लगभग चार दशकों तक अपने विशिष्ट अभिनय से बॉलीवुड पर राज करने वाले अभिनेता और रंगमंच के कलाकार एके हंगल का रविवार को निधन हो गया. वह 95 वर्ष के थे. हंगल काफी दिनों से बीमार थे.
हंगल बीती 16 अगस्त से कूल्हे की हड्डी टूट जाने के कारण आशा पारेख अस्पताल में भर्ती थे.
वह लम्बे समय से बुढ़ापे की बीमारियों से पीड़ित थे. अपनी पत्नी के निधन के बाद से वह अपने बेटे विजय के साथ रहते थे.
वर्ष 1967 से हिन्दी फिल्म उद्योग का हिस्सा रहे हंगल ने लगभग 225 फिल्मों में काम किया.
उन्हें फिल्म 'परिचय' और 'शोले' में अपनी भूमिकाओं के लिए जाना जाता है.
हंगल वर्ष 2011 में उस समय सुर्खियों में आ गए थे, जब यह बात सामने आई थी कि वह अपनी आय के साधन खत्म हो जाने के बाद आजीविका के लिए संघर्ष कर रहे हैं और उनके पास भोजन और दवाइयों तक के लिए पैसे नहीं बचे थे.
इसके बाद अभिनेता अमिताभ बच्चन और आमिर खान जैसे फिल्म उद्योग के बहुत से लोगों ने उन्हें आर्थिक मदद की पेशकश की थी.
शोले फिल्म के एक डायलॉग ‘इतना सन्नाटा क्यों है भाई’ से हंगल को नई पीढ़ी भी बखूबी पहचानती है. हालांकि उन्होंने नई पुरानी दर्जनों फिल्मों में कई छोटे बड़े किरदार निभाए.
उनकी कुछ खास फिल्मों की बात करें तो उनमें ‘शौकीन’, ‘नमक हराम’, ‘आइना’, ‘अवतार’, ‘आंधी’, ‘कोरा कागज’, ‘बावर्ची’, ‘चितचोर’, ‘गुड्डी’, ‘अभिमान’ और ‘परिचय’ जैसी सदाबहार फिल्में शामिल हैं.
राजेश खन्ना की सफल फिल्मों की कतार में भी हंगल ने अपने सशक्त अभिनय की छाप छोड़ी. इनमें ‘आप की कसम’, ‘अमरदीप’, ‘नौकरी’, ‘थोड़ी सी बेवफाई’ और ‘फिर वही रात’ का नाम लिया जा सकता है.