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रावण कैसा दिखता था? रावण का व्यक्तित्व कैसा था? मेगाबजट की फिल्म 'आदिपुरुष' का टीजर जारी होते ही इस सवाल पर फिर से चर्चा होने लगी है. 'तान्हाजी' फेम के डायरेक्टर ओम राउत की इस फिल्म में रावण के किरदार में सैफ अली खान नजर आ रहे हैं. फिल्म आदिपुरुष में रावण के गेटअप में सैफ अली खान कई लोगों को पसंद नहीं आ रहे हैं.
कुछ हिन्दू संगठनों ने आरोप लगाया है कि मूवी के निर्माता-निर्देशकों ने फिल्म के टीजर में कुछ दृश्यों में महापंडित रावण को बिना तिलक और त्रिपुंड के दिखाया गया है. कुछ लोगों रावण के बालों को लेकर आपत्ति है, तो कुछ उसके काजल लगाने पर विरोध जता रहे हैं. हालांकि फिल्म के टीजर को देखने पर पता चलता है कि कुछ दृश्यों में रावण तिलक लगाये दिख रहा है. हिन्दू महासभा के अध्यक्ष आचार्य चक्रपाणि ने कहा है कि शिव तांडव स्तोत्र की रचना करने वाले रावण को बिना तिलक के दिखाना कैसा निर्णय है. उन्होंने कहा कि रावण का किरदार महापंडित रावण जैसा न दिखकर अलाउद्दीन खिलजी जैसा लग रहा है.
रावण को टीवी स्क्रीन पर जीवंत करने का श्रेय जाता है रामायण सीरियल के निर्माता रामानांद सागर को. रावण की भूमिका में अरविंद त्रिवेदी की रौबदार मूंछे, गरज भरी आवाज, शिव तांडव की स्तुति और विशाल काया को देख दर्शकों ने तो यही समझा कि हो न हो त्रेता युग का रावण ऐसा ही दिखता था. रावण की ये छवि तीन दशकों तक दर्शकों के मन में कायम रही. इस बीच कई अभिनेताओं ने रावण का रोल निभाया लेकिन हिन्दी पट्टी में रावण के 'खलनायक' चरित्र को प्रकट करने में अरविंद त्रिवेदी ही सबसे ज्यादा सफल रहे.
फिल्म आदिपुरुष का टीजर जारी होने के बाद एक बार फिर से सैफ अली खान का किरदार रावण के रोल को लेकर चर्चा में है. अगर हम हिन्दू धार्मिक ग्रंथों की चर्चा करें तो वाल्मीकि रचित रामायण में रावण के व्यक्तित्व की व्यापक चर्चा देखने को मिलती है.
वाल्मीकि उसके गुणों को साफगोई के साथ स्वीकार करते हुये उसे चारों वेदों का ज्ञाता और प्रकांड पंडित बताते हैं. रामायण में जब हनुमान रावण के दरबार में प्रवेश करते हैं तो उस समय रावण के ओज का वर्णन करते हुए वाल्मीकि लिखते हैं,
अहो रूपमहो धैर्यमहोत्सवमहो द्युति:। अहो राक्षसराजस्य सर्वलक्षणयुक्तता॥
अर्थात रावण को देखते ही हनुमानजी मंत्रमुग्ध हो जाते हैं और कहते हैं कि रूप, सौन्दर्य, धैर्य, कान्ति तथा सर्वलक्षणयुक्त होने पर भी यदि इस रावण में अधर्म न होता तो यह देवलोक का भी स्वामी बन जाता. आदिकवि वाल्मीकि रामायण में कई स्थानों पर राक्षसराज रावण के चरित्र को उभारा है. उन्होंने रावण के ऐश्वर्य, यश और पराक्रम की प्रशंसा की है.
गोस्वामी तुलसीदास भी रावण की साज सज्जा का वर्णन राम चरितमानस में करते हैं. रावण जब अशोक वाटिका में सीता जी से मिलने आता है तो उस समय का प्रसंग का वर्णन करते हुए तुलसीदास लिखते हैं.
