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सुशांत केसः पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के ‘मिसिंग लिंक्स’ में छुपा है मौत का राज?

करीब दो दशक का अनुभव रखने वालीं पेशेवर फोरेंसिक एक्सपर्ट, निशा मेनन ने स्वतंत्र रूप से इस केस से जुड़े बयानों और समरी रिपोर्ट्स की जांच की जो पब्लिक डोमेन में उपलब्ध हैं.

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सुशांत सिंह राजपूत
सुशांत सिंह राजपूत

सुशांत सिंह राजपूत की मौत के सिलसिले में चश्मदीदों के बयान मोटे तौर पर एक्टर की पोस्ट मार्टम रिपोर्ट से मेल खाते हैं. ये निष्कर्ष इस हाई प्रोफाइल केस में इंडिया टुडे की ओर से स्वतंत्र तौर पर कराई गई फॉरेन्सिक जांच का है. हालांकि सुशांत सिंह राजपूत की आटोप्सी के जो कुछ ‘मिसिंग लिंक्स’ लग रहे हैं, उनको ध्यान में रखते हुए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की तकनीकी क्षमताएं जांच को तार्किक नतीजे तक पहुंचाने में अहम साबित हो सकती हैं.

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मेथेडोलॉजी

करीब दो दशक का अनुभव रखने वालीं पेशेवर फोरेंसिक एक्सपर्ट, निशा मेनन ने स्वतंत्र रूप से इस केस से जुड़े बयानों और समरी रिपोर्ट्स की जांच की जो पब्लिक डोमेन में उपलब्ध हैं.

मेनन नवी मुंबई स्थित स्क्वायर एडवाइजर्स फोरेंसिक लैब में टैक्नीकल डायरेक्टर हैं. उन्होंने घटनाओं की टाइमलाइन और घटनास्थल के ले-आउट का विश्लेषण करने के बाद इंडिया टुडे के साथ रिपोर्ट्स की सीरीज में अपनी राय साझा की. मेनन के मुताबिक राजपूत की पोस्ट मार्टम रिपोर्ट के निष्कर्षों में कुछ अंतर हैं.

मेनन ने कहा, "हमने अपनी ऑब्जर्वेशन के आधार पर अपने काल्पनिक निष्कर्ष निकाले. जबकि असल भौतिक सबूत जांचकर्ताओं के पास मौजूद हैं." मेनन के मुताबिक, "और ये काल्पनिक निष्कर्ष बताते हैं कि जहां तक चश्मदीदों के बयानों का सवाल है, वे काफी हद तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट से मेल खाते हैं."

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SSR फाइल्स पार्ट 1: सबूतों का मिलान

याद कीजिए, मुंबई पुलिस ने 14 जून को ही राजपूत की मौत को लटकने से हुई खुदकुशी घोषित कर दिया था, उसी दिन जिस दिन एक्टर का शव बांद्रा स्थित माउंट ब्लैंक अपार्टमेंट से लटका मिला था.मुंबई पुलिस ने उसी दिन ‘एक्सीडेंटल डेथ’ रिपोर्ट फाइल करने के साथ अपनी जांच शुरू की. राजपूत के दोस्त सिद्धार्थ पिठानी ने 8-9 जून की मध्य रात को दिशा सालियन की मौत के मीडिया कवरेज से एक्टर के परेशान होने की बात कही.

सालियन एक टेलेंट कंपनी की पूर्व मैनेजर थीं, जिस कंपनी ने राजपूत के अकाउंट को हैंडल किया था. सालियन की मौत कथित तौर पर एक इमारत से गिरने या गलती से कूदने की वजह से हुई.पिठानी ने इंडिया टुडे को पूर्व में दिए एक इंटरव्यू में कहा, “मुझे ठीक से नहीं पता कि वो (राजपूत) किस हाल से गुजर रहे थे. काश मैंने उनसे पूछा होता कि वो क्या सोच रहे हैं. शायद हमने इसके लिए कुछ किया होता.”

इंडिया टुडे को दिए अपने बयान में राजपूत के हाउसकीपर नीरज ने बताया कि एक्टर को 14 जून क्या सर्व किया गया और डोर खोलने के लिए कॉल करने पर भी रूम के अंदर से कोई जवाब नहीं मिलने पर चश्मदीदों का क्या रिस्पॉन्स रहा था. ताले वाला एक कारीगर मोहम्मद रफी शेख, इस बात पर पुख्ता था कि उसने अपार्टमेंट का दरवाजा खोलने में कैसे मदद की.शेख ने बताया, "यह दोपहर को करीब 1:30 या 1:45 का वक्त था जब ताला तोड़ कर खोला गया.”

