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Trial of the Chicago 7: 1968 की US हिंसा के बाद चले ऐतिहासिक ट्रायल की कहानी

नेटफ्लिक्स पर 16 अक्टूबर को रिलीज़ हुई Trial of the Chicago 7, करीब सवा दो घंटे की फिल्म है. जिसे एरॉन सॉरकिन ने डायरेक्ट किया है. एरॉन इससे पहले कई ऐसी फिल्में बना चुके हैं जो असल ज़िंदगी या किसी किताब पर आधारित हो, स्टीव जॉब्स उनमें से एक हैं.

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Trial of the Chicago 7 (File Photo: Getty Images)
Trial of the Chicago 7 (File Photo: Getty Images)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • अमेरिकी चुनाव से पहले आई एक और राजनीतिक फिल्म
  • नेटफ्लिक्स ने रिलीज़ की Trial of the Chicago 7
  • 1968-69 की अमेरिकी हिंसा के बाद की कहानी

अमेरिका में चुनावी माहौल है और कुछ ही दिनों में दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र अपना नया राष्ट्रपति चुनेगा. ये चुनावी साल काफी परेशानियां लेकर आया, जिसमें कोरोना संकट से पहले अमेरिका में चला हिंसा का दौर शामिल था. कुछ जगह श्वेत बनाम अश्वेत की जंग थी, तो कुछ जगह मौजूदा सरकार के प्रति गुस्सा. इस बीच नेटफ्लिक्स एक नई फ़िल्म लेकर आया है, जो अमेरिकी इतिहास में हुई सबसे बड़ी घरेलू हिंसा और उसके बाद चले कोर्ट ट्रायल की कहानी को दिखाता है. फिल्म का नाम है, ‘Trial of the Chicago 7’.

क्या कहती है नेटफ्लिक्स की नई फिल्म?
नेटफ्लिक्स पर 16 अक्टूबर को रिलीज़ हुई Trial of the Chicago 7, करीब सवा दो घंटे की फिल्म है. जिसे एरॉन सॉरकिन ने डायरेक्ट किया है. एरॉन इससे पहले कई ऐसी फिल्में बना चुके हैं जो असल ज़िंदगी या किसी किताब पर आधारित हो, स्टीव जॉब्स उनमें से एक हैं. साल 1968 में अमेरिकी चुनाव से पहले वहां हिंसा भड़की थी, जब कुछ ग्रुप ने डेमोक्रेटिक पार्टी के कन्वेंशन के बाहर प्रदर्शन करना चाहा था लेकिन हिंसा ज्यादा बढ़ गई और फिर ग्रुप के लीडर पर केस चला और सज़ा सुनाई गई. इसी कहानी को नई फिल्म में दिखाया गया है, इस किस्से पर अब से पहले भी कई फिल्में और टीवी सीरीज़ बन चुकी हैं. 

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क्या है उस ट्रायल की असली कहानी?
दरअसल, 1968 में हुआ अमेरिकी चुनाव काफी विवादों से भरा रहा. चुनावी साल में अमेरिकी लीडर मार्टिन लूथर किंग की हत्या कर दी गई, अमेरिका और वियतनाम की जंग चल रही थी और फिर जॉन एफ. कैनेडी के भाई बॉब कैनेडी की भी हत्या हो गई थी. इसी के बाद अमेरिका में जगह-जगह हिंसा शुरू हुई थी. इस बीच चुनाव की तारीख नज़दीक आई और फिर डेमोक्रेटिक पार्टी का कन्वेंशन शुरू हुआ. अगस्त में ये कन्वेंशन शिकागो में हो रहा था, लेकिन उसके खिलाफ कई संगठनों ने आवाज़ बुलंद की. इस कन्वेंशन में डेमोक्रेटिक पार्टी ह्यूबर्ट हम्फ्री को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार घोषित करने वाली थी, जिसका काफी विरोध हो रहा था. 

विरोध प्रदर्शन के बाद हुआ था बवाल (Getty Images, File Photo)


क्या है शिकागो 7 या शिकागो 8? 
इस सबके बीच कुछ अमेरिकी एक्टिविस्ट ने वियतनाम वॉर और डेमोक्रेटिक कन्वेंशन के खिलाफ शिकागो में प्रदर्शन करने का प्लान किया. जिसमें एबि हॉफमैन, जेरी रुबिन, डेविड डेलिंगर, टॉम हेडन, रेनि डेविस, जॉन फ्रॉनिस और लीव वीनर शामिल थे. इन्हें ही ‘शिकागो 7’ नाम दिया गया था. इनसे अलग एक ब्लैक पैंथर पार्टी के बॉब सील भी थे, जिन्हें मिलाकर पूरा नाम शिकागो 8 बना, लेकिन बाद में ट्रायल से उनका नाम हट गया जो अंत में ‘द ट्रायल ऑफ शिकागो 7’ की तरह जाना गया. अलग-अलग संगठन से जुड़े इन एक्टिविस्ट पर आरोप था कि प्रदर्शन के नाम पर सभी ने अपने समर्थकों के साथ पुलिस के संग लड़ाई की और बाद में शिकागों की सड़कों पर हिंसा फैलाई.  

