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एंटरटेनमेंट न्यूज़

अफगान पुलिस में काम करने वाली महिला डायरेक्टर, जिस पर तालिबान ने बरसाईं थीं गोलियां

सबा सहर
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तालिबान ने अफगानिस्तान की सत्ता हथ‍िया ली है. अफगान‍िस्तान का हर शख्स इस वक्त तालिबान की दहशत से सहमा हुआ है. दुनिया के बाकी हिस्सों में भी अफगान‍िस्तान के लोगों की सुरक्षा के लिए दुआएं उठ रही है. अफगान‍िस्तान जो अरसे से ताल‍िबान के साथ जंग लड़ रहा है, वहां की सड़कें कभी मुस्कुराते चेहरों से गुलजार रहती थीं. ऐसे ही खुशनुमा माहौल में अफगान‍िस्तान की पहली मह‍िला फिल्म निर्देशक और निर्माता सबा सहर का जन्म हुआ था. 

सबा सहर
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सबा सहर अफगान‍िस्तानी एक्ट्रेस और वहां की पहली मह‍िला फिल्म निर्देशक और निर्माता हैं. उनका जन्म 28 अगस्त 1975 को काबुल में हुआ था. सबा का जन्म ऐसे काबुल में हुआ जहां रिकॉर्ड्स की दुकानें, थ‍िएटर्स और सिनेमा थी. उन्हें हमेशा से ही एक्ट्रेस बनने की चाहत थी. सबा ने 8 साल की उम्र में काबुल थ‍िएटर में पहला स्टेज अपीयरेंस दिया. पर‍िवार की इजाजत के बगैर उठाए इस कदम के बावजूद उनके चेहरे पर अफसोस की एक श‍िकन तक नहीं थी. उनके पर‍िवार ने उन्हें रोकना चाहा लेक‍िन जब सबा के प‍िता ने उनकी परफॉर्मेंस देखी तो उन्होंने उसे अपनी दुआएं दी. 

सबा सहर
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1996 में जब सबा अपना पहला स्क्रीनप्ले लिख रही थीं, तब तालिबान ने अफगान‍िस्तान पर कब्जा कर लिया था. उन्होंने सिनेमा को लोगों को नैतिकता के पथ से भटकाने वाला बताकर नियमविरोधी करार दिया था. उस साल अफगान‍िस्तान द्वारा चलाई जा रही फिल्म कंपनी के कई दफ्तर तबाह कर दिए. आग लगा दिए गए, इस हिंसक माहौल में सबा को देश छोड़कर पाक‍िस्तान जाना पड़ा. उनके कई दोस्त फिल्म देखते वक्त पकड़े गए और उन्हें पुलिस ने मौत के घाट उतार दिया. 
 

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सबा सहर
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पाक‍िस्तान में रहते हुए सबा ने अमेर‍िका में आश्रय के लिए आवेदन किया और 2001 में उन्हें वीजा मिल गया. जब ताल‍िबान की हुकुमत ढह गई तब सबा ने वतन वापसी की. वह काबुल आईं और यहां अपनी प्रोडक्शन कंपनी स्थाप‍ित की. उनके इस सफर में कुछ और भी बहादुर डायरेक्टर्स ने उनका साथ दिया. साथ मिलकर उन्होंने अफगान फिल्म इंडस्ट्री को नया जीवन देने का फैसला लिया. 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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सबा सहर
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2004 में सबा सहर की पहली फिल्म 'The Law' आई, तो इसे काबुल में प्रीमियर किया गया. थ‍िएटर के माल‍िक को दंगे का डर था और उन्होंने पुलिस की सुरक्षा मांगी. पर जब फिल्म दिखाई गई तब लोग उसकी तारीफों के कसीदे पढ़ने लगे. फिल्म उम्मीद से बढ़कर हिट साबित हुई. सबा कहती हैं 'अपने देश से मैं प्यार करती हूं. मैं लोगों को दिखाना चाहती हूं कि अफगान‍िस्तान में जंग, ड्रग्स और आतंकवाद के अलावा भी बहुत कुछ है. अगर मुझे मेरे हक और मह‍िलाओं को प्रेर‍ित करने के लिए मरना भी पड़े तो मैं इसके लिए तैयार हूं.'

सबा सहर
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सबा ने सालों पहले एक इंटरव्यू में फिल्म बनाने के लिए ताल‍िबान कमांडर से मिली धमकी का जिक्र किया था. ताल‍िबान कमांडर ने सबा से कहा था कि इस तरह की फिल्में शर‍िया के ख‍िलाफ है. अगर ये बंद नहीं हुई तो उन्हें शर‍िया के मुताबिक सजा दी जाएगी. इसके बाद काबुल में जितने भी लोगों से सबा ने बात की सभी ने यही कहा कि 2014 में जब विदेशी सेना लौट जाएगी, तब ताल‍िबान वापस अफगान‍िस्तान पर काबिज हो जाएगा. वे कहती हैं काबुल में 6 सिनेमाहॉल हैं जहां भारतीय और पाक‍िस्तानी फिल्में दिखाई जाती हैं और वे अक्सर खाली ही रहते हैं. लोगों में इस कदर खौफ है कि वे गली में फिल्म देखने के बजाय घर में सुरक्ष‍ित रहना पसंद करते हैं. 

