मैंने प्यार किया...हम आपके हैं कौन...हम साथ-साथ हैं...विवाह, फैमिली ड्रामा बनाने का नुस्खा सूरज बड़जात्या से बेहतर कोई नहीं समझ सकता है. उनकी फिल्मों में हर बार एक फील गुड फैक्टर होता है जो तमाम दूसरे पहलुओं पर भारी पड़ता है. एक बार फिर सूरज बड़जात्या और उनका राजश्री प्रोडक्शन हमारे बीच आ गया है. इस बार परिवार से ज्यादा उन दोस्तों की कहानी बताने पर जोर है जो सिर्फ एक दूसरे के लिए जीते नहीं हैं, बल्कि मरने को भी तैयार रहते हैं. फिल्म का नाम है ऊंचाई जिसमें प्यार, दोस्ती और बड़े सपनों की असल ऊंचाई देखने को मिलेगी. लेकिन इस ऊंचाई की आपको चढ़ाई करनी चाहिए या नहीं, ये हम बताते हैं.
कहानी
अमित (अमिताभ बच्चन), जावेद (बोमन ईरानी), ओम (अनुपम खेर) और भूपेन (डैनी डेंजोंगप्पा) एक दूसरे के गहरे दोस्त हैं. चारों बचपन से साथ रहे हैं, हर लम्हा साथ जिया है और अब एक बड़ी ट्रिप पर भी साथ जाना चाहते हैं. एवरेस्ट के बेस कैंप जाने का प्लान है. अब कहने को ये सपना भूपेन का है, लेकिन वो हर कीमत पर अपने सभी दोस्तों के साथ उन ऊंचाइयों को छूना चाहता है. चाहत है लेकिन किस्मत साथ नहीं. तमाम सपनों को अपने दिल में दफन कर भूपेन अपने दोस्तों को छोड़ हमेशा के लिए चला जाता है. हार्ट अटैक की वजह से उसकी मौत हो जाती है. उसके जाने के बाद दोस्तों की जिंदगी में एक बड़ा अधूरापन आ जाता है, उसका एवरेस्ट जाने का सपना सभी को कचोटने लगता है.
बस यही से तीनों फैसला करते हैं कि भूपेन के सपने को अपना सपना बनाएंगे और असल ऊंचाई पर जा उसकी अस्थियों का विसर्जन करेंगे. यहां से एक अलग सफर शुरू होता है और अमित, जावेद और ओम नेपाल के लिए निकल जाते हैं. इस मंजिल के दौरान उनकी मुलाकात माला (सारिका ठाकुर) से भी होती है. अब वो क्यों एवरेस्ट जाना चाहती है, उसका इस ट्रिप से क्या कनेक्शन, ये फिल्म देख खुद जानेंगे तो ज्यादा अच्छा लगेगा. बाकी और भी कई ऐसे पहलू हैं जो फिल्म देख आप समझ जाएंगे. लेकिन उसके लिए आपको पूरे 2 घंटे 53 मिनट तसल्ली से बैठना पड़ेगा.
धैर्य रखिएगा....सब्र का ये फल मीठा है
अब अगर 2 घंटा और 53 मिनट आपने अपनी सीट पर बिता लिए, मानकर चलिए कि आप हॉल से मुस्कुराते हुए बाहर आएंगे. आप ये भी कहेंगे- सूरज बड़जात्या का जादू अभी भी कायम है. फैमिली ड्रामा को कैसे एक कहानी में परोसा जाए, ये कला इन्होंने काफी नफासत से सीखी है. ऊंचाई की खास बात ही ये है कि यहां छोटे-छोटे किस्सों पर जोर रहा है, उन किस्सों ने ही एक कहानी का रूप लिया है और आपने दिल्ली से लखनऊ...लखनऊ से आगरा....आगरा से गोरखपुर और फिर नेपाल का ये रास्ता तय कर लिया है. बड़जात्या की फिल्म है तो सही मात्रा में आपको हर इमोशन भी इस ट्रिप पर दिया गया है. कभी आंखों में आंसू होंगे...कभी उन तीन यारों की हरकतों पर हंसी आएगी तो कभी आप खुद से इस बदलते समाज को लेकर सवाल भी पूछ रहे होंगे. यानी कि ये एक कंप्लीट पैकेज है जो आपको अंत तक बांधकर रखने वाला है. एक अच्छी कहानी से और क्या उम्मीद करते हैं आप?
