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Review: दिलचस्प कहानी और डायरेक्शन की मिसाल है 'तुम्बाड'

महाराष्ट्र के 'तुम्बाड' नामक गांव की काल्पनिक कहानी है. फिल्म को आनंद एल राय ने सपोर्ट किया और अब रिलीज होने के लिए तैयार है. आइए जानते हैं आखिरकार कैसी बनी है यह फिल्म.

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तुम्बाड का पोस्टर
तुम्बाड का पोस्टर

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फिल्म का नाम : तुम्बाड

डायरेक्टर : राही अनिल बर्वे, आनद गांधी

स्टार कास्ट : सोहम शाह, रंजिनी चक्रवर्ती, दीपक दामले, अनीता दाते, हरीश खन्ना

अवधि : 1 घंटा 53 मिनट

सर्टिफिकेट : A

रेटिंग :  3.5 स्टार

सोहम शाह ने गुलाब गैंग, तलवार और सिमरन जैसी फिल्मों में अलग अलग रोल में नजर आए हैं. 2012 में तुम्बाड में उनका आगाज हुआ, जो महाराष्ट्र के 'तुम्बाद' नामक गांव की काल्पनिक कहानी है. फिल्म को आनंद एल राय ने सपोर्ट किया और अब यह रिलीज होने को तैयार है. आइए जानते हैं आखिरकार कैसी बनी है यह फिल्म...

कहानी:

यह फिल्म तीन चैप्टर्स में बांटी गई है. कहानी 1918 में शुरू होती है जहां महाराष्ट्र के गांव तुम्बाड में विनायक राव (सोहम शाह) अपनी मां और भाई के साथ रहता है. लेकिन वहां के बाड़े में एक खजाने के छुपे होने की बात कही जाती है. जिसकी तलाश उसकी मां और उसे भी होती है. लेकिन कुछ ऐसी बातें होती हैं, जि‍सकी वजह से उसकी मां, उसे पुणे लेकर चली जाती है.

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15  साल के बाद विनायक फिर से तुम्बाड जाता है और खजाने की तलाश करने लगता है. उसकी शादी और बच्चे भी हो जाते हैं, लेकिन खजाने का लोभ उसे बार-बार पुणे से तुम्बाड जाने पर विवश करता रहता है.  अन्ततः एक ऐसी घटना घटती है, जो कि बहुत बड़ा सबक भी है. इसे जानने के लिए फिल्म देखनी पड़ेगी.

जानिए आखिर फिल्म को क्यों देखनी चाह‍िए

फिल्म की कहानी हालांकि काल्पनिक है, लेकिन जबरदस्त है. पहले फ्रेम से लेकर आखिर तक आपको सीट पर बांधे रखती है. मजेदार बात ये है कि आपको मोबाइल फ़ोन पर ध्यान देने का वक्त नहीं मिलता. क्योंकि पूरी तरह से आपको स्क्रीन पर ध्यान देना पड़ता है कि कहीं कोई चीज छूट ना जाए. फिल्म में मनुष्य के सबसे बड़े मोह और लोभ के बारे में बहुत बड़ी बात कही गई है. जो राही अनिल बर्वे ने दर्शायी है. फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर कमाल का है और फिल्मांकन का ढंग बहुत उम्दा है. एक तरह से फिल्म 2डी में 3डी का मजा दिलाती है.

कैसा है फिल्म में अभ‍िनय

अभिनय के लिहाज से बहुत ही उम्दा किरदार सोहम शाह ने निभाया है और उनकी मेहनत स्क्रीन पर नजर भी आती है. काफी मुश्किल सीन हैं, लेकिन उन्हें बखूबी हर किरदार ने निभाया है. लोकेशन कमाल के हैं और एक तरह से विजुअल ट्रीट है यह फिल्म. फिल्म का टाइटल ट्रैक भी कहानी के संग-संग चलता है.

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कमज़ोर कड़ियां:

फिल्म की कमजोर कड़ी शायद इसका सर्टिफिकेशन है, जो 'A ' है. यानी की सिर्फ एडल्ट लोग ही इस फिल्म का देख पाएंगे. इसके साथ ही फिल्म में कोई भी बड़ा सितारा नहीं है. इस वजह से भी दर्शकों को थिएटर तक खींच पाना बहुत ही बड़ा काम होगा. ज्यादातर लोगों को अभी भी नहीं पता है कि यह फिल्म रिलीज हो रही है. लेकिन जिन्हें एक बार भी इसकी खबर मिलेगी, वो जरूर अपनी सीट सुरक्षित करेंगे.

बॉक्स ऑफिस :

फिल्म का बजट काफी कम है, लेकिन इसके साथ गोविंदा की फ्राइडे, काजोल की हेलीकाप्टर ईला, महेश भट्ट के प्रोडक्शन में जलेबी रिलीज हो रही है. स्क्रीन्स की मारामारी के बीच ये देखना दिलचस्प होगा कि फिल्म का हाल कैसा होगा.

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