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जब महाभारत शो के डायलॉग पर सरकार को हुई आपत्ति, मेकर्स को जाना पड़ा था कोर्ट, 1 दिन में मामला हुआ शांत

Gajendra Chauhan:बीआर चोपड़ा के महाभारत में युद्धिष्ठिर बने गजेंद्र चौहान हमें बता रहे हैं कि किस तरह उनके शो की रिलीज के दौरान भी कुछ डायलॉग्स और सीन्स को लेकर आपत्ति उठी थी.

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ओम राउत की फिल्म आदिपुरुष रिलीज के बाद से ही लगातार विवादों में हैं. सबसे बड़ा विवाद फिल्म के डायलॉग्स को लेकर हुआ है. हनुमान के किरदार को इस तरीके से बोलता देख, फैंस में आक्रोश है. बढ़ते गुस्से को देखते हुए मेकर्स ने भी आनन-फानन में फिल्म के डायलॉग्स को नए सिरे से बदला है. यह पहली बार नहीं है, जब किसी माइथोलॉजी शो में ऐसा विवाद देखने को मिला है. इससे पहले आज क्लासिक कहे जाने वाले महाभारत को भी कुछ डायलॉग्स की वजह से उस दौर की सरकार से लड़ना पड़ा था. आईए जानते हैं क्या है मामला.. 

बीआर चोपड़ा की सीरियल महाभारत में युधिष्ठिर की भूमिका को अमर कर देने वाले गजेंद्र चौहान ने आजतक डॉट इन से बातचीत करते हुए बताते हैं कि महाभारत की टेलीकास्ट के दौरान भी उस वक्त कुछ डायलॉग और सीन को लेकर उस समय की मौजूदा गर्वनमेंट ने ऑब्जेक्शन उठाया था. तब बीआर चोपड़ा ने कोर्ट का कानूनी रास्ता अख्तियार कर उस पर जीत हास‍िल की थी. 

'वंशवाद' पर डायलॉग सरकार के विपरीत था 
गजेंद्र बताते हैं, मुझे याद है सितंबर 1988 को महाभारत सीरियल के अनाउंसमेंट को लेकर ताज होटल में प्रेस कॉन्फ्रेंस रखी गई थी. 2 अक्टूबर को यह शो टीवी पर प्रसारित किया जाना था. जब इसका प्री-व्यू दूरदर्शन पर किया गया, तो उस वक्त मौजूदा सरकार को इसके कुछ डायलॉग्स पर आपत्ति थी. वो डायलॉग्स राज बब्बर द्वारा कहा गया था, जिसमें राजा भरत बोलते हैं कि 'राजा योग्यता के आधार पर होना चाहिए न कि वंशवाद पर', जो पूरी तरह से मौजूदा सरकार के विपरीत जाता था. जिसे शो से हटाने की मांग की गई थी. 

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समय का पहिया भी नहीं बच पाया था विवाद से 
गजेंद्र बताते हैं, महाभारत की शुरुआत ही समय के पहिये जैसे आइकॉनिक सीन से होती है. हालांकि समय के पहिये को भी विवादों का दंश झेलना पड़ा था. उस समय की सरकार ने इस सीन पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि यह समय का पहिया उनके ऑपोजिशन पार्टी को बिना वजह प्रमोट कर रहा है. दरअसल शुरुआत के सीन में जो वॉइस ओवर आता है, उस दौरान कालचक्र के प्रतिकात्मक रूप में स्क्रीन पर एक चक्का चल रहा होता था, जो जनता दल का प्रतीक चिन्ह हुआ करता था. सरकार ने उसे हटाने की डिमांड करते हुए कहा कि बिना वजह उस दल को पब्लिसिटी मिल रही है.

एक रात में ही कोर्ट से लिया था क्लीयरेंस 
गजेंद्र आगे बताते हैं, वहीं बीआर चोपड़ा इस बात पर अड़े थे कि वो इन दोनों ही चीजों को बदलना नहीं चाहते थे. वो अपने राइटर्स के काम से बहुत ही संतुष्ट थे और बिलकुल भी बदलाव के मूड में नहीं थे. उन्होंने कोर्ट में जाकर अपनी बात रखी. यकीन मानें, 1 अक्टूबर की रात तक उन्होंने कोर्ट से क्लीयरेंस भी ले ली थी. एक रात में सबकुछ हुआ और हम 2 अक्टूबर को लोगों के बीच आ चुके थे. 

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