सबा सहर
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अफगान‍िस्तान में सत्ता के दौरान ताल‍िबान ने आदेश जारी किया था कि वहां के घरों की ख‍िड़क‍ियां काले रंग से रंगी जाएगी. ताकि घर की मह‍िलाओं को बाहर के लोग नहीं देख पाएं. जब ताल‍िबान का कहर खत्म हुआ तब सबा सहर ने इस आदेश के उलट घर से बाहर कदम रखे और चकाचौंध की दुनिया में अपना सपना साकार किया. हालात बदलने के बाद भी अफगानी मह‍िलाओं को बुर्का पहनने के निर्देश दिए गए थे, लेक‍िन सबा ने पर्दे के इस रिवाज को बड़ी ही शालीनता के साथ नया स्टाइल दिया. सिर पर हेडस्कार्फ लगाए, आंखों पर सनग्लासेज चढ़ाए, चमचमाते सैंडल, सोने की नोजप‍िन पहने सबा ने हॉलीवुड ग्लैमर को पेश किया. उनके इस पहनावे में ना तो अफगानी निर्देश का विरोध नजर आया और ना ही शर्म का त्याग. 

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सबा सहर के प्रोडक्शन में बनने वाले सभी ड्रामा पुलिस के इर्द-गिर्द घूमती है. इनमें सबा ने लीड रोल निभाया है, जो कि दुश्मनों के ख‍िलाफ एकजुटता और बेकसूर के साथ न्याय के संदेश को अपने प्रोजेक्ट्स के जर‍िए दिखाने की कोश‍िश थी. फिल्मों में सुपरहीरो नजर आने वाली सबा असल जिंदगी में भी पुलिस से प्रश‍िक्षण ले चुकी हैं. उन्होंने 14 साल की उम्र में देश के आंतर‍िक मंत्रालय (Interior Ministry) से ट्रेन‍िंग ली थी. निर्देशन लाइन में आने के बाद भी सबा सहर काबुल पुलिस के लिए पार्ट-टाइम जॉब करती रहीं. उनके इस काम का फायदा उनके प्रोजेक्ट्स में भी साफ नजर आता है. 
 

सबा सहर
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अफगान फिल्म इंडस्ट्री पर डॉक्यूमेंट्री 'Channel 4's Unreported World' बनाने के दौरान उन्होंने इसपर बातचीत की थी. यह डॉक्यूमेंट्री अफगान‍िस्तान की मह‍िलाओं की क्षमता को बताता है, जो हर वो काम करने में सक्षम हैं जो कि कोई पुरुष करता है. उन्होंने कहा था 'घर में बेटी और पत्नी को कैद करने वाले रुढ‍िवाद‍ियों को मैं ये बताना चाहती हूं कि उन्हें पढ़ने दियाा जाए, कुछ पैसे कमाए और अफगान‍िस्तान को दोबारा बनाने में मदद करे.'

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सबा सहर
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सबा के दो बेटे और दो बेट‍ियां हैं. बेखौफ जिंदगी जीने वाली सबा सहर को खतरों का हमेशा से एहसास रहा है. उन्होंने कहा था 'हर सुबह जब मैं घर छोड़कर काम पर जाती हूं तो मुझे पता है कि शायद मुझे मार दिया जाए, शायद मैं अपने पर‍िवार को कभी ना देख पाऊं. कुछ साल पहले कुछ अनजान लोगों ने मुझे कॉल कर जान से मारने की धमकी दी थी. कहा था अपने चाहने वालों को अलव‍िदा कह दे क्योंकि वह जल्द ही मुझे मार देंगे.' जब सबा ने आंतरिक मंत्रालय को इस जानकारी दी तब इन नंबर्स को ट्रेस किया गया जो कि कंधार में पाए गए थे. कॉल्स का यह सिलसिला रुका नहीं बल्क‍ि मंत्रालय को बताने के लिए उन्हें और भी धमक‍ियां मिलने लगीं. वे कहते थे 'हम तुम्हें गली में जनता के बीच मार देंगे.' ये सब होने के बाद सबा हमेशा अपने पास एक बंदूक और हथ‍ियारों से लैस बॉडीगार्ड रखने लगीं. 

सबा सहर
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सबा की आवाज को खामोश करने के लिए उनपर 2020 अगस्त में तालिबान हमला किया. सबा अपनी बेटी के साथ कार में थीं. तभी उनके पेट पर गोलियों की बरसात कर दी गई. पेट में चार गोलियां लगने के बाद भी सबा ने बहादुरी दिखाई और वहां से भाग निकलीं. सबा तालिबान अटैक के बाद बच गईं. 

 

 

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सबा अफगान‍िस्तान के सबसे मशहूर फिल्म स्टार सलीम शाहीन को अपना मार्गदर्शक बताती हैं. सलीम ने 100 से भी ज्यादा लो बजट फिल्में, एक्शन मूवीज की है. सलीम अफगान सिनेमा के सबसे पॉपुलर स्टार रहे हैं. सलीम भी सबा की बहुत इज्जत करते हैं. वे खुद भी मानते हैं कि अफगान सिनेमा जोख‍िम भरा है. सलीम ने 1993 में अपने फिल्म सेट पर 8 क्रू मेंबर्स को खो दिया था. हालांकि मौत का यह खौफ सलीम को भी नहीं है. वे कहते हैं 'मैंने अपने खून से और अपने क्रू की शहादत से ये फिल्में बनाई है. उनके लिए मैं आगे भी फिल्में बनाता रहूंगा. मैं फिल्में बनाना कभी नहीं छोड़ूंगा.' एक ही प्रोफेशन में होने के कारण सलीम सबा के दर्द को समझते हैं. 

सबा सहर
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सबा ने अफगान‍िस्तान में बॉलीवुड फिल्मों के हालात के बारे में भी बताया था. उन्होंने कहा कि ताल‍िबान सत्ता गिरने के बाद से अफगान‍िस्तान में बॉलीवुड फिल्में बिकने लगी, पर कम ही लोग हिंदी समझते हैं और देश की खराब साक्षरता आंकड़ों को देख फिल्मों के सबटाइटल्स लोगों के काम के नहीं होते.  

Photos: Saba Sahar Facebook & Getty Images 

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