खूबसूरती और अभिनय का अद्भुत संगम हैं ये हीरोइनें. इनके बिना बॉलीवुड है अधूरा.
पूर्व मिस वर्ल्ड रह चुकी ऐश्वर्या आज बॉलीवुड की सबसे महंगी अभिनेत्रियों में से एक हैं. बच्चन परिवार की बहू होने के साथ अंतरराष्ट्रीय सिनेमा में एक अलग पहचान बना चुकी ऐश आज न सिर्फ कई बड़ी कंपनियों की ब्रांड एंबेसडर हैं बल्कि उभरते हुए भारत में नारी सशक्तिकरण की पहचान भी हैं.
हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री में कई ऐसे सितारों ने अपनी चमक बिखेरी हैं, जिनकी खूबसूरती और अदाकारी को भूल पाना लगभग नामुमकिन है. इन्हीं सितारों में अपना एक विशिष्ट स्थान रखती है 60 के दशक में अपनी अभिनय प्रतिभा का लोहा मनवा चुकी अभिनेत्री आशा पारेख.
असिन थोट्टूमकल ने 2001 में मलयालम फिल्म 'नरेंद्र मकान जयकंथान वाका' (2001) में सहायक अभिनेत्री की भूमिका से अभिनय क्षेत्र में पर्दार्पण किया, तब उनकी उम्र 15 साल की थी. दक्षिण भारत में खुद को एक प्रमुख अभिनेत्री के रूप में स्थापित करने बाद, राष्ट्रव्यापी प्रसिद्धि पाने के लिए, असिन ने बॉलीवुड में जाने का विकल्प चुना. उनकी पहली हिंदी फिल्म, आमिर खान के साथ अभिनीत 'गजनी' थी जो हिट रही.
मॉडलिंग में सफल करियर बनने के बाद, दीपिका पादुकोण ने अभिनय में कदम रखा. 2006 में पादुकोण ने अभिनेता उपेन्द्र के साथ कन्नड़ फिल्म में काम करते हुए अपनी पहली फिल्म 'ऐश्वर्या' की. बाद में 2007 में उन्होंने शाहरुख खान के साथ काम करते हुए फराह खान की 'ओम शांति ओम' से सफलतापूर्वक बॉलीवुड में कदम रखा.
भारतीय रजतपट की पहली स्थापित नायिका देविका रानी अपने युग से कहीं आगे की सोच रखने वाली अभिनेत्री थीं और उन्होंने अपनी फिल्मों के माध्यम से जर्जर सामाजिक रूढि़यों और मान्यताओं को चुनौती देते हुए नए मानवीय मूल्यों और संवेदनाओं को स्थापित करने का काम किया था.
डिम्पल कपाड़िया की शुरूआत किसी सपने से कम नहीं थी. राज कपूर जैसा निर्देशक और जबरदस्त हिट फिल्म. डिम्पल ने करियर को लात मारकर सुपरस्टार राजेश खन्ना से शादी कर ली. शादी कामयाब नहीं हुई और डिम्पल फिर फिल्मों में लौट आई. डिम्पल ने कई व्यावसायिक और कला फिल्मों में काम किया. उसने बतौर अभिनेत्री कई फिल्मों में अपनी छाप छोड़ी.
गीता बाली हिन्दी फिल्मों की एक प्रसिद्ध अभिनेत्री हैं. गीता बाली का जन्म विभाजन के पूर्व के पंजाब में हरकिर्तन कौर के रूप में हुआ था. वह सिख थीं और उनके फ़िल्मों में आने से पहले उनका परिवार काफी गरीबी में रहता था. 1950 के दशक में वह काफी विख्यात अदाकारा थीं.
हिन्दी सिनेमा में सैकड़ों तारिकाओं से बॉलीवुड का आकाश जगमग है. उनमें से चंद तारिकाएं ऐसी हैं, जिनकी रोशनी कभी फीकी नहीं होती. इनमें हेमा मालिनी का नाम आता है. ड्रीमगर्ल हेमा मालिनी ने बॉलीवुड में एक अलग ही स्थान बनाई.
