
देश की फेमस डिजिटल एंटरटेंनमेंट कंपनी TVF पर उनकी हालिया रिलीज हुई वेब सीरीज ‘Aspirants’ को लेकर चोरी का आरोप लगा है. ये आरोप लगाया है ‘डार्क हॉर्स’ कहानी के लेखक नीलोत्पल मृणाल ने.
नीलोत्पल मृणाल ने लगाया ये आरोप
अपनी पहली ही किताब ‘डार्क हॉर्स’ के लिए साहित्य अकादमी अवॉर्ड जीत चुके लेखक नीलोत्पल मृणाल ने आजतक से खास बातचीत में कहा, ‘मीडिया में मेरे बयान को गलत तरीके से बताया जा रहा है, आपके माध्यम से मैं ये साफ तौर पर बताना चाहता हूं कि TVF वालों ने मेरी कहानी के 30 प्रतिशत हिस्से से अपनी पूरी 100 प्रतिशत वेब सीरीज बनाई है. इसलिए उनके सारे एपिसोड मेरी ही किताब का हिस्सा हैं. अगर आप मेरा फेसबुक देखें तो मैंने ये बात साफ-साफ लिखी भी है लेकिन फिर भी पता नहीं क्यों इस बात को लेकर मीडिया वाले कन्फ्यूज हो रहे हैं.’
नीलोत्पल कहते हैं, ‘जब ये वेब सीरीज रिलीज हुई तो मैंने ये देखी, और पहले ही एपिसोड में मुझे इस बात का अहसास हो गया कि मेरी ही किताब से इस वेब सीरीज का कंटेंट चुराया गया है. फिर जब मैंने इसके सारे एपिसोड देखे तो मेरा शक पूरी तरह से यकीन में बदल गया कि मेरी किताब की मूल आत्मा तो चुरा कर इस वेब सीरीज में डाला गया है.’
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नीलोत्पल ने आजतक को बताया, ‘हमारे देश में कहानी चोरी को लेकर जो कानून बने हैं उनमें कुछ कमियां हैं जिनकी वजह से कहानी चुराने वालों को कोर्ट में बचने का मौका मिल जाता है. मैं आपको एक उदाहरण देता हूं कि अगर आपका मुर्गा चोरी हो जाए और आपको तब पता चले जब उस मुर्गे का चिली चिकन बन गया हो तो बताइए कि कितना मुश्किल होगा आपको ये साबित करने में कि वो मुर्गा जिसका चिली चिकन बन गया है वो आपका ही है. ठीक वैसा ही किसी लेखक की कहानी के साथ भी होता है. अगर कोई आपकी कहानी की मूल आत्मा को चुराकर अपना कंटेंट बना ले तो आपको कोर्ट में ये साबित करने में कि वो कहानी आपकी ही है पसीने छूट जाते हैं. इसलिए इस मामले में कोई सख्त कानून बनाने की जरुरत है.’
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नीलोत्पल आगे कहते हैं, ‘मैंने खुद UPSC की तैयारी की है और अपने अनुभवों के आधार पर मैंने ये किताब डार्क हॉर्स लिखी थी और इसी किताब के लिए मुझे साहित्य अकादमी अवॉर्ड मिला था. तो आप समझ सकते हैं कि मेरे लिए ये किताब कितनी मायने रखती है, एक लेखक के लिए उनकी रचना एक बच्चे की तरह होती है, जिसे लेखक जन्म देता है और बाद में जब वो रचना फेमस हो जाती है तो वहीं रचना लेखक के लिए भरण पोषण का काम करती है. ऐसे में किसी लेखक की रचना चुराना बिल्कुल वैसा ही होता है जैसे किसी मां से उसका बच्चा चुराना.’