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'मैं कन्नाडिगा हूं, लेकिन एक भारतीय भी हूं', क्यों बोले KGF स्टार यश? साउथ की फिल्मों का मजाक उड़ने पर की बात

इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2022 में यश से पूछा गया कि क्या वो खुद को एक कन्नड़ स्टार मानते हैं जो पैन इंडिया बन गए हैं या वो खुद को पैन इंडिया स्टार की तरह देखते हैं जो कन्नड़ सिनेमा में भी काम करेंगे. यश ने इसके जवाब में कहा, 'मैं कन्नाडिगा हूं, ये नहीं बदल सकता. लेकिन मैं एक भारतीय भी हूं.'

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केजीएफ स्टार यश
केजीएफ स्टार यश

साल 2022 की सबसे बड़ी हिट फिल्म ब्रह्मास्त्र, द कश्मीर फाइल्स, RRR नहीं बल्कि एक ऐसी फिल्म थी जिसने भारत ही नहीं दुनियाभर में बॉक्स ऑफिस पर कमाल किया है. लेकिन पैसे ही नहीं, बल्कि 'केजीएफ' ने एंग्री यंग मैन की इमेज को एक बार फिर सिनेमा पर उतारा है. इसी फिल्म फ्रैंचाइजी ने हम सभी को रॉकिंग स्टार यश से मिलवाया था. शनिवार को रॉकिंग स्टार यश ने इंडिया टुडे कॉन्क्लेव 2022 में शिरकत की. उन्होंने अपनी फिल्म, पर्सनल लाइफ और बॉलीवुड-साउथ संग कई चीजों के बारे में बात की.  

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इस इवेंट में यश से पूछा गया कि क्या आपको अपनी फिल्म केजीएफ 1 और 2 से मिले सक्सेस से कितनी खुशी मिली है. आज बेंगलुरू में ढेरों ऑटो रिक्शा वाले हैं जो रॉकी भाई की ट-शर्ट पहने हैं. यश आज के समय में भारत के सबसे बड़े स्टार हैं. क्या आपने कभी सोचा था कि केजीएफ इतनी बड़ी बनेगी या फिर आप इसे लेकर श्योर नहीं थे.

सालों से ये मुकाम पाना चाहते थे यश

उन्होंने कहा, 'मैं चाहता हूं कि आप मेरी बात सुनकर मुझे घमंडी ना समझें, लेकिन मैं लंबे समय से चाहता था ऐसा हो. और मैंने रोज अपनी जिंदगी में इसके सपने देखे हैं. मैं लगभग 5-6 सालों से इसका इंतजार कर रहा था. अगर कोई मुझसे अब पूछता है कि आपको इसे लेकर क्या महसूस होता है. तो मैं कहता हूं कि मैं इसे लेकर सालों से जी रहा हूं, तो इसका उतना बड़ा असर मुझपर नहीं हुआ. अब मैं आगे की सोच रहा हूं. मुझे ये फेम चाहिए था. हां, मैं सक्सेस के स्केल से जरूर सरप्राइज हुआ था. लेकिन मैं मानता हूं कि भारत एक ऐसा देश है, जिसमें बहुत टैलेंट है. हमारे अंदर बहुत क्षमता है. अगर हम साथ आए तो कमाल कर सकते हैं. सिनेमा की पॉसिबलिटी के बारे में सोचें तो हम इससे भी बेहतर बहुत बड़ा कुछ कर सकते हैं.' 

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साउथ की फिल्मों का उड़ाया जाता था मजाक

साउथ सिनेमा, ब्लॉकबस्टर पर ब्लॉकबस्टर दे रहा है. बॉलीवुड फिल्मों के बीच एक कन्नड़ स्टार आता है और महफिल लूटकर ले जाता है. ऐसे में यश से पूछा गया कि वह साउथ की फिल्मों को मिलने वाली सफलता के बारे में क्या कहना चाहेंगे. यश जवाब में कहते हैं, '10 सालों से यहां डबिंग वाली फिल्में पॉपुलर होना शुरू हुई हैं. शुरुआत में लोग साउथ की फिल्म का मजाक उड़ाते थे. ऐसे ही इसकी शुरुआत हुई थी. लोग कहते थे कि साउथ की फिल्म किसी चैनल पर आ रहा है. ये क्या एक्शन है उड़ रहे हैं सब. लेकिन धीरे धीरे लोगों ने इसे पसंद करना शुरू किया. लोगों ने उस आर्ट फॉर्म को समझना शुरू किया.'