तरु पल्लव महँ रहा लुकाई। करइ बिचार करौं का भाई
तेहि अवसर रावनु तहँ आवा। संग नारि बहु किएँ बनावा
यानी कि रावण जब अशोक वाटिका आया तो हनुमान जी वृक्ष के पत्तों में छिपे रहे. उसी समय बहुत सी स्त्रियों को साथ लिए सज-धजकर रावण वहां आया. तुलसीदास स्वर्णमंडित लंका की रामचरित मानस में कई स्थानों पर प्रशंसा करते हैं.
रामचरित मानस में अंगद और रावण के बीच लंकापति के दरबार में संवाद के दौरान तुलसीदास के शब्दों में रावण की शक्ति का वर्णन हुआ है. अंगद जब रावण के दरबार में आता है तो रावण को देख वह आश्चर्यचकित होता है.
तुलसीदास लिखते हैं,
आयसु पाइ दूत बहु धाए। कपिकुंजरहि बोलि लै आए
अंगद दीख दसानन बैसें। सहित प्रान कज्जलगिरि जैसें
*भुजा बिटप सिर सृंग समाना। रोमावली लता जनु नाना
मुख नासिका नयन अरु काना। गिरि कंदरा खोह अनुमाना
यानी कि आज्ञा पाकर बहुत से दूत दौड़े और अंगद को बुला लाए. अंगद ने रावण को ऐसे बैठे हुए देखा, जैसे कोई सजीव काजल का पहाड़ हो. रावण की भुजाएं वृक्षों के और सिर पर्वतों के शिखरों के समान हैं. रोमावली मानो बहुत सी लताएं हैं. मुंह, नाक, नेत्र और कान पर्वत की कन्दराओं और खोहों के बराबर हैं.
रावण अपनी शक्ति का बखान करते हुए अंगद से कहता है, "अरे वानर! व्यर्थ बक-बक न कर, अरे मूर्ख! मेरी भुजाएं तो देख। ये सब लोकपालों के विशाल बल रूपी चंद्रमा को ग्रसने के लिए राहु हैं.
फिल्म आदिपुरुष के टीजर में रावण के किरदार को एक विचित्र और भयावह पक्षी पर बैठा दिखाया गया है. इसे लेकर भी लोग आलोचना कर रहे हैं और कह रहे हैं कि रावण का पुष्पक विमान ऐसा नहीं था. रावण के पुष्पक विमान की चर्चा करते हुए वाल्मीकि लिखते हैं, 'यह मेघों के समान उच्च, स्वर्ण समान चमकीला, पुष्पक भूमि पर एकत्रित स्वर्ण के समान लगता था.' वे कहते हैं कि आकाश में विचरण करते हुए यह विमान श्रेष्ठ हंसों द्वारा खींचा जाते हुए दिखाई देता था. इसका निर्माण अति सुन्दर ढंग से किया गया था.
रामायण में वाल्मीकि लिखते हैं, "तस्य ह्म्यर्स्य मध्यथ्वेश्म चान्यत सुनिर्मितम। बहुनिर्यूह्संयुक्तं ददर्श पवनात्मजः॥"
रामचरित मानस में भी तुलसीदास ने पुष्पक विमान की चर्चा की है. लंका विजय के बाद राम के अयोध्या वापसी का वर्णन करते हुए तुलसीदास लिखते हैं,
चलत बिमान कोलाहल होई। जय रघुबीर कहइ सबु कोई
सिंहासन अति उच्च मनोहर। श्री समेत प्रभु बैठे ता पर
अर्थात विमान के चलते समय बड़ा शोर हो रहा है, लोग राम की जयकार कर रहे हैं, विमान में एक अत्यंत ऊंचा मनोहर सिंहासन है. उस पर सीताजी सहित प्रभु रामचंद्र विराजमान हैं.
फिलहाल फिल्म से जुड़े विवादों के सिलसिले में ओम राउत की आदिपुरुष भी आ गई है. इन विवादों को लेकर फिल्म के निर्माता निर्देशक की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.