आनंद बक्शी. हिंदी फिल्मों का एक अमर नाम. गाने-कविताएं लिखने को अपना धरम और करम कहते थे. सोचने-समझने की अवस्था में पहुंचने के बाद से उनका एक ही सपना था कि वो लिखते रहें. और उन्होंने ऐसा किया भी. कहा जाता है कि उन्होंने फिल्मों में करीब 3300 गाने लिखे. लेकिन अपनी बीमारी के समय में उन्होंने गीतकार समीर से कहा था, "मुझे मालूम है कि मैं जल्दी ही मरने वाला हूं. मुझे अफ़सोस इस बात का है कि मेरे अंदर अभी भी बहुत सारे गाने हैं. काश मैं उन्हें लिखकर अपने परिवारवालों या तुम्हारे जैसे अच्छे गीतकार को दे देता जो उन्हें सहेजकर रखता. अफसोस है कि वो गाने मेरे भीतर से आये और मेरे साथ ही चले जायेंगे.'
आनंद बक्शी ने अपने लिखे तमाम गानों में जीने की ढेरों सीख दी हैं. उनके लिखे गानों से मालूम चलता है कि वो बेहद दार्शनिक स्वभाव के शख्स थे और बड़ी ही आसान भाषा में गहरी बात कह मारते थे. ऐसी बातें, जिनकी काट नहीं. 30 मार्च को, उनकी पुण्यतिथि के रोज आनंद बक्शी के लिखे कुछ ऐसे ही गाने, जो हमें जीने का ढंग सिखाते हैं:
1. जिन्दगी के सफर में (आपकी कसम - 1974)
आंख धोखा है, क्या भरोसा है सुनो
दोस्तों शक दोस्ती का दुश्मन है
अपने दिल में इसे घर बनाने न दो
कल तड़पना पड़े याद में जिनकी
रोक लो रूठ कर उनको जाने न दो
बाद में प्यार के चाहे भेजो हजारों सलाम
वो फिर नहीं आते...
2. मेरे देश प्रेमियों (देश प्रेमी - 1982)
मीठे पानी में ये
जजहर ना तुम घोलो
जब भी, कुछ बोलो
ये सोच के तुम बोलो
भर जाता है गहरा घाव जो बनता है गोली से
पर वो घाव नही भरता जो बना हो कड़वी बोली से
तो मीठे बोल कहो
मेरे देश प्रेमियों
आपस में प्रेम करो, देश प्रेमियों
3. आदमी मुसाफिर है (अपनापन - 1977)
क्या साथ लाये, क्या तोड़ आये
रस्ते में हम क्या-क्या छोड़ आये
मंजिल पे जा के याद आता है
आदमी मुसाफिर है...
4. यादें याद आती हैं (यादें - 2001)
दुनिया में हम सारे
यादों के हैं मारे
कुछ खुशियां थोड़े गम
ये हमसे इनसे हम
यादें यादें यादें...
5. कैसे जीते हैं भला (दोस्त - 1974)
कैसे जीते हैं भला
हम से सीखो ये अदा
ऐसे क्यूं जिंदा हैं लोग
जैसे शर्मिंदा हैं लोग
दिल पे सहकर सितम के तीर भी
पहनकर पांव में जंजीर भी
रक्स किया जाता है
आ बता दें ये तुझे
कैसे जिया जाता है
6. बुरा मत कहो (आया सावन झूम के - 1969)
नजर वो जो दुश्मन पे भी मेहरबां हो
ज़ुबां वो जो इक प्यार की दास्तां हो
किसी ने कहा है मेरे दोस्तों
बुरा मत सुनो बुरा मत देखो, बुरा मत कहो
7. दुनिया में कितनी हैं नफ़रतें (मोहब्बतें - 2000)
दुनिया में कितनी हैं नफरतें
फिर भी दिलों में हैं चाहतें
मर भी जाएं प्यार वाले
मिट भी जाएं यार वाले
जिंदा रहतीं हैं उनकी मोहब्बतें
8. कुछ तो लोग कहेंगे (अमर प्रेम - 1972)
कुछ रीत जगत की ऐसी है
हर एक सुबह की शाम हुई
तू कौन है, तेरा नाम है क्या
सीता भी यहां बदनाम हुई
फिर क्यूं संसार की बातों से, भीग गये तेरे नैना
कुछ तो लोग कहेंगे
लोगों का काम है कहना
9. यार हमारी बात सुनो (रोटी - 1974)
इस पापन को आज सजा देंगे मिलकर हम सारे
लेकिन जो पापी न हो, वो पहला पत्थर मारे
पहले अपने मन साफ करो रे
फिर औरों का इंसाफ करो
10. गाड़ी बुला रही है (दोस्त - 1974)
गाड़ी का नाम
ना कर बदनाम
पटरी पे रख के सर को
हिम्मत न हार
कर इंतजार
आ लौट जाएं घर को
ये रात जा रही है, वो सुबह आ रही है
गाड़ी बुला रही है...