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मेनन ने अपनी कई सेक्शन वाली रिपोर्ट के पहले पार्ट में उस सारी जानकारी का जिक्र किया.मेनन ने कहा, “ पोस्ट मार्टम रिपोर्ट में 50 सीसी भूरे द्रव का उल्लेख है. ये पाचक जूस और फ्रूट जूस के ट्रेस का मिश्रण हो सकता है, जिसे नीरज ने एक्टर को देने की बात कही थी.”मेनन के मुताबिक, हमारा वैज्ञानिक ऑब्जर्वेशन, बयान और पोस्ट मार्टम के निष्कर्ष से मेल खाता है, कि राजपूत की मौत फ्रूट जूस और नारियल पानी लेने के 30-45 मिनट बाद हुई.” मेनन की फॉरेन्सिक रिपोर्ट में सुबह साढ़े दस बजे से दोपहर एक बजे के बीच राजपूत की मौत होने का अनुमान लगाया है.

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मिसिंग लिंक्स

लेकिन विशेषज्ञ ने एक्टर की आटोप्सी में कुछ मिसिंग लिंक्स पाए, जिसके बारे में वे कहती हैं कि अमूमन ऑटोप्सी जैसा काम उच्च-प्रशिक्षित प्रैक्टीशनर्स की ओर से किया जाता है. मेनन ने नोट किया कि एक और मुद्दा ‘लिवर मोर्टिस’ से जुड़ा था. यह एक व्यक्ति के मरने पर ग्रेविटी की वजह से किसी हिस्से में खून के जमा होने (पूलिंग) से संबंधित होता है.

मेनन ने कहा, "जहां तक लिवर मोर्टिस का संबंध है. यह स्पष्ट नहीं है कि पूलिंग पीठ पर या हाथ-पैरों में कहां हुई.”लटक कर होने वाली मौतों में पूलिंग से खून का रंग बदलना पैरों, उंगलियों और कान के पास होता है.

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मेनन ने स्पष्ट करते हुए कहा, "लेकिन यहांं रिपोर्ट में पीठ पर खून का रंग बदलना दिखा, हो सकता है कि क्योंकि यह पीठ (सूपाइन) की मुद्रा में शव के होने की वजह से हुआ. यह स्पष्ट नहीं होता कि किस जगह अधिक पूलिंग थी. ऐसा कोई भी स्पष्टीकरण जांचकर्ताओं को यह स्थापित करने में मदद करता कि शरीर कितनी देर तक लटका रहा?”

आटोप्सी रिपोर्ट में इस जानकारी का गायब होने से मौत के अनुमानित समय को अधिक सटीक रूप से निर्धारित करना सीबीआई के लिए एक चुनौती हो सकता है. मेनन ने कहा, "मुझे उम्मीद है कि उनके पास इन गैप्स को भरने के लिए फोटोग्राफिक सबूत होंगे."

इसके अलावा, मेनन और उनकी टीम का कहना है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में शव के रंग बदलने का भी उल्लेख नहीं किया गया है.

फॉरेन्सिक विशेषज्ञ ने कहा, "फांसी से होने वाली मौत में, बॉडी पार्ट्स में बैंगनी रंगत दिखती है. यह रंगत मौत के कारण जानने में मदद करती है. कोई भी अन्य रंगत हो तो वो अन्य कारणों की ओर इशारा करती है जैसे कि जहर या ब्ल़ड पायजनिंग आदि. मुझे फिर से उम्मीद है कि जांचकर्ताओं के पास इस गैप को भरने के लिए पर्याप्त वीडियोग्राफिक सबूत होंगे.”

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मेनन की टीम, हालांकि, बताती है कि लटकने से होने वाली मौतों में सस्पेंशन का ऊंचा पाइंट होता है जिसमें कि शरीर मुक्त रूप से झूलता है. ये सस्पेशंन के कम ऊंचे पाइंट से भी हो सकता है कि अगर शख्स घुटने पर झुका होने, बैठे होने या अधलेटा होने की मुद्रा में हो.

इससे व्यूअर्स को सुशांत के बांद्रा अपार्टमेंट का 13 जून की रात को नजदीक से और विहंगम दृश्य देखने को मिलता है. इससे अगले दिन ही एक्टर का शव उनके रूम में सीलिंग फैन से कथित तौर पर कुर्ते से लटका मिला.

इंडिया टुडे ने सुशांत के घर का एक 3D मॉडल निर्माण किया, जिसमें एक्टर की रहस्यमयी मौत से जुड़े घटनाक्रम को विजुएलाइज किया गया.

3D मॉडल

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इससे व्यूअर्स को राजपूत के बांद्रा अपार्टमेंट का 13 जून की रात को नजदीक से और विहंगम दृश्य देखने को मिलता है. इससे अगले दिन ही एक्टर का शव उनके रूम में सीलिंग फैन से कथित तौर पर कुर्ते से लटका मिला.

 

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