अमिताभ बच्चन की जीवन-संगिनी जया बच्चन की अभिनेत्री के रूप मेंविशिष्ट उपलब्धियां रही हैं और वे फिल्म क्षेत्र की आदरणीय नेत्रियों में गिनी जाती हैं. आज के अनेक युवा कलाकारों के लिए वे मातृवत स्नेह का झरना हैं.
जूही चावला का नाम सुनते ही खिलखिलाता हुआ एक चेहरा सामने आ जाता है, जिस पर बढ़ती उम्र की कोई शिकन नहीं दिखती. करियर की दूसरी फिल्म 'कयामत से कयामत तक' से उन्हें अच्छी लोकप्रियता मिली और एक मध्य वर्गीय शालीन लड़की की उनकी छवि ने दर्शकों पर ऐसा जादू चलाया, जो आज भी कायम है. मिस इंडिया रह चुकीं जूही ने अपने लंबे फिल्मी सफर में हर तरह की भूमिका निभाई.
हिन्दी फिल्मों में जो मुकाम आज काजोल का है वहां तक पहुंचना किसी भी अभिनेत्री के लिए बहुत ही मुश्किल है. अपने पारिवारिक जिम्मेदारियों के साथ काजोल ने अपने फिल्मी करियर को भी सही दिशा दी है. परिवार और करियर में तालमेल बनाने की वजह से ही आज लोग उन्हें बॉलीवुड की सुपर-मॉम कहते हैं.
1947 में 'नीचा नगर' से करियर की शुरुआत करने वाली कामिनी कौशल ने बॉलीवुड पर अपनी एक अलग छाप छोड़ी.
हिन्दी सिनेमा जगत में कपूर खानदान हमेशा से ही बेहतर प्रतिभा देने वाला घराना रहा है. हालांकि इस परिवार से पहले कन्याओं को इंडस्ट्री में आने नहीं दिया जाता था पर अभिनेत्री बबिता ने कपूर खानदान की इस बंदिश को तोड़कर बॉलीवुड में दो बेहतरीन अभिनेत्रियां दिया जिसमें से एक हैं हॉट एंड क्यूट करीना कपूर. बेबो के नाम से मशहूर करीना कपूर ने हिन्दी सिनेमा के उतार-चढ़ाव भरे दौर को पार कर सफलता के चरम तक का सफर तय किया है.
सफलता और कैटरीना कैफ एक-दूसरे के पर्याय बन गए हैं. वे किस्मत की भी धनी हैं. बहुत कम समय में ही कैटरीना ने खुद को चोटी की अभिनेत्रियों में शुमार करा लिया है. मॉडलिंग की दुनिया में अपनी खूबसूरती और ग्लैमर का परचम लहराने वाली लंदन की इस खूबसूरत बाला ने जब हिंदी फिल्मों में कदम रखा, तो उनकी सफलता को लेकर प्रश्नचिह्न लगाए गए.कैटरीना ने अपने आकर्षण से इन आशंकाओं को कोरा साबित कर दिया.
लीना चंद्रवर्कर को लोग किशोर कुमार की पत्नी के रूप में भी जानते हैं. 1951 में कर्नाटक में एक आर्मी ऑफिसर के घर जन्मी लीना 1969-1979 तक बॉलीवुड में सक्रीय रहीं. इस दौरान उन्होंने 'हमजोली', 'मनचली', 'मेहबूब की मेहंदी', जैसी हिट फिल्मों में काम किया. उनकी फिल्म 'महबूब की मेहंदी' का गीत 'जाने क्यों लोग मुहब्बत...' आज भी उतना ही प्रचलित है.
