारा लिखी गई पटकथा और संवाद इस सीरीज की एक बहुत बड़ी ताकत हैं. हर दृश्य और संवाद में सर सैयद के समय की भाषा, उनकी सोच और भावनाओं को बड़ी खूबसूरती से पिरोया गया है. खासतौर पर सामाजिक और धार्मिक मुद्दों पर उनके विचारों को जिस गहराई और संवेदनशीलता के साथ प्रस्तुत किया गया है, वह काबिले तारीफ है. सीरीज के संवाद दर्शकों को सर सैयद के संघर्षों और उनकी महानता को महसूस करने पर मजबूर कर देते हैं.

निर्देशन और निर्माण
कम बजट में बनी इस सीरीज में कहानी की आत्मा को बखूबी बरकरार रखा गया है. शोएब हुसैन चौधरी और डॉ. मुसर्रत अली के किरदारों के निर्माण में ऐतिहासिक स्थलों, परिधानों और सेट्स का ऐसा उपयोग किया है कि दर्शक उस दौर में खो जाते हैं.

संदेश और महत्व
'सर सैयद अहमद खान: द मसीहा' सिर्फ एक ऐतिहासिक कहानी नहीं है, बल्कि यह एक प्रेरणा है. यह सीरीज सर सैयद अहमद खान के विचारों और उनके मिशन को समझने का मौका देती है। उनके खिलाफ फैलाई गई भ्रांतियों का यह सीरीज करारा जवाब है.

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'सर सैयद अहमद खान: द मसीहा' हमें यह सिखाती है कि शिक्षा, सामाजिक सुधार और समन्वय से किसी भी समाज को एक नई दिशा दी जा सकती है.

निष्कर्ष
'सर सैयद अहमद खान: द मसीहा' एक उत्कृष्ट और प्रभावशाली सीरीज है, जो न केवल सर सैयद अहमद खान के जीवन और उनके कार्यों को उजागर करती है, बल्कि दर्शकों को सोचने पर मजबूर करती है. बेहतरीन अभिनय, सशक्त लेखन और शानदार निर्देशन इसे एक अविस्मरणीय अनुभव बनाते हैं.

यदि आप इतिहास और प्रेरणादायक कहानियों में रुचि रखते हैं, तो 'द मसीहा' को जरूर देखें. यह सीरीज आपको सर सैयद अहमद खान की महानता से परिचित कराएगी और आपके दिल और दिमाग पर गहरी छाप छोड़ेगी.

(समीक्षक: जमशेद इकबाल)

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