
साउथ की इंडस्ट्रीज में एक्टर्स के नामों के साथ लगे टाइटल अपने आप में एक बड़ी फैन्सी फीलिंग देते हैं. खासकर, तमिल सिनेमा में तो स्टार्स के नाम के साथ आपको कोई न कोई टाइटल जरूर लगा मिल जाएगा. तमिल ऑडियंस अपने स्टार को प्यार ही नहीं करती, बल्कि एक तरह से पूजती है. रजनीकांत हों या कमल हासन या फिर कोई भी बड़ा तमिल एक्टर, सबके नामों के साथ आपको एक टाइटल मिल जाएगा जो उनके स्टारडम की हाईट से जुड़ा होता है.
स्टार्स खुद इन टाइटल्स के साथ शुरू में बहुत कम्फर्टेबल नहीं रहे. रजनीकांत अपने नाम के साथ 'सुपरस्टार' लगाए जाने से थोड़ा हिचक रहे थे, लेकिन कुछ साल बाद पूरे इंडिया ने उन्हें इसी टाइटल से पहचानन शुरू कर दिया. अपनी सॉलिड एक्टिंग परफॉरमेंस से लोगों के दिल में जगह बनाने वाले विजय सेतुपति का भी एक टाइटल है. लेकिन जब वो अपने नाम के साथ ये टाइटल जोड़ने में हिचक रहे थे तो उनके डायरेक्टर ने कहा, 'इन टाइटल्स में एक पॉजिटिव वाइब होती है. ये टाइटल तुम्हें एक जिम्मेदारी का एहसास करवाएगा और जब लोग तुम्हें इस नाम से बुलाएंगे तो उन्हें सही दिशा में सोचने की तरफ भी ले जाएगा.'
थलाइवा हों, थाला हों या फिर थलपति... तमिल स्टार्स को मिले टाइटल्स की भी अपनी एक कहानी होती है. किसी को इमोशनल होकर टाइटल दिया गया, तो किसी के टाइटल के पीछे मार्केटिंग का फंडा है. किसी के नाम में टाइटल न लगाया जाए तो शायद लोग पहचानें ही नहीं. आइए आपको बताते हैं कि बड़े तमिल स्टार्स को उनके टाइटल कब और कैसे मिले. और इनके पीछे कहानी क्या है...
रजनीकांत
रजनीकांत ने अपना करियर 1975 में शुरू किया था. फिल्म 'अपूर्वा रागंगल' में उन्हें एक छोटा सा किरदार निभाने को मिला. लेकिन डायरेक्टर एम भास्कर ने उन्हें स्क्रीन पर लीड रोल करने का पहला बड़ा मौका दिया. 'भैरवी' नाम की ये फिल्म 1978 में रिलीज हुई.
रिपोर्ट्स बताती हैं कि तब तमिल सिनेमा के बड़े डिस्ट्रीब्यूटर्स में से एक के. धनु ने चेन्नई सिटी एरिया में 'भैरवी' दिखाने के राइट्स खरीदे थे. उन्होंने फिल्म का भौकाल बनाने के लिए चेन्नई के अन्ना सलाई एरिया में प्लाजा थिएटर के बाहर, रजनीकांत का एक 35 फुट का कटआउट लगवा दिया. इसी थिएटर पर उन्होंने फिल्म के तीन अलग-अलग पोस्टर भी लगवाए जिनपर रजनी के नाम के साथ 'सुपरस्टार' लिखा था.
शुरुआत में रजनीकांत अपने नाम के साथ 'सुपरस्टार' लगाने को लेकर बहुत कम्फर्टेबल नहीं थे. उन्हें लगता था कि ये शब्द तमिल सिनेमा के आइकॉन कहे जाने वाले एमजीआर और शिवाजी गणेशन के साथ लगाया जाना ही ठीक है. लेकिन धीरे-धीरे जनता ने न सिर्फ रजनी को अपना 'सुपरस्टार' बना लिया, बल्कि उनका ये टाइटल भी परमानेंट हो गया. आगे चलकर रजनी ने अपनी कई फिल्मों में ऐसी कहानियां और किरदार जिनमें एक सोशल मैसेज था. सोच में बदलाव की मांग करती रजनीकांत की इन फिल्मों से जनता ने उन्हें 'लीडर' या 'बॉस' के लिए इस्तेमाल होने वाले तमिल शब्द 'थलाइवा' का टाइटल दिया.
