सलमान खान स्टारर फिल्म 'किसी का भाई किसी की जान' की रिलीज हो चुकी है. फिल्म में सलमान ने साउथ के दर्शकों को लुभाने के मकसद से वहां के बड़े स्टारकास्ट समेत उसमें साउथ फ्लेवर भी डाला था. हालांकि सलमान का यह एक्सपेरिमेंट उन पर ही उल्टा पड़ गया. साउथ की दर्शकों ने 'स्टीरियोटाइप' करार देते हुए फिल्म को सिरे से नकार दिया. इसके अलावा सलमान का जादू न चलने की और भी क्या वजह रही होगी, बता रहें है साउथ फिल्मों के ट्रेड एनालिस्ट रमेश बाला..
पठान के कलेक्शन से भी आधी है पहले वीकेंड की कमाई
रमेश बाला आजतक डॉट इन से एक्सक्लूसिव बातचीत पर बताते हैं, फिल्म का पहले दिन का कलेक्शन पूरे साउथ बेल्ट को मिलाकर कुल तीन करोड़ का था. वीकेंड में फिल्म के कलेक्शन में थोड़ा उछाल आया, जो तकरीब शनिवार को 4 और रविवार को 5 करोड़ तक पहुंचा है. रमेश बाला के अनुसार इसका भी बड़ा कारण यह था कि हिंदी फिल्मों में एक लंबे समय बाद वेकेंटेश आ रहे थे. तो उन्हें देखने के लिए तेलुगु ऑडियंस की भीड़ पहुंची थी. इसके साथ ईद के मौके पर मुस्लिम बेल्ट एरियाज में फिल्म का रिस्पॉन्स पहले दिन की तुलना में अच्छा था. कुल मिलाकर फिल्म ने लगभग 12 करोड़ का ही बिजनेस किया है. जबकि इससे पहले शाहरुख खान की फिल्म पठान रिलीज हुई थी, तो तीन दिन का कलेक्शन लगभग 30 करोड़ था, जिसके हाफ तक भी सलमान की यह फिल्म नहीं पहुंच पाई है.
साउथ इंडियंस को स्टीरियोटाइप बनाकर किया पेश
साउथ ऑडियंस के रिस्पॉन्स पर रमेश बताते हैं, कई फैंस फिल्म देखने के बाद निराश हो गए थे. सोशल मीडिया पर भी चर्चा चली. दरअसल फैंस को फिल्म के कुछ सीन्स से बहुत आपत्ति थी. खासकर फिल्म के 'लुंगी' सॉन्ग को लेकर बवाल हुआ है, उन्होंने गाने की जमकर आलोचना भी की है. यहां के लोग उसे लुंगी नहीं बल्कि धोती या मुंडू कहते हैं. मतलब आप किसी के कल्चर को शोकेस कर रहे हैं, तो उसे पूरी इंफोर्मेशन के साथ पेश किया जाना चाहिए था.
वहीं कुछ ऑडियंस का मानना था कि साउथ इंडियन का कैरिकेचर बनाकर रख दिया गया है. बहुत ही स्टीरियोटाइप तरीके से साउथ के कल्चर को प्रेजेंट किया गया था. यहां तक की कई फैंस राम चरण और वेकंटेश को भी बुरा भला कह रहे थे कि आखिर क्यों उन्होंने इस गाने के लिए अपनी हामी भरी थी.
रीमेक का जादू यहां नहीं चल पाता है
बता दें, किसी का भाई किसी की जान साउथ की ही फिल्म वीरम की रीमेक है. रमेश ला बताते हैं, अमूमन साउथ में पहले ही दर्शकों ने अपने लैंग्वेज में ओरिजनल फिल्में देख ली होती हैं, तो रीमेक पर बनी फिल्में यहां नहीं चल पाती हैं. 2014 में अजीत कुमार की वीरम आई थी. फिर 2017 में पवन कल्याण ने तेलुगू में कटमरायुडु किया था. 2019 में कन्नड़ में इसकी रीमेक ओडेया बनी थी. नेटिव लैंग्वेज में देखने के बाद लोग क्यों वही कहानी दोबारा देखने जाएं. नतीजतन आंध्रा के पब्लिक के बीच फिल्म का रिस्पॉन्स बाकि स्टेट की तुलना में बेहतर रहा. वहीं तेलुगु में वेंकी और जगपत्ती बाबू की वजह से यहां के ऑडियंस का फुटफॉल डिसेंट रहा था.