एक्टर अमरीश पुरी का 22 जून 1932 को जन्म हुआ था. एक्टर को हमें छोड़े हुए 15 साल हो गए हैं, लेकिन उनकी एक्टिंग ने उन्हें सभी के दिल में आज भी जिंदा रखा हुआ है.
अमरीश पुरी को बॉलीवुड में बतौर विलेन के रोल के लिए जाना गया. उन्होंने बॉलीवुड की हर बड़ी फिल्म में बतौर विलेन गहरी छाप छोड़ी. एक्टर ने कभी मोगैंबो बन सभी को डराया तो कभी दामिनी में चड्ढा बन सभी को खुद से नफरत करने को मजबूर किया. ऐसा ही रहा था अमरीश पुरी का फिल्मी सफर.
लेकिन जिस अमरीश पुरी को आप बतौर विलेन जानते हैं, असल में उन्होंने 21 साल तक कोई दूसरी नौकरी की थी. जी हां, पूरे दो दशक तक अमरीश पुरी बॉलीवुड से दूर थे.
अमरीश पुरी ने अपनी जिंदगी के 21 साल कर्मचारी बीमा निगम में काम किया था. एक्टर को थिएटर का शौक तो था, लेकिन उन्हें ज्यादा मौके मिल नहीं रहे थे.
फिर अमरीश पुरी की जिंदगी में दस्तक दी इब्राहीम अल्क़ाज़ी ने जिन्होंने अमरीश को थिएटर की दुनिया से रूबरू करवाया. ये साल था 1961. उस दौर में अमरीश पुरी ने कई बेहतरीन प्ले में काम किया. लेकिन इतना थिएटर करने के बाद भी अमरीश पुरी को बॉलीवुड में एंट्री नहीं मिल पा रही थी. उनका वो लक्ष्य अभी दूर था.
एक्टर की जिंदगी में फिर आए सत्यदेव दुबे. ये उस जमाने के महान एक्टर, राइटर और डायरेक्टर थे. उन्होंने कम उम्र में इतना सब हासिल कर लिया था कि हर कोई उनकी तारीफ करते नहीं थकता था.
लेकिन अमरीश पुरी सत्यदेव से उम्र में काफी बढ़े थे. अब यही पर पता चलती है
अमरीश पुरी की महानता. उन्होंने अपने करियर में अपने से छोटी उम्र के शख्स
को अपना गुरू माना था.
अमरीश ने लंबे समय तक सत्यदेव संग एक सहायक के रूप में काम किया था. यही से अमरीश पुरी की जिंदगी ने रफ्तार पकड़ी थी और उनका बॉलीवुड में भी आगाज हो गया. साल 1971 में फिल्म रेशमा और शेरा में अमरीश पुरी की एक्टिंग की खूब तारीफ की गई.
इसके बाद अमरीश पुरी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. अमरीश पुरी ने बॉलीवुड की हर बड़ी फिल्म में बतौर विलेन दर्शकों का दिल जीता. फिर चाहे वो मोगैंबो का रोल हो, या हो चड्ढा का. फिर चाहे वो नायक में एक नेता का रोल हो या हम पांच में एक जमींदार का, एक्टर ने सभी के दिल में गहरी छाप छोड़ी थी.