कमल हासन
ये बात बहुत लोगों को नहीं पता होती कि 'सुपरस्टार' टाइटल सिर्फ रजनीकांत के लिए ही नहीं इस्तेमाल हुआ. रिपोर्ट्स बताती हैं कि 1981 में जब कमल हासन की फिल्म 'एक दूजे के लिए' रिलीज हुई, तो इसके एक पोस्टर में कमल हासन को 'इंडिया का नंबर 1 सुपरस्टार' बताया गया था. लेकिन तमिल सिनेमा के आइकॉनिक एक्टर्स में शामिल कमल का जो टाइटल सबसे ज्यादा पॉपुलर है, वो है 'उलगनायगन' यानी 'यूनिवर्सल हीरो'.
80s से ही हासन की दमदार एक्टिंग का लोहा लोगों ने मानना शुरू कर दिया था. मगर असली धमाका 1992 में आई 'तेवर मगन' से हुआ, जिसे भारत ने ऑस्कर के लिए अपनी ऑफिशियल एंट्री बनाया. फिल्म के लिए कहानी भी कमल हासन ने ही लिखी थी. लोगों ने ये कहना शुरू कर दिया कि कमल इंडिया के लिए ऑस्कर ला सकते हैं. 'यूनिवर्सल स्टार' या 'उलगनायगन' का टाइटल जनता की इसी फीलिंग से उपजा था. लेकिन क्या आपको पता है कि पहली बार कमल के लिए ये टाइटल इस्तेमाल किसने किया?
कमल ने 1991 में एक हिस्टोरिकल ड्रामा फिल्म 'मरुधनायगम' के आईडिया पर काम करना शुरू किया था, जिसे वो खुद डायरेक्ट करने वाले थे. इसका काम कई बार शुरू हुआ और बंद हो गया. जब 1999 में इस फिल्म का काम टला तो कमल ने दो फिल्मों पर काम शुरू किया. एक थी 'हे राम' जिसे वो खुद डायरेक्ट कर रहे थे. दूसरी फिल्म डायरेक्ट करने के लिए उन्होंने डायरेक्टर के.एस. रविकुमार को दी. कुछ दिनों बाद उन्होंने ये फिल्म प्रोड्यूस करने का ऑफर भी रविकुमार को दे दिया. बाद में दिए एक इंटरव्यू में रविकुमार ने बताया कि इस फिल्म के फाइनेंस का काम कमल के भाई संभाल रहे थे. दोनों ने पूरी फिल्म में उनकी इतनी मदद की कि उन्हें लगा इसके बदले उन्हें कुछ तो करना चाहिए. उन्होंने तय किया कि वो कमल को 'उलगनायगन' का टाइटल देंगे.
रविकुमार, कमल की अगली फिल्म के शूट पर पहुंचे और केवल उनकी आंखों का एक शॉट रिकॉर्ड कर लाए. उन्होंने ग्राफिक्स की मदद से छोटा सा वीडियो बनाया जिसमें पहले कमल का ऑफिस दिखता है, फिर चेन्नई, तमिलनाडु, भारत और फिर धरती. ये धरती फिर एक छोटे काले गोले में बदल जाती है जो कमल हासन की आंख है और वो पलक झपकाते हैं. और फिर लिखा आता है 'उलगनायगन'. कमल ने रविकुमार को जो फिल्म डायरेक्ट करने को दी थी वो 'तेनाली' नाम से साल 2000 में रिलीज हुई. 'तेनाली खूब पसंद की गई और फिल्म की शुरुआत में दिखा कमल हासन का टाइटल 'उलगनायगन', हमेशा के लिए लोगों के मन में बैठ गया.
इससे पहले भी कमल का एक टाइटल था जो अब भी लोगों को याद है- नम्मावर. जिसका मतलब है 'हमारा अपना आदमी'. कमल ने 'नम्मावर' (1984) नाम की फिल्म में एक प्रोफेसर का किरदार निभाया जो अपने स्टूडेंट्स को एक जिम्मेदार नागरिक बनना सिखाता है. कमल की सोच और समाज को लेकर उनकी समझ के साथ ये नाम भी लोगों में बहुत पॉपुलर हुआ. 2018 में जब कमल ने खुद की पोलिटिकल पार्टी बनाई, तो कहा कि 'अब मैं फिर से उलगनायगन से, नम्मावर बन गया हूं'.