उन्होंने आगे कहा, 'प्रॉब्लम ये थी कि हमारी फिल्म कम रेट पर बिकती थी और इसकी डबिंग भी खराब की जाती थी. उन्हें खराब तरीके से फनी नामों के साथ प्रेजेंट किया जाता था. मेरे साथ हुआ है कि लोगों ने मुझे रैम्बो सर और ग्रेट लायन बुलाया है मैं सोच रहा था कि ये क्या बात कर रहे हैं. लेकिन मेरी पुरानी फिल्मों को डब किया गया था. मैं मानता हूं कि राजमौली सर ने शुरुआत की साउथ में जबरदस्त प्रोजेक्ट बनाने की. उनसे पहले कई लोगों ने कोशिश की थी. बहुबाली ने लोगों पर असर डाला और केजीएफ को अलग सोच के साथ बनाया गया था. हमारा मकसद लोगों को प्रेरित करना था, डराना नहीं था. हमने बहुत थोड़े से बजट से शुरुआत की थी. अब लोगों ने साउथ फिल्मों को समझना शुरू कर दिया है और ये टाइम बढ़िया है.' 

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कन्नड़ सिनेमा छू रहा नई ऊंचाई

रजनीकांत और तमिल फिल्म दर्शकों के बीच छाईं, मलयालम फिल्में छाईं और अब कन्नड़ फिल्में हर तरफ छाई हुई हैं. कांतारा इस समय ढेरों पैसे बॉक्स ऑफिस पर कमा रही हैं. तो ऐसा क्या हुआ कि अचानक से कन्नड़ सिनेमा ने तरफ नाम बना लिया है. यश ने जवाब में कहा, 'हमें एटीट्यूड में शिफ्ट लाने की जरूरत थी. लोग टैलेंट के बारे में बात करते हैं लेकिन जब आप आगे आते हैं तो लोग आपको जज करते हैं. इसे बदलने में वक्त लगता है.'

उन्होंने आगे कहा, 'शुरुआत में मैंने देखा है कि कन्नड़ इंडस्ट्री को छोटा समझते थे. लोगों की अप्रोच निगेटिव थी. लोगों का कहना था कि कन्नड़ इंडस्ट्री कुछ नहीं कर सकती क्योंकि हमारे बजट कम थे और दूसरों के बेहतर. मैं समझता हूं कि कोई इंडस्ट्री छोटी या बड़ी नहीं होती. मैं सोचता हूं कि ये कुछ कदमों को उठाने के बारे में है. अगर आज कन्नड़ इंडस्ट्री के बारे में बात हो रही है तो हमने कदम उठाए हैं. अगर कन्नड़ इंडस्ट्री अपने टैलेंट को नेशनल लेवल पर दिखा सकती है. मुझे याद है कि मैंने कहा था कि केजीएफ को बड़ी फिल्म बना सकते हैं, पैन इंडिया फिल्म बना सकते हैं. लेकिन किसी को इसपर भरोसा नहीं था. मैं जनता हूं कि दर्शकों को अगर बढ़िया कंटेन्ट परोसा जाए तो कोई भी फिल्म बड़ी बन सकती है.' 

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'मैं भारतीय हूं' 

भाषा की कोई रोक फिल्म को हिट बनाने में नहीं है. तो क्या यश खुद को एक कन्नड़ स्टार मानते हैं जो पैन इंडिया बन गए हैं या वो खुद को पैन इंडिया स्टार की तरह देखते हैं जो कन्नड़ सिनेमा में भी काम करेंगे. यश ने इसके जवाब में कहा, 'मैं कन्नाडिगा हूं, ये नहीं बदल सकता. लेकिन मैं एक भारतीय भी हूं. हमारे देश में हम भारतीय हैं. हमारी संस्कृति एक दूसरे से अलग है. कर्नाटक में तुलु कल्चर है और भी कल्चर हैं. लेकिन ये हमारी ताकत होनी चाहिए. ये हमारी कमजोरी कभी नहीं बननी चाहिए. मेरा पॉइंट ये है कि आपको ये समझना चाहिए कि ये एक देश है और इंडस्ट्री को नॉर्थ और साउथ के बीच विभाजित नहीं होना चाहिए. नॉर्थ स्टार, साउथ स्टार जैसा कुछ नहीं होना चाहिए. बल्कि कहा जाना चाहिए कि एक भारतीय एक्टर जिसने देश की इस जगह से फिल्म बनाई है और वो कमाल कर रही है. मेरे हिसाब से इसे ऐसे ट्रीट किया जाना चाहिए.'

 

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