बॉलीवुड से लेकर साउथ तक की फिल्मों में एक मुद्दा ऑडियंस को बहुत खटकता रहा है- मेल एक्टर्स का, खुद से बहुत छोटी एक्ट्रेसेज संग स्क्रीन पर रोमांस करना. बड़े स्टार्स अक्सर स्क्रीन पर ऐसी एक्ट्रेसेज को रोमांस करते नजर आते हैं जिनकी उम्र में कई बार उनसे आधी होती हैं. ये ट्रेंड किसी एक इंडस्ट्री में नहीं, बल्कि सभी फिल्म इंडस्ट्रीज में मिलता है. अब मलयालम सिनेमा के आइकॉन, मोहनलाल ने इस ट्रेंड को डिफेंड किया है. उनका कहना है कि एक्टर्स की चॉइस उनकी उम्र नहीं, बल्कि उनके कॉन्फिडेंस से तय होती है.
'जनता स्वीकार कर रही है, तो क्यों नहीं'
इंडिया टुडे के साथ एक इंटरव्यू में मोहनलाल ने इस मुद्दे पर बात की. उन्होंने कहा कि मेल स्टार का कॉन्फिडेंस और जनता का स्वीकार करना, उम्र से ज्यादा महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा, 'ये एक प्रोसेस है. ऐसा नहीं है कि ये अब शुरू हुआ है, हमारी इंडस्ट्री ही ऐसी है. यहां तक कि तेलुगू, तमिल भी... लेकिन अगर आप फिट हैं और 100 साल की उम्र तक एक्टिंग कर सकते हैं तो (कोई दिक्कत नहीं है). ये आप खुद से और अपने किरदार की चॉइस से तय करते हैं. अगर आप अनकम्फर्टेबल हैं, कि ये रोल आपके लिए ठीक नहीं है, तो ऐसा मत कीजिए. लेकिन अगर लोग इसे स्वीकार करने के लिए तैयार हैं, तो क्यों नहीं? ये एक परफॉरमेंस है. इसका उम्र से कोई लेना देना नहीं है. सारी बात रोल की है.'
40 से ज्यादा सालों से फिल्मों में एक्टिव मोहनलाल ने हाल ही में रिलीज हुई फिल्म 'बारोज' से बतौर डायरेक्टर डेब्यू किया है. अपने फ्यूचर प्लान्स के बारे में बात करते हुए मोहनलाल ने कहा, 'मैं कुछ नहीं करना चाहता. मेरी लाइफ में अधिकतर चीजें बस हो रही हैं. हम ढेर सारे नाटक, शोज और दूसरी चीजें करते हैं. हम बहुत सारी फिल्में कर रहे हैं. मैं चीजें प्लान नहीं करता. मैं बस उन्हें होने देता हूं, मैं चीजों के घटने में विश्वास करता हूं. आपको बस वहां होना चाहिए. सबकुछ बस एक फ्लो है.'
डायरेक्टर के तौर पर कमाल नहीं कर सके मोहनलाल
मोहनलाल का डायरेक्टोरियल डेब्यू 'बारोज' चर्चा में तो काफी था लेकिन थिएटर्स में जनता को खींचने में नाकाम रहा. 25 दिसंबर को थिएटर्स में रिलीज हुई इस फैंटेसी-एडवेंचर फिल्म का ट्रेलर और प्रोमोज दिलचस्प लग रहे थे. लेकिन फिल्म को बहुत अच्छे रिव्यू नहीं मिले, हालांकि मोहनलाल की परफॉरमेंस को क्रिटिक्स ने सराहा है.