अजित कुमार
90s में डेब्यू करने वाले अजित कुमार के लोग हमेशा से फैन्स थे. लेकिन 2001 में आई फिल्म 'दीन' (Dheena) से उनकी इमेज एक पक्के वाले एक्शन हीरो की बनी. इस फिल्म में हीरो बने अजित का किरदार, हर कनफ्लिक्ट का इलाज अपने धांसू एक्शन से कर रहा था. फिल्म के एक गाने में उनके किरदार के लिए 'थाला' शब्द इस्तेमाल किया गया था. बस यहीं से जनता के स्टार कहे जाने वाले अजित के नाम में ये टाइटल जुड़ गया. 'थाला' मतलब लीडर.
विक्रम
हिंदी दर्शक, सलमान खान की फिल्म 'तेरे नाम' के बारे में न जानते हों, ये लगभग असंभव है. लेकिन बहुत से दर्शक ये नहीं जानते कि 'तेरे नाम' असल में, तमिल फिल्म 'सेतु' का रीमेक थी. 'सेतु' के हीरो थे विक्रम.
सिर्फ विक्रम कहा जाए, तो बहुत से लोग शायद न पहचान पाएं कि किस एक्टर की बात हो रही है. असली नाम केनेडी जॉन विक्टर बताया जाए, तब तो और भी कम लोग पहचानेंगे. लेकिन 'चियान' विक्रम कहते ही सबको एकदम से समझ आ जाता है कि किसकी बात हो रही है. वही एक्टर जिन्हें मणिरत्नम की तमिल एपिक 'पोन्नियिन सेल्वन' में चोल राजा आदित्य करिकालन का किरदार निभाने के लिए खूब तारीफ मिली.
'सेतु' में विक्रम के किरदार का निकनेम 'चियान' था. तमिल का ये शब्द गंभीरता और ज्ञान दिखाता है. चियान के इंटरव्यूज से आप जान सकते हैं कि ये टाइटल उनपर सच में बहुत जमता है. वो खुद भी अपने फैन्स और फिल्ममेकर्स से कह चुके हैं कि उन्हें विक्रम की बजाय 'चियान' कहकर ही बुलाया जाए. उन्हें अपना टाइटल इतना पसंद है.
विजय
जोसफ विजय चंद्रशेखर ने उर्फ विजय ने करियर की शुरुआत में अपने पिता एस.ए. चंद्रशेखर के साथ खूब काम किया. डेब्यू के दो साल बाद, 1994 में उनके पिता ने उन्हें लेकर फिल्म 'रसिगन' बनाई. इसमें उनके नाम के साथ पहली बार 'इलयाथलपति' टाइटल लगाया गया, यानी युवा लीडर.
'रसिगन' विजय की पहली बड़ी हिट साबित हुई और उनका ये टाइटल भी लोगों को याद हो गया. लेकिन जब डायरेक्टर एटली कुमार ने विजय के साथ 'मर्सल' (2017) बनाई, तो उन्होंने तय किया कि उनके 43 साल के हीरो के टाइटल के साथ अब 'यंग' हटा दिया जाना चाहिए. एटली ने पहली बार अपनी फिल्म में विजय को 'थलपति' टाइटल के साथ इंट्रोड्यूस किया. 'मर्सल' रिलीज हुई और बॉक्स ऑफिस पर चल निकली. विजय अब 'इलयाथलपति' से 'थलपति' बन गए.
सूर्या
तमिल इंडस्ट्री के बड़े स्टार्स में अगर कोई एक ऐसा है जिसका टाइटल कम ही लोगों को याद रहता है, तो वो हैं सूर्या. ऑरिजिनल 'सिंघम' 'गजिनी' और 'सोरारई पोटरू' के एक्टर. पिछले साल आई 'विक्रम' में रोलेक्स भाई बने सूर्या, सिर्फ कुछ मिनटों के लिए स्क्रीन पर थे, और थिएटर्स में सीटियों-तालियों की आवाजें सुनने लायक थीं.