हिन्दी सिनेमा की सबसे सुन्दर अभिनेत्री कौन? इस सवाल को लेकर अनेक अवसरों पर सर्वेक्षण कराए गए, तो एक ही नाम उभरकर बार-बार सामने आया और वह है- मधुबाला. मधुबाला को हमारे बीच नहीं रहे चालीस साल पूरे हो रहे हैं. इसके बावजूद उनकी सुंदरता के चर्चे कम नहीं हुए और आज भी वह दो पीढ़ियों के दर्शकों के दिलों पर राज कर रही हैं.
माधुरी दीक्षित ने भारतीय हिन्दी फ़िल्मो मे एक ऐसा मुकाम तय किया है जिसे आज के अभिनेत्रियां अपने लिए आदर्श मानती है. 80 और 90 के दशक मे इन्होने स्वयं को हिन्दी सिनेमा मे एक प्रमुख अभिनेत्री तथा सुप्रसिद्ध नृत्यांगना के रूप मे स्थापित किया. उनके लाजवाब नृत्य और स्वाभाविक अभिनय का ऐसा जादू था माधुरी पूरे देश की धड़कन बन गयी.
मीनाक्षी शेषाद्री वही अभिनेत्री हैं जिन्होंने 'दामिनी', 'हीरो', 'घातक' और 'शहंशाह' जैसी फिल्मों में अपने अभिनय से साबित कर दिया कि अभिनय सिर्फ खूबसूरती की मोहताज नहीं. मीनाक्षी शेषाद्री का जन्म 16 नवंबर, 1963 को सिंदरी, झारखंड में हुआ था. उनके बचपन का नाम शशिकला शेषाद्री था जिसे बाद में राजकुमार संतोषी ने फिल्मों में आने के बाद बदल दिया.
थिएटर की नर्तकी इकबाल बानो और हारमोनियम बजाने वाले मास्टर अली बख्श की तीसरी लड़की हुई, तो उन्होंने उसका नाम रखा महजबीं आरा. मीना कुमारी एक ऐसी हीरोइन थीं, जिनके दो नाम नहीं, आधा दर्जन नाम थे.
आज के मैनेजमेंट गुरू लाखों रुपये फीस लेकर सफलता के चंद फण्डे बतलाते हैं, उन्हें अभिनेत्री मुमताज ने पचास और साठ के दशक में अपने बलबूते आजमाकर शिखर पर जा बैठी थी.
हिंदी सिनेमा की महानतम अभिनेत्रियों में से एक नर्गिस ने करीब दो दशक के फिल्मी सफर में दर्जनों यादगार भूमिकाएं की और 1957 में प्रदर्शित फिल्म मदर इंडिया में राधा की भूमिका के जरिये भारतीय नारी का एक नया और सशक्त रूप सामने रखा. नर्गिस ने 'मदर इंडिया' के अलावा 'आवारा', 'श्री 420', 'बरसात', 'अंदाज', 'लाजवंती', 'जोगन परदेशी', 'रात और दिन' सहित दर्जनों कामयाब फिल्मों में बेहतरीन अभिनय किया. राजकपूर के साथ उनकी जोड़ी विशेष रूप से सराही गई और दोनों की जोड़ी को हिंदी फिल्मों की सर्वकालीन सफल जोड़ियों में से गिना जाता है.
वर्ष 1930 में नूरजहां को इंडियन पिक्चर के बैनर तले बनी एक मूक फिल्म 'हिन्द के तारे' में काम करने का मौका मिला. इसके कुछ समय के बाद उनका परिवार पंजाब से कोलकाता चला आया. इस दौरान उन्हें करीब 11 मूक फिल्मों मे अभिनय करने का मौका मिला. वर्ष 1931 तक नूरजहां ने बतौर बाल कलाकार अपनी पहचान बना ली थी. वर्ष 1932 में प्रदर्शित फिल्म 'शशि पुन्नु' नूरजहां के सिनेमा करियर की पहली टॉकी फिल्म थी.
