कोविड के दौर में जब थिएटर्स बंद हुए और लोगों ने ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर कंटेंट स्ट्रीम करना शुरू किया, तो सिनेमा का सीन बहुत बदल गया. कंटेंट के स्तर पर एक बात ये होती है कि ओटीटी ने जनता को दुनिया के हर हिस्से से आ रहे कंटेंट का एक्सपोजर दिया और अब जनता हल्का कंटेंट पसंद नहीं करती. कोविड लॉकडाउन के दौर ने एक बड़ी चीज और बदल दी है.
यूएस के एक सर्वे में सामने आया है कि लोग थिएटर्स जाने के मुकाबले स्ट्रीमिंग पर अपनी सुविधा के हिसाब से कंटेंट देखना ज्यादा पसंद करने लगे हैं. और इस आदत का एक असर ये है कि लोग फिल्मों के स्ट्रीम होने का इंतजार करने लगे हैं. हॉलीवुड के सिनेमा सीन पर पकड़ रखने वाली एक बड़ी वेबसाइट ने स्ट्रीमिंग को लेकर एक सर्वे करवाया है, जिसके नतीजे फिल्म बिजनेस वालों के लिए एक खतरे की घंटी जैसे हैं.
थिएटर्स पर भारी पड़ रही स्ट्रीमिंग
अमेरिका की एक मार्किट रिसर्च कंपनी, हैरिसएक्स ने यूएस के 1000 वयस्क लोगों पर एक पोल करवाया है. इंडीवायर ने इसके नतीजे शेयर करते हुए बताया कि यूएस में 34% वयस्क दर्शक थिएटर्स में फिल्म देखना पसंद करते हैं. जबकि करीब दो तिहाई दर्शक, फिल्मों के स्ट्रीम होने का इंतजार करते हैं.
हैरिस एक्स के वाईस-प्रेसिडेंट एली ब्रैडी ने कहा, 'स्ट्रीमिंग सर्विसेज और हॉलीवुड के बीच कॉम्पिटीशन जारी है. हालिया बॉक्स ऑफिस आंकड़ों में हमें थिएटर जाने वाले लॉयल फिल्म दर्शकों के होने का प्रूफ तो मिलता है, मगर हमारी रिसर्च दिखाती है कि 3 में से 2 फिल्म दर्शक, घर पर फिल्म स्ट्रीम करना प्रेफर करते हैं.'
उन्होंने आगे कहा कि वफादार फिल्म लवर्स के होने से इंडस्ट्री का भला तो हो रहा है, मगर इसका ये भी मतलब है कि कंटेंट की डिमांड बढ़ती ही जा रही है. ब्रैडी ने बताया, 'करीब आधे कंज्यूमर्स ने कहा कि वो हर हफ्ते फिल्में स्ट्रीम करते हैं- ये फ्रीक्वेंसी थिएटर जाने वाले दर्शकों के मुकाबले 7 गुना से भी ज्यादा है.' इस पोल में ये भी पाया गया कि 30% लोग हफ्ते में दो या उससे ज्यादा बार फिल्में स्ट्रीम करते हैं. और इन लोगों ने कहा कि वो थिएटर्स में 'साल में कुछ बार' ही जाते हैं.
थिएटर्स में जाने वाले दर्शकों में से 59% लोगों ने 'बड़े पर्दे पर फिल्म देखने के एक्सपीरियंस' को सबसे बड़ी वजह बताया. जबकि 47% लोग 'सराउंड साउंड सिस्टम्स' की वजह से थिएटर्स में जाते हैं. जो चीजें थिएटर्स में लोगों को खींचती हैं उसमें 3डी-IMAX जैसी तकनीक के साथ फिल्म देखना भी एक बड़ी वजह है. तकनीक को छोड़ दें, तो थिएटर जाने की बाकी वजहें फीलिंग से जुड़ी हैं. जबकि अपनी सुविधा और समय के हिसाब से कंटेंट देख पाने के लिए स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म ज्यादा पसंद किए जाते हैं.
महंगे टिकट पर भारी है स्ट्रीमिंग
स्ट्रीमिंग पर फिल्में पसंद करने वाले लोगों में से 53% ने फिल्म टिकट के बढ़ते दामों को थिएटर न जाने की वजह बताया. जबकि 42% ने टिकट के साथ बाकी चीजों, जैसे खाने-पीने के खर्च को थिएटर जाना कम पसंद करने की वजह कहा. 40% स्ट्रीमिंग लवर्स ने कहा कि वो घर पर फिल्म देखने के आराम की वजह से, फिल्मों के स्ट्रीमिंग पर आने का इंतजार कर लेते हैं.
भारत में इस बात का सीधा सबूत ये ही कि सिनेमा लवर्स डे जैसे ऑफर के जरिए जब फिल्मों के टिकट सस्ते होते हैं तो फिल्मों का फुटफॉल यानी थिएटर्स में आ रही जनता बहुत बढ़ जाती है. और इससे फिल्म का रेवेन्यू भी बढ़ जाता है. हाल ही में 99 रुपये के टिकट ने पहले ही दिन यामी गौतम की 'आर्टिकल 370' को लगभग 6 करोड़ रुपये की ओपनिंग दिलाई. जबकि रिलीज के पहले अनुमानों में इस फिल्म की ओपनिंग 2-3 करोड़ के करीब आंकी जा रही थी.
वाशरूम यूज न कर पाना भी है वजह
कोविड और फ्लू जैसी वजहों से 'सैनिटेशन और हाइजीन' की चिंता भी लोगों को थिएटर्स जाने से रोकती है. इस सर्वे में करीब 22% लोगों ने कहा कि उन्हें फिल्म के बीच में वाशरूम यूज करने की जरूरत पड़ती है और इस ब्रेक के लिए थिएटर्स में फिल्म पॉज करने का चांस न होना भी एक बड़ी वजह है.
स्ट्रीमिंग को फेवर करने वाले लोग जिन वजहों से फिल्मों का इंतजार कर लेते हैं, उसमें ट्रेवल करना, साथ बैठी ऑडियंस से होने वाला डिस्ट्रेक्शन, सुविधा के हिसाब से शोज और सीटों का न मिलना भी बड़ी वजहें हैं.
सिनेमा लोगों के एंटरटेनमेंट के सबसे बड़े साधनों में से एक है और यकीनन एंटरटेनमेंट एक ऐसी चीज है, जो आदमी अपनी सुविधा के अनुसार चाहता है. ऐसे में सुविधा और कम्फर्ट के हिसाब से फिल्म देखने के मामले में तो स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म्स का पलड़ा यकीनन भारी है. मगर थिएटर्स तक दर्शकों को खींचने के लिए सिनेमा को बेहतर तकनीकों और दिमाग पर जादू कर देने वाली कहानियों की बहुत जरूरत है. फिल्म इंडस्ट्री इस डिमांड को पूरा करने में कितनी सक्षम साबित होती है, ये तो वक्त ही बताएगा.