बोल (2011)
इस फिल्म में लाहौर के एक परिवार की कहानी है जहां छह बेटियां होती हैं. फिल्म को एक एंटरटेनमेंट एजुकेशन प्रोजेक्ट के तहत बनाया गया था. फिल्म महिलाओं के हक, उनकी परेशानी और फैमिली प्लानिंग जैसे मुद्दों पर आधारित है.
खुदा के लिए (2007)
जिओ टीवी की बनाई इस फिल्म को पाकिस्तान के साथ साथ भारत में भी खूब पसंद किया गया. चरमपंथी इस्लाम पर चोट करती इस फिल्म को बैन करने की भी मांग उठी. लेकिन यह फिल्म कमर्शियल हिट साबित हुई. फिल्म में 9/11 के बाद अमेरिका में मुसलमानों के हालात को जिस तरह पर्दे पर उतारा गया है, उसे देख बॉलीवुड फिल्म 'न्यूयॉर्क' की याद आ जाएगी.
ना मालूम अफराद (2014)
साल 2014 में रिलीज हुई यह फिल्म कराची में रहने वाले तीन लड़कों पर आधारित है. जाहिर है, बॉलीवुड फिल्मों के शौकीन पाकिस्तानी दर्शकों के लिए ऐसी कहानी नई नहीं होगी. फिर भी फिल्म ने रिलीज के पहले दिन ही करीब 45 करोड़ रुपये की कमाई कर ली. आखिर ऐसा क्या खास है इस फिल्म में?
चूड़ियां (1998)
इस लव स्टोरी में जितने ट्विस्ट और टर्न हैं, वो सब आप बॉलीवुड फिल्मों में देख चुके होंगे. लेकिन अगर उन्ही कहानियों को पाकिस्तानी ट्रीटमेंट के साथ देखना हो या
वहां की फिल्म मेकिंग की तुलना भारतीय सिनेमा से करनी हो, तो ये फिल्म देखें.
वार (2013)
हमजा अली अब्बासी और शमून अब्बासी स्टारर फिल्म 'वार' पाकिस्तान की सबसे लोकप्रिय फिल्म है. जिस तरह हमारी फिल्में एंटी पाकिस्तान होती हैं, ठीक उसी तरह
पड़ोसी मुल्क की फिल्मों में भी दहशतगर्द कोई भारतीय ही होता है. जिस तरह हम ISI को नीच नजरों से देखते हैं, ठीक उसी तरह पाकिस्तान में RAW एजेंट को
आतंक का पर्याय माना जाता