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महज 2 लाख 76 हजार में बनी है ऑस्कर जाने वाली फिल्म 'चम्पारण मटन', जानें कैसे हुई शूटिंग 

पंचायत फेम एक्टर चंदन रॉय की फिल्म 'चम्पारण मटन' की इन दिनों सोशल मीडिया पर जबरदस्त चर्चा है. FTI स्टूडेंट्स द्वारा बनाई गई इस फिल्म को ऑस्कर 2023 के सेमीफाइनल में जगह मिल गई है.

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चम्पारण मटन
चम्पारण मटन

बिहार के रंजन पुणे स्थित फिल्म ऐंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (FTII) में डायरेक्शन की पढ़ाई कर रहे है. यहां फाइनल ईयर प्रोजेक्ट के तहत रंजन को एक फिल्म बनानी थी. रंजन ने 'चम्पारण मटन' नाम की एक कहानी गढ़ी. एग्जाम में अच्छे मार्क्स पाने की मकसद से बनाई गई इस फिल्म को जब एफटीआई द्वारा विभिन्न फिल्म फेस्टिवल्स में दिखाया गया, तो रंजन की कहानी एक दिलचस्प मोड़ पर जा पहुंची. फिल्म को ऑस्कर के लिए सेमीफाइनल राउंड के लिए सिलेक्ट कर ली गई है. 

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विनर को मिलेगा पांच हजार डॉलर

बता दें, रंजन की इस फिल्म 'चम्पारण मटन' को स्टूडेंट अकेडमी अवॉर्ड यानी ऑस्कर के लिए सिलेक्ट कर लिया गया है. फिल्म सेमीफाइनल तक जा पहुंची है और अक्टूबर में इसके फाइनल रिजल्ट का इंतजार है. फिल्म जीतने वाले को गोल्ड मेडल समेत पांच हजार डॉलर, सेकेंड रनरअप को सिल्वर मेडल के साथ तीन हजार डॉलर की प्राइस मनी तय की गई है. 

प्रोजेक्ट के तहत बनाई थी फिल्म 

फिल्म के डायरेक्टर रंजन ने आजतक डॉट इन से एक्सक्लूसिव बातचीत में अपनी फिल्म मेकिंग का एक्सपीरियंस शेयर किया है. रंजन बताते हैं, मैं एफटीआई का स्टूडेंट हूं. मार्च में ही मैंने अपना फाइनल पेपर क्लीयर किया है. एग्जाम के दौरान हमें फिल्म बनाना होता है. कॉलेज में डायरेक्शन, राइटिंग, सिनेमैटोग्राफी-एडिटिंग, प्रोडक्शन डिजाइन, साउंड डिजाइन जैसे हम पांच डिपार्टमेंट मिलकर एकसाथ एक प्रोजेक्ट बनाते हैं. जिसे जज कर हमें मार्क्स और सर्टिफिकेट दिए जाते हैं. जब फिल्म बनकर तैयार हो जाती है, तो यह पूरी तरह से कॉलेज की प्रॉपर्टी होती है. अब इस बीच जितने फिल्म फेस्टिवल्स होते हैं, जैसे अभी ऑस्कर का फेस्टिवल चल रहा है, या मामी जैसी जगहों पर इंस्टीट्यूट अपनी तरफ से फिल्में भेजता है. इसी दरम्यान जब ऑस्कर चल रहा था, तो कॉलेज की ओर से भेजी गई मेरी फिल्म का सिलेक्शन हुआ और अब यह ऑस्कर के सेमीफाइनल राउंड तक पहुंच चुकी है. 

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2400 फिल्मों में हुआ सिलेक्शन 

रंजन इस अकेडमी अवॉर्ड के बारे में बताते हैं, ये स्टूडेंट व कॉलेज के लिए ऑस्कर का आयोजन किया जाता है, जो उस ऑस्कर से अलग तो हैं, लेकिन प्रेस्टेजियस बहुत है. पूरी दुनियाभर से कॉलेज इसमें हिस्सा लेने आते हैं. इस साल विदेशों से 2400 से ज्यादा फिल्मों को यहां भेजा गया है. लगभग 200 देश से ज्यादा लोग इसमें शामिल हुए थे. सेमीफाइनल के लिए केवल 63 फिल्मों को चुना गया है. जिसे भी चार कैटिगरी में बांटा गया है. पहली कैटेगरी एनिमेशन, एक्सपेरिमेंटल, तीसरा डॉक्यूमेंट्री और एक होता है नरैटिव. मेरी फिल्म नरैटिव कैटिगरी में सिलेक्ट किया गया है. जिसमें से 17 फिल्में सिलेक्ट हुई हैं. इंडिया से केवल एक ही फिल्म है, वो है 'चम्पारण मटन' . 

लॉकडाउन के बैकड्रॉप पर बनी है फिल्म 

फिल्म के कॉन्सेप्ट पर रंजन कहते हैं, कहानी पोस्ट लॉकडाउन के बैकड्रॉप पर है. जहां ज्यादातर लोगों की नौकरियां चली गई थी. लोग जॉब के इंतजार में बैठे थे. एक फैमिली की कहानी है, जो मटन खरीदने के लिए स्ट्रगल कर रही है. कहानी को कुछ यूं बुना है कि मटन की तलाश में निकला एक व्यक्ति, जो सोशियो पॉलिटकल स्ट्रक्चर और प्यार हर तरह के चीजों से गुजरता है. 

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एक्टर ने किया फ्री में काम 

फिल्म की कास्टिंग पर रंजन कहते हैं, फिल्म में एक्टर चंदन रॉय हैं. चंदन खुद बिहार के वैशाली से ताल्लुक रखते हैं. उनकी भाषा बज्जिका ही है. फिल्म में भी बज्जिका भाषा का ही प्रयोग है. यह गौर करने वाली बात है कि अभी तक बज्जिका भाषा में कोई फिल्म नहीं बनी है. मैं यह जरूर बताना चाहूंगा कि इस फिल्म के लिए चंदन ने एक रुपया भी नहीं लिया है. 

2 लाख 76 हजार में हुई है फिल्म की शूटिंग 

रंजन शूटिंग एक्सपीरियंस बताते हुए कहते हैं, पूरी शूटिंग नौ दिन में पूरी हुई है. हमने नौ दिनों में आठ शिफ्ट पर शूटिंग की है. हम कोर पांच लोगों की टीम थी, जिसमें मैं, साउंड डिजाइनर शुभम घाटगे, प्रोडक्शन डिजाइनर मिनाक्षी श्रीवास्तव, सिनेमैटोग्राफर आदित वी सतविन और एडिटर वैष्णवी शामिल थे. उसके अलावा क्रू मेंबर 70 लोग के आसपास थे. हमने टोटल 2 लाख 76 हजार रुपये में पूरी फिल्म की शूटिंग की है. अगर हम अवॉर्ड जीत जाते हैं, तो यह अपने आपमें एक ऐतिहासिक अचीवमेंट होगा. 

 


 

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