67वें ग्रैमी अवॉर्ड्स में भारतीय मूल की ब्रिटिश आर्टिस्ट राधिका वेकारिया को 'बेस्ट न्यू एज, एम्बिएंट या चैंट एल्बम' में वॉरियर्स ऑफ लाइट के लिए नॉमिनेशन मिला था. हालांकि ग्रैमी जीतने से वो चूकीं. इंडियन-अमेरिकन सिंगर चंद्रिका टंडन ने 'त्रिवेणी' के लिए ये अवॉर्ड अपने नाम किया. राधिका भले ही ग्रैमी नहीं जीत सकीं, लेकिन अपने करियर में जिन ऊंचाइयों को उन्होंने छुआ है, वो सबके लिए इंस्पायरिंग है. एक ऐसी शख्सियत जो कभी अपना नाम तक नहीं बोल पाती थीं, आज म्यूजिक में इंटरनेशनल लेवल पर पहचान बनाई है.
कौन हैं राधिका?
राधिका सिंगर और मल्टी-इंस्ट्रूमेंटलिस्ट आर्टिस्ट हैं. वो 2013 से अमेरिका में रह रही हैं. बचपन से उन्हें chronic speech impediment नामक बीमारी थी, जिसकी वजह से उन्हें बोलने में दिक्कत होती थी. एक इंटरव्यू में राधिका ने अपने स्ट्रगल को रिवील किया था. वो कहती हैं- मुझे बोलने में बहुत परेशानी होती थी. इस वजह से मुझे बहुत बुली भी किया जाता था. हम जिंदगी में कई चीजों को लेकर बुली होते हैं. मेरी परेशानी थी कि मुझे खुद को एक्सप्रेस करने में मुश्किल होती थी.
बोलने में परेशानी के बावजूद मुझे मालूम था मैं गा सकती हूं. कई लोग हैं जो बोलने में असमर्थ हैं लेकिन वो वास्तव में शानदार सिंगर हैं. उनके मुताबिक, जैसा संगीत वो बनाती हैं उसने उन्हें फ्री होकर बोलने में मदद की. राधिका ने कभी नहीं सोचा था वो अपनी आर्टिस्टिक बकेट लिस्ट को पूरा कर पाएंगी. 2020 में आए ब्रेकआउट एल्बम 'सप्त: द सेवन वे' ने उन्हें सफलता की ओर आगे बढ़ाया.
बचपन से था गाने का शौक
राधिका ने कहा- जब वो 3 साल की थीं. गाने गाती थीं, मंत्रा बोलती थीं. यंग होने पर जब मैडिटेशन करने लगीं तो मालूम पड़ा कि इससे उनके स्पष्ट बोलने की क्षमता पर जबरदस्त प्रभाव पड़ रहा था. उन्होंने मंत्रोच्चार और भक्ति मंत्रों की शक्ति से अपनी आवाज को ढूंढा. बचपन से वो संगीत से घिरी रही थी. उनके पिता सिंगर थे. घर पर संगीतमय माहौल रहता था, सुरों की महफिल सजती थी.
आज राधिका स्टार हैं. उनका मानना है संगीत की कोई भाषा नहीं होती. वो हिंदी, तमिल, इंग्लिश और संस्कृत में गाती हैं. वो जब भी इंडियन म्यूजिक सुनती हैं. उनका शरीर उस संगीत को फील करने लगता है. राधिका ने एआर रहमान के कई शोज में परफॉर्म किया है.