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Ponniyin Selvan के हिंदी डायलॉग पर भी हुई खूब मेहनत, राइटर ने बताया 'महाभारत' सीरियल से कैसे ली प्रेरणा

तमिल सिनेमा का ड्रीम प्रोजेक्ट 'पोन्नियिन सेल्वन' आखिरकार पूरा हो चुका है और इसका पार्ट 1, 30 सितंबर को थिएटर्स में रिलीज होने जा रहा है. फिल्म पांच भाषाओं में पैन इंडिया रिलीज होगी और हिंदी ट्रेलर को पहले ही बहुत पसंद किया जा रहा है. अब फिल्म के हिंदी डायलॉग राइटर ने बताया है कि उन्होंने हिंदी दर्शकों का कितना ख्याल रखा है.

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'पोन्नियिन सेल्वन' में ऐश्वर्या राय बच्चन, जयम रवि
'पोन्नियिन सेल्वन' में ऐश्वर्या राय बच्चन, जयम रवि

30 सितंबर को सिनेमा फैन्स के लिए बहुत बड़ा दिन होने वाला है. इस दिन जहां ऋतिक रोशन और सैफ अली खान स्टारर 'विक्रम वेधा' रिलीज हो रही है, वहीं 'पोन्नियिन सेल्वन- 1' भी थिएटर्स में रिलीज होगी. हिंदी सिनेमा देखने वाले दर्शकों में 'विक्रम वेधा' का तो क्रेज है ही, लेकिन मणि रत्नम की 'पोन्नियिन सेल्वन- 1' को लेकर भी एक्साइटमेंट है.

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'पोन्नियिन सेल्वन- 1' को तमिल सिनेमा का ड्रीम प्रोजेक्ट कहा जा सकता है. ये फिल्म कल्कि कृष्णमूर्ति के उपन्यास 'पोन्नियिन सेल्वन' पर आधारित है, जिसे तमिल साहित्य का सबसे महान उपन्यास भी कहा जा सकता है. किताब के पन्नों से स्क्रीन तक आने में इस कहानी को 60 साल से ज्यादा का समय लग चुका है और खुद मणि रत्नम 1994 से इसपर काम कर रहे हैं.

लेकिन 'पोन्नियिन सेल्वन- 1' सिर्फ एक तमिल फिल्म नहीं है, बल्कि ये एक पैन इंडिया फिल्म है जिसे हिंदी, तेलुगू, मलयालम और कन्नड़ में भी रिलीज किया जाना है. फिल्म के हिंदी ट्रेलर को भी दर्शकों ने बहुत पसंद किया और ए.आर. रहमान के कम्पोज किए हुए गानों के हिंदी वर्जन भी अच्छे-खासे पॉपुलर हो रहे हैं.

तमिल संस्कृति से जुड़ी फिल्म के हिंदी डायलॉग कैसे हैं?

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पिछले कुछ सालों में 'बाहुबली', RRR और KGF जैसी फिल्मों ने इस परसेप्शन को तोड़ा है कि साउथ में बनी फिल्मों के हिंदी डायलॉग कमजोर लगते हैं. लेकिन इन फिल्मों की कहानी फिक्शन थी. 'पोन्नियिन सेल्वन- 1' चोल साम्राज्य पर आधारित है और ये एक तमिल साम्राज्य था. ऐसे में जब एक दर्शक हिंदी में 'पोन्नियिन सेल्वन- 1' देखने का मूड बनाएगा तो जाहिर सा सवाल उठेगा कि तमिल संस्कृति में गहराई से जुड़ी हुई इस कहानी को, हिंदी में देखने पर कहीं भाषा आड़े तो नहीं आएगी?

फिल्म के लिए हिंदी डायलॉग लिखने वाले, जाने-माने हिंदी राइटर दिव्य प्रकाश द्विवेदी ने 'पोन्नियिन सेल्वन- 1' के प्रमोशनल इवेंट पर इस सवाल का जवाब दिया है. दिव्य ने बताया कि जब मणि रत्नम ने उन्हें बुलाया तो उनके पास 'महाभारत' सीरियल की स्क्रिप्ट थी, जिसके डायलॉग राही मासूम रजा ने लिखे थे. वो अपनी रिसर्च कर के पहुंचे थे और मणि रत्नम ने उनसे कहा कि डायलॉग लिखने के लिए वो यही समझें कि ये एक हिंदी फिल्म है.

हिंदी फिल्म की तरह किया गया ट्रीट 

दिव्य ने कहा, 'मैं 'महाभारत' सीरियल जो था, राही मासूम राजा साहब ने उसके डायलॉग लिखे थे, तो उसकी स्क्रिप्ट पर रिसर्च कर के ले गया था. मैं बुक (पोन्नियिन सेल्वन) ऑलमोस्ट पूरी पढ़ के गया था. तो कोशिश ये रही, सर ने बोला कि ये हिंदी फिल्म है, आप इसे ऐसे ही देखिए और हिंदी फिल्म की तरह करिए.'

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दिव्य ने यह भी बताया कि फिल्म के लिए डायलॉग लिखने में कैसे उन्होंने शब्दों का ध्यान रखते हुए ये कोशिश की कि भाषा बोरिंग न हो जाए. उन्होंने कहा, 'कोशिश ये रही कि जो भूले बिसरे शब्द हैं उन्हें लिया जाए. गुप्तचर जैसा शब्द है... हम अंगूठी बोलते हैं, मुद्रिका जैसा शब्द है... कहीं पर किसी को रिक्वेस्ट कर रहे हैं तो अनुरोध जैसा शब्द है. और उनको ऐसे लाया जाए कि वो टीवी सीरियल जैसे न लगें. वहां की भाषा तो हम पकड़ नहीं सकते थे, वो लगें कि हम दसवीं शताब्दी में पहुंच के, यहां से उसे एक हिंदी फिल्म की तरह देख रहे हैं. वो कैसे किए जाएंगे ये आपको फिल्म देखकर पता चलेगा.'

दिव्य ने कहा कि जब राही साहब ने महाभारत लिखा था, तो पिताश्री-माताश्री कहकर लोग बात करने लगे थे. जैसे- 'अरे पिता श्री नहीं मानेंगे, माताश्री नहीं मानेंगी.' उनकी कोशिश यही रही कि आज जो 20 साल का यूथ है, 'पोन्नियिन सेल्वन' देखने के बाद उनके पॉपुलर कल्चर में ऐसे भूले-बिसरे शब्द, फिल्म के कुछ डायलॉग चले जाएं. उन्होंने यह भी बताया कि तीन दिन, 7-8 घंटों तक 'पोन्नियिन सेल्वन' एक्टर चियान विक्रम खुद भी मौजूद रहते थे. और एक सीन के लिए तो विक्रम ने 50 से ज्यादा टेक लिए, मगर उसे पूरी परफेक्शन के साथ किया.  

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हिंदी को उर्दू से बचाने पर दिया ध्यान 

जब दिव्य प्रकाश दुबे से पूछा गया कि जिस समय में 'पोन्नियिन सेल्वन' की कहानी बेस्ड है, उस काल में उर्दू नहीं यूज होती थी, तो हिंदी को उर्दू से उन्होंने कितना बचाया है? इसके जवाब में उन्होंने कहा, 'आप जब देखेंगे तो आपको उस समय के जो शब्द हैं, वहां उर्दू शब्द आपको नहीं सुनाई पड़ेंगे, ये पूरी कॉन्शस कोशिश की गई है. हमने पूरी कोशिश की है कि हिंदी को पूरी ईमानदारी से बरता जाए.'

 

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