बेमिसाल कलाकारी, यारों की यारी
ऊंचाई का एक बड़ा एक्स फैक्टर इसकी स्टार कास्ट भी है. मतलब 2022 चल रहा है, उभरते कई ऐसे कलाकार हैं जिनको स्क्रीन पर देख आप सीटियां भी बजाते हैं और उनकी एक्टिंग की तारीफ भी करते हैं. लेकिन राजश्री ने किन पर भरोसा किया है....तीन लेजेंड्री अभिनेताओं पर जो अब लीड एक्टर के तौर पर तो कास्ट भी नहीं किए जाते हैं. ये बदलाव फिल्म के फेवर में काम कर गया है. अमिताभ बच्चन से लेकर अनुपम खेर तक, बोमन ईरानी से लेकर डैनी डेंजोंगप्पा तक, इन सभी को लंबे समय बाद इतना स्क्रीन टाइम मिला है. विश्वास कीजिए, किसी ने भी निराश नहीं किया है, थोड़ा भी नहीं. अमिताभ अपने किरदार में ऐसा फिट बैठे हैं कि उनका हर इमोशन आप तक तुरंत पहुंचता है. अनुपम खेर की अदाकारी इतनी नेचुरल है कि आप अपना कोई दोस्त भी उनमें ढूंढ ही लेंगे. बोमन ईरानी की यारी में भी वो सच्चाई है जो आपके दिल को भी पिघला देगी. सारिका की बात करें तो उनका किरदार इस कहानी को अलग टच दे गया है. उनकी अदाकारी में ठहराव है और उस ठहराव में बहुत सुकून. नीना गुप्ता की स्क्रीन प्रेजेंस भी आपको खुश करने वाली है. सिंपल सा किरदार है और उतनी ही सिंपल अदाकारी. छोटे रोलों में डैनी, परिणीति ने बाकी कलाकारों को अच्छा सपोर्ट दिया है.
बड़जात्या का जादू आज भी कायम
सूरज बड़जात्या के निर्देशन के बारे में भी काफी कुछ लिखने का मन है. 2022 में भी कैसे रेलिवेंट रहा जाए, आज की ऑडियंस को कैसे खुश किया जाए, ये फॉर्मूला बड़जात्या ने ढ़ूंढ निकाला है. उनको लेकर एक परसेप्शन है कि उनकी फिल्मों में ज्ञान की बातें बहुत होती हैं. इस बार भी हैं, कई मौकों पर है, लेकिन जिस तरह से वो संदेश आप तक पहुंचेंगे, आप उसे ज्ञान से ज्यादा एक यादगार किस्से के तौर पर याद रखेंगे. फिल्म के टाइटल को भी एक बार नहीं कई बार फिल्म में अलग-अलग किरदारों के जरिए जस्टिफाई किया गया है, ये देखना अच्छा लगा है. और हां फिल्म की हैपी एंडिंग भी हुई है. बड़जात्य की फिल्म में रोते हुए बाहर निकलना अलाउड नहीं रहता तो ये परंपरा यहां भी जारी है.
गाने भी दिल खुश कर देंगे
उंचाई की जो म्यूजिक एलबम है, जिस तरह की नेपाल में सिनेमेटोग्राफी दिखाई गई है, ये पहलू भी आपका ध्यान जरूर खींचने वाले हैं. रिलीज से पहले शायद कोई गाना इतना हिट ना रहा हो, लेकिन बाहर आकर आप कुछ गानों को अपनी प्ले लिस्ट में जरूर शामिल करना चाहेंगे. हां फिल्म की लंबाई से शिकायत हो सकती है. कह भी सकते हैं कि कुछ सीन्स ट्रिम किए जा सकते थे. कुछ लॉजिक वाले सवाल भी मन में आने वाले हैं. उदाहरण के लिए एवरेस्ट के बेस कैंप से कैसे वीडियो कॉल किया गया? क्या इतने क्लियर सिग्नल वहां आते हैं? लेकिन इस लॉजिक को बीच में ला पूरी फिल्म का मजा किरकिरा करना बेमानी सा होगा, इसलिए हमने भी इसे इग्नोर करना ठीक समझा.
ये फिल्म ना अभी सिर्फ 483 स्क्रीन्स पर रिलीज हुई है. राजश्री की फिल्म के लिहाज से ये काफी कम है. ऐसे में बॉक्स ऑफिस कमाई को लेकर कुछ नहीं कह सकते, लेकिन एक बात पक्का है, ये ऊंचाई आपके दिलों पर राज करने वाली है.