बॉलीवुड के बीते जमाने के मशहूर अभिनेता जॉय मुखर्जी का 9 मार्च 2012 शुक्रवार को लीलावती अस्पताल में निधन हो गया. वह 73 वर्ष के थे.
जॉय मुखर्जी ने 1960 के दशक में बॉलीवुड में कदम 'लव इन शिमला' के जरिए रखा.
इसके अलावा उन्होंने 'लव इन टोकिया', 'जिद्दी', 'फिर वही दिल लाया हूं' और 'एक मुसाफिर एक हसीना' जैसी शानदार फिल्मों में अभिनय किया.
जॉय मुखर्जी ने इसके बाद जौहर के साथ 'शागिर्द' में अभिनय कर सुर्खियां बटोरी.
अपने प्रशंसकों से लगातार मिलना या हाथ मिलाना अथवा ऑटोग्राफ देना जॉय को पसंद नहीं था. उनका मानना था कि दो-चार प्रशंसकों से तो शेक हैंड किया जा सकता है, लेकिन सौ-दो सौ के साथ कोई कलाकार ऐसा नहीं कर सकता.
हम साया के बाद राजेश खन्ना-जीनत अमान को लेकर उन्होंने छैला बाबू फिल्म भी निर्देशित की मगर नाकामयाबी हाथ लगी.
जॉय मुखर्जी का संबंध फिल्मी पृष्ठभूमि से था. उनके पिता सशाधर मुखर्जी थे और मां सती देवी महान अभिनेता अशोक कुमार की बहन थीं. सशधर मुखर्जी एवं अशोक कुमार ने फिल्मालय स्टूडियो की नींव रखी थी.
अपनी जिन समकालीन तारिकाओं के साथ जॉय को काम करने का मौका मिला, उनमें वैजयंतीमाला के प्रति हमेशा उनके मन में आदर भाव रहा.
लव इन शिमला के बाद इसे महज संयोग ही मानना होगा कि जॉय मुखर्जी को लगातार लव-स्टोरीज की फिल्में करना पड़ी. जैसे लव इन टोकियो (आशा पारिख), शागिर्द (सायरा बानो), एक मुसाफिर एक हसीना और एक बार मुस्करा दो.