परवीन बाबी (जन्म: 4 अप्रैल 1949, मृत्यु: 20 जनवरी 2005) हिन्दी फ़िल्मों की एक प्रसिद्ध भारतीय अभिनेत्री हैं. परवीन बाबी ग्लैमरस भूमिकाओं के लिए जानी जाती थीं. 1970-80 के दशक में सिल्वर स्क्रीन पर अपनी सुन्दरता का जलवा बिखरने वाली परवीन बाबी की ज़्यादातर फ़िल्में सुपर हिट रहीं हैं.
रानी मुखर्जी ने अपने फ़िल्मी करियर की शुरुआत 'राजा की आएगी बारात' से की पर फिल्म बॉक्स ऑफिस पर नाकाम रही. इससे पहले उन्हें अपने पिता की बंगाली फिल्म 'बियेर फूल(1992)' में एक छोटा किरदार करने को मिला था. उनके पारिवारिक मित्र सलीम अख्तर ने 'आ गले लग जा' (1994) में उन्हें रोल दिया था जिसे रानी के पिता ने ठुकरा दिया था जिसके बाद वह किरदार उर्मिला मातोंडकर को मिला. उनकी पहली सफल फिल्म 'गुलाम' रही. जिसने उन्हें 'खंडाला गर्ल' से चर्चित कर दिया.
बेबी भानुरेखा के नाम से चार साल की उम्र में कैमरे से रिश्ता जोड़ने वाली रेखा की जिंदगी संघर्ष और सफलता की किसी रोचक दास्तान से कम नहीं है. दक्षिण भारतीय फिल्मों में बाल कलाकार के तौर पर अभिनय यात्रा की शुरुआत करने वाली रेखा ने 1970 में हिंदी फिल्मों में कदम रखा, 'सुहाग', 'मि.नटवरलाल' सहित कई फिल्मों की सफलता के साथ इस जोड़ी ने बुलंदी का वह शिखर छुआ, जिसे आज भी लोकप्रियता का इतिहास माना जाता है.
साधना अपने माता पिता की एकमात्र संतान थीं, और 1947 मे देश के बंटवारे के बाद उनका परिवार कराची छोड़कर मुंबई आ गया. साधना का नाम उनके पिता मे अपनी पसंदीदा अभिनेत्री साधना बोस के नाम पर रखा था. उनकी मां ने उन्हें आठ वर्ष की उम्र तक घर पर ही पढा़या था.
बॉलीवुड में ऐसे कई सितारे हैं जो बेशक बॉक्स-ऑफिस के लिहाज से औसत हों पर जब बात दर्शकों के बीच पैठ जमाने की हो तो वह सबसे आगे होते हैं. ऐसी ही एक अदाकारा हैं सायरा बानो. अपने समय की सबसे खूबसूरत अभिनेत्रियों में से एक सायरा बानो को लोग उनकी अदाकारी कम और उनकी खूबसूरती के लिए ज्यादा पहचानते हैं.
बात चाहे ग्लैमरस रोल की हो या लीक से हटकर बनने वाली आर्ट फिल्मों की हो हर क्षेत्र में अभिनय की अपनी एक कला होती है. पर कुछ सितारे अपने आप को हर रोल में फिट कर लेते हैं. ऐसी ही एक अभिनेत्री हैं शबाना आजमी.
तब शर्मिला टैगोर पंद्रह साल की भी नहीं थीं जब सत्यजीत राय ने उन्हें अपूर संसार में हीरोइन बनाया था. उन्होंने जब शर्मिला को उनकी पहली हिंदी फिल्म कश्मीर की कली में देखा, तो निराश स्वर में कहा, वह बेतुका रोल तुमने कर कैसे लिया? लेकिन यह भी सच है कि उसी बेतुके रोल ने शर्मिला के लिए बॉलीवुड के दरवाजे खोल दिए. उन्होंने 'अनुपमा', 'सत्यकाम', 'आराधना', 'अमर प्रेम', 'आविष्कार' जैसी यादगार फिल्में कीं.