सूर्या ने 1997 में अपना डेब्यू किया लेकिन उनकी फिल्में कामयाब नहीं हो रही थीं. बाद के एक इंटरव्यू में सूर्या ने माना कि शुरुआत में कॉन्फिडेंस, मेमोरी पावर और फाइट या डांस का टैलेंट न होने से उन्होंने बहुत स्ट्रगल किया. लेकिन फिर उनके मेंटोर, एक्टर रघुवरन ने सलाह दी कि वो अपनी एक अलग पहचान बनाएं और सेट फ़ॉर्मूला न फॉलो करें. सूर्या ने इस सलाह को सीरियसली लिया और इसका असर दिखा उनकी फिल्म 'नंदा' (2001) में.
फिल्म में सूर्या ने एक ऐसे लड़के का किरदार निभाया जो अपनी मां से बहुत प्यार करता है और उसे परेशान करने की वजह से अपने पिता की ही हत्या कर देता है. फिल्म की ट्रैजिक एंडिंग और सूर्या की परफॉरमेंस ने लोगों को झिंझोड़ कर रख दिया. इस फिल्म में उन्होंने जो सॉलिड एक्टिंग की उसी ने उन्हें फैन्स से टाइटल दिलवाया 'नदिप्पिन नायकन' जिसका मतलब है एक्टिंग की कला में सबसे बेस्ट. 'नंदा' के लिए सूर्या को तमिलनाडु सरकार का स्टेट अवार्ड भी मिला और फिल्मफेयर नॉमिनेशन भी. 'नदिप्पिन नायकन' टाइटल इस्तेमाल बहुत कम किया जाता है, लेकिन अपनी बाद की फिल्मों में दमदार एक्टिंग से सूर्या ने प्रूव किया कि वो इस टाइटल के वास्तव में हकदार हैं. एक छोटा सा दिलचस्प किस्सा ये भी है कि 'विक्रम' में रोलेक्स भाई का किरदार निभाने वाले 'नदिप्पिन नायकन' सूर्या से इम्प्रेस होकर, 'उलगनायगन' यानी यूनिवर्सल हीरो कमल हासन ने अपनी रोलेक्स घड़ी गिफ्ट की थी.
विजय सेतुपति
'विक्रम वेधा' 'सुपर डीलक्स' और 96 जैसी फिल्मों में जानदार परफॉरमेंस देने वाले विजय सेतुपति का भी एक टाइटल है. उन्हें 'मक्कल सेल्वन' कहा जाता है. इसका मतलब है 'जिसके प्यार जनता के प्यार की दौलत है' यानी जिसे आम जनता बहुत प्यार करती है. उन्हें ये टाइटल फिल्म 'धर्मदुराई' के शूट के दौरान, डायरेक्टर सीनू रामस्वामी ने दिया था.
सेतुपति के टाइटल के पीछे का किस्सा बताता है कि वो लोगों में इतने पॉपुलर क्यों हैं. फिल्म के एक गाने का शूट होना था और सेतुपति अपने क्रू से भी पहले लोकेशन पर पहुंच गए. वो बैठे हुए सबका इंतजार ही कर रहे थे कि कहीं से इमली वाले चावल बनने की महक आने लगी. ये तो आप जानते ही होंगे कि लेमन राइस के साथ, ये इमली वाले चावल भी साउथ में खूब पसंद किए जाते हैं.
फिल्म के सेट के पास ही एक मंदिर था, जहां मुन्नार से आए कुछ मजदूर अपने लिए खाना बना रहे थे. सेतुपति ने अपने ड्राईवर को भेजकर ये पूछने को कहा कि क्या वो उनके साथ थोड़ा सा खा सकते हैं? उन्होंने प्लेट में सेतुपति के ले वो इमली वाले चावल दे दिए. जब डायरेक्टर सीनू सेट पर पहुंचे, तो विजय ने उन्हें भी थोड़े से चावल खिलाए. सीनू को भी चावल बहुत टेस्टी लगे तो उन्होंने उन मजदूरों से थोड़े और मांग लिए. एक इंटरव्यू में विजय सेतुपति ने खुद बताया था कि इस घटना के बाद सीनू ने उन्हें 'मक्कल सेल्वन' का टाइटल दिया और साथ में 500 रुपये भी दिए.