शिकागो में 26 से 29 अगस्त के बीच डेमोक्रेटिक पार्टी का कन्वेंशन चल रहा था और 28 अगस्त को सभी एक्टिविस्ट ने एक साझा प्रदर्शन किया था, जिसके बाद हिंसा भड़क गई थी. प्रदर्शन का असर ये हुआ था कि चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी की हार हुई थी और रिपब्लिकन पार्टी से रिचर्ड निक्सन चुनाव जीत गए थे.

असली ट्रायल में क्या हुआ था और फिल्म में क्या दिखाया गया?
हिंसा भड़कने के बाद सभी एक्टिविस्ट के लीडर्स को गिरफ्तार किया गया था, जिनपर हिंसा भड़काने का आरोप लगा था. उसके बाद करीब 6 महीने तक शिकागो की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में ट्रायल चला, जिसे फिल्म में दिखाया गया है. हालांकि, असली ट्रायल और फिल्म में काफी अंतर रहा जिसे फिल्म के हिसाब से बदला गया है. 

दरअसल, हिंसा के बाद जब ट्रायल शुरू हुआ तो अमेरिका में सभी लीडर्स के प्रति एक आंदोलन खड़ा हो गया था जो कि तब की सरकार के प्रति गुस्से का कारण बना था. उसी वक्त चुनाव खत्म हुए थे और फिर सरकार बदलने के बाद जस्टिस डिपार्टमेंट में बदलाव हुआ था. 

ट्रायल के दौरान सातों एक्टिविस्ट की बातों को कोर्ट के जज ज्यूलिस हॉफमैन द्वारा नकारा गया था. फिल्म में दिखाया गया है कि जज ने एक्टिविस्ट पर और उनके वकील पर काफी बार अदालत की अवमानना का केस चलाया, जो कि असल में कुल 175 का आंकड़ा है. इसके साथ ही फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे एक पूर्व अटॉर्नी जनरल एक्टिविस्ट के हक में और पुलिस के खिलाफ बयान देता है. 

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डेमोक्रेटिक कन्वेंशन के दौरान हुआ था विवाद (File Photo, Getty Images)


लेकिन जब ये प्रोटेस्ट हुआ था, तब इसके समर्थन में कई फेमस लेखक, हॉलीवुड स्टार और सिंगर आए थे, जिन्हें बाद में अदालत में गवाही भी देनी पड़ी थी.

हालांकि, अमेरिकी मीडिया की ओर से तब भी इस केस में जज पर एक पक्ष की बात ना सुनने के आरोप लगाए गए थे. लेकिन उनका कोई खास असर नहीं हुआ था. करीब 6 महीने के ट्रायल के बाद 7 में से 5 एक्टिविस्ट को सजा सुनाई गई थी और पांच-पांच साल के लिए जेल भेजा गया था.

लेकिन कुछ वक्त बाद जब ऊपरी अदालत में अपील की गई तो आदेश को पलट दिया गया और सभी बाहर आ गए. इन बड़े मुद्दों के अलावा फिल्म में ऐसे कई किस्से हैं जो सच से अलग हैं, फिर चाहे वो किसी एक एक्टिविस्ट का भरी अदालत में मार्शल को थप्पड़ मारना हो, जो सच नहीं था.

फिल्म के अंत में टॉम हेडन द्वारा शहीदों के नाम पढ़ना, ये कुछ हदतक सही है लेकिन असल में ये नाम डेविड डेलिंगर द्वारा ट्रायल की काफी शुरुआत में पढ़े गए थे, ना कि सजा सुनाने के वक्त. 

अब क्यों इतनी सुर्खियां बटोर रही है ये फिल्म?
नेटफ्लिक्स लगातार ऐसे शो लाता रहा है, जिसमें अमेरिकी इतिहास और कुछ कोर्ट रूम की कहानियों का जिक्र हो. लेकिन ये साल चुनावी है और इस बीच काफी किताबें, फिल्में और टीवी शो आ रहे हैं जो सामाजिक मुद्दों को उठाने का काम कर रहे हैं. अमेरिका में इस साल की शुरुआत से ही सड़कों पर इस तरह की स्थिति बनी हुई है जहां पर प्रदर्शनकारी विरोध कर रहे हैं और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा नेशनल गार्ड्स को उतार दिया गया है, यही वजह है कि अमेरिकी सर्कल में इसकी काफी चर्चा है. 

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