हिन्दी सिनेमा जगत की अगर सबसे चुलबुली अभिनेत्री का खिताब दिया जाए तो श्रीदेवी इस खिताब की सबसे प्रबल दावेदार होंगी. अपने अभिनय से उन्होंने भारतीय सिनेमा जगत में अभिनेत्री की छवि को भी चुलबुला बना दिया. बॉलीवुड में श्रीदेवी ने सबसे पहले 1975 में फिल्म 'जूली' में सह अभिनेत्री के तौर पर काम किया. 1978 में आई फिल्म 'सोलहवां सावन' से श्रीदेवी ने बॉलीवुड में अपने अभिनय करियर की शुरुआत की.
हिंदी फिल्मों में अपार लोकप्रियता हासिल करने वाली सुरैया उस पीढ़ी की आखिरी कड़ी में से एक थीं जिन्हें अभिनय के साथ ही पार्श्व गायन में भी निपुणता हासिल थी और इस वजह से उन्हें अपनी समकालीन अभिनेत्रियों से बढ़त मिली. अविभाजित पंजाब में 15 जून 1929 को पैदा हुई सुरैया का मूल नाम जमाल शेख था और वे अपने माता-पिता की इकलौती संतान थीं. सुरैया के नाम से मशहूर हुई बहुमुखी प्रतिभा की धनी यह कलाकार फिल्मी दुनिया से अपरिचित नहीं थी.
अभी हर तरफ विद्या बालन छाई हुई हैं. टीवी की खबरों से लेकर अखबारों की सुखिर्यों और पत्रिकाओं के कवर तक, 'द डर्टी पिक्चर' की सिल्क ने जादू कर रखा है लोगों पर. लंबे समय से हिंदी फिल्मों के ग्लैमरस वृत की परिधि पर खड़ी विद्या बालन सिर्फ एक फिल्म से केंद्र में आ गई हैं. उन्होंने अपने परफॉर्मेस से साबित कर दिया है कि वे अकेले दम पर दर्शकों को सिनेमाघरों में खींच सकती हैं.
भारतीय सिनेमा में वैजंती माला के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता. 1936 में जन्मी वैजंती माला एक सफल अभिनेत्री होने के साथ ही एक नृत्यांगना, गायिका, कोरियोग्राफर, गोल्फर और सांसद भी थी. एक ओर जहां वैजंती माला ने भरतनाट्यम सीख रखा था तो दूसरी ओर वो कर्नाटक संगीत की भी जानकार थी. 1949 से अपने फिल्मी कॅरियर की शुरुआत करने वाली वैजंती माला ने तमिल, तेलुगू, बांग्ला और हिंदी फिल्मों में काम किया. उनकी कुछ प्रमुख हिन्दी फिल्मों में 'नागिन', 'मधुमति', 'गंगा जमुना', 'संगम' और 'लीडर' जैसी फिल्में शामिल हैं.
भारतीय सिनेमा जगत में ऐसी कम ही कलाकार हैं जो हर रोल में फिट बैठ जाते है. चाहे वह 18 या 19 साल की किसी जवां लड़की का रोल हो या बाद में मां का रोल सभी में उनका अभिनय जबरदस्त ही रहता है. बॉलीवुड की यह सबसे बड़ी खासियत भी है कि यहां प्रतिभा की कमी नहीं है और ऐसी ही एक प्रतिभा हैं वहीदा रहमान. 'प्यासा', 'सीआईडी', 'कागज' के फूल जैसी फिल्मों में अभिनय करने वाली वहीदा रहमान आज के दशक में भी दिल्ली-6 जैसी फिल्मों में अपनी उपस्थिति दर्शाने में सफल रही हैं.
देवआनंद द्वारा निर्देशित 1971 में रिलीज हुई ‘हरे रामा हरे कृष्णा’ से जीनत अमान युवाओं के बीच बेहद लोकप्रिय हो गईं. भारतीय सिनेमा में बोल्डनेस लाने में जीनत का अहम योगदान है क्योंकि हॉट दृश्यों से उन्होंने कभी परहेज नहीं किया.