डायरेक्टर नीरज पांडे ने साल 2020 में दर्शकों को स्पेशल ऑप्स का तोहफा दिया था. कोरोना का समय था, लिहाजा सभी ने पूरी शिद्दत से सीरीज देख डाली. मजबूत डायरेक्शन और केके मेनन जैसे कद्दावर कलाकारों ने मजे को दोगुना करने का काम भी किया. अब एक साल बाद फिर उस मजे को टीवी स्क्रीन पर लाया गया है. सीक्वल तो नहीं लेकिन प्रीक्वल के जरिए फिर दर्शकों को बांधने का प्रयास है. सीरीज का नाम है Special Ops 1.5. मेनन के किरदार हिम्मत सिंह की कहानी है. दमदार है या नहीं, हम बताते हैं.
कहानी
स्पेशल ऑप्स 1.5 बनाने का कारण ही ये था कि मेकर्स को अपने सबसे बड़े किरदार की बैक स्टोरी लोगों तक पहुंचानी थी. हिम्मत सिंह ( केके मेनन) सफल एजेंट हैं, ये तो सभी को पहली सीरीज देख पता चल चुका था, लेकिन सवाल ये था कि वो यहां तक कैसे पहुंचा. उसने कौन-कौन से मिशन में काम किया था? अब जो सवाल लोगों के मन में रहे, मेकर्स ने उन्हीं पर एक मिनी सीरीज बना डाली. कहानी सिर्फ इतनी है कि हिम्मत को उन गद्दारों को ढूंढ निकालना है जिनके पास देश की सुरक्षा से जुड़ी बहुत ही संवेदनशील जानकारी है. ऐसी जानकारी जो अगर दुश्मनों के हाथ लग गई, तो देश पर बड़े हमले का खतरा मंडराता रहेगा.
अब इसी मुद्दे पर चार एपिसोड की एक मिनी सीरीज बना दी गई है. कुछ किरदारों को जोड़ा गया है, कुछ दुश्मन डाल दिए गए हैं और हिम्मत की 'हिम्मत वाली दास्तान' बताई जा रही है.
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बताने के लिए कुछ नहीं, खींचने का प्रयास
स्पेशल ऑप्स के मेकर्स को ये बात समझनी पड़ेगी कि इस बार उनके पास बताने के लिए कोई मुद्दा था ही नहीं. सिर्फ खूफिया जानकारी वाले पहलू पर चार एपिसोड खींच देना समझदारी नहीं कही जा सकती. वैसे भी जिन लोगों ने स्पेशल ऑप्स का पहला सीजन देख रखा है, उन्हें इस बात का अहसास है कि ऐसी सीरीज में जरूरत से ज्यादा पहलू होते हैं, कई ट्विस्ट एंड टर्न्स रहते हैं और एक ऐसा क्लाइमेक्स जिसकी कोई उम्मीद नहीं करता. लेकिन 1.5 के साथ ऐसा नहीं होता है. कहानी तो सिंपल है ही, उसमें भी ज्यादा नाटकीय मोड़ देखने को नहीं मिले हैं.
जल्दबाजी में खत्म हुआ क्लाइमेक्स
जिस तरह से इस बार स्पेशल ऑप्स की कहानी को गढ़ा गया है, आपको कई चीजों का अंदाजा पहले ही लग जाता है. पता रहता है कि इसको गोली लगने वाली है, इसके साथ ऐसा हो जाएगा. और जब ऐसा हो भी जाता है, आप इसे प्रिडिक्टेबल कहने लगते हैं. मतलब मेकर्स से थोड़ी चूक तो हुई है. एक और चूक जो चाहकर भी नजरअंदाज नहीं की जा सकती वो स्पेशल ऑप्स का जल्दबाजी में खत्म किया गया क्लाइमेक्स है. हम हमेशा कहते हैं कि कहानी को क्रिस्प होना चाहिए, एक रफ्तार बनी रहनी चाहिए, लेकिन कभी कबार ये तेजी इतनी ज्यादा हो जाती है कि कई पहलू समझाने भी रह जाते हैं और कहानी भी अधूरी दिखाई पड़ती है. स्पेशल ऑप्स 1.5 का क्लाइमेक्स इस कमजोरी का शिकार हुआ है.
मेनन की एक्टिंग इज्जत बचाई
अब माना कहानी पहले जितनी मजेदार नहीं है, सस्पेंस भी दमदार नहीं है, लेकिन लीड एक्टर केके मेनन फुल फॉर्म में नजर आ रहे हैं. एक्टिंग तो हमेशा से ही अच्छी करते हैं, लेकिन उनका हिम्मत सिंह वाला किरदार अलग ही है. एक ही करेक्टर के इतने शेड्स देखने को मिल जाते हैं कि आपका मन भर जाएगा पर इस किरदार के बारे में और जानने की कसक रहेगी. वैसे भी इस बार तो केके मेनन एक्शन भी करेंगे, रोमांस भी दिखाएंगे और बीच-बीच में बेहतरीन वन लाइनर भी मारेंगे. वो सीरीज की आन-बान-शान सबकुछ हैं.
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स्पेशल ऑप्स की एक जोड़ी भी है जिसने दर्शकों को खूब हंसाया है. ये जोड़ी है चड्ढा और बनर्जी की. दोनों ने पहले सीजन में हिम्मत सिंह के केस की जांच की थी, इस बार भी दोनों जांच-पड़ताल ही कर रहे हैं, बस मकसद अलग है. इस रोल में दोनों परमीत सेठी और काली प्रसाद मुखर्जी का काम शानदार कहा जाएगा. जितना इन दोनों ने सीरीज के दौरान हंसाया है, उतना कोई दूसरा किरदार नहीं कर सका. एक डायलॉग तो ऐसा है जहां पर बनर्जी साहब कह रहे हैं कि क्रोनोलॉजी से ही चलना चाहिए, अब तो सरकार भी यही कहती है. ऐसे कई वन लाइनर हैं जो हंसने पर मजबूर कर जाएंगे.
देखी जा सकती है क्या?
एक्टिंग के मामले में तो आफताब शिवदासानी, विनय पाठक, आदिल खान का काम भी बढ़िया कहा जाएगा. अगर एक तरफ आफताब की मेनन संग जोड़ी मजबूत दिखी है, तो वहीं पुलिस इंस्पेक्टर के रोल में विनय पाठक भी अपनी छाप छोड़ गए हैं. विलेन बने आदिल भी अपनी अदाकारी से इंप्रेस करते हैं.
ऐसे में अब स्पेशल ऑप्स 1.5 सिर्फ एक ही पहलू पर सफल दिखाई पड़ती है, वो है एक्टिंग डिपार्टमेंट. लेकिन सीरीज की सबसे बड़ी USP माने जाने वाली स्पेशल ऑप्स की कहानी और नीरज पांडे का डायरेक्शन निराश कर जाएगा. तो सीरज मेनन के लिए देखी जा सकती है, लेकिन ज्यादा उम्मीद लगाए बैठना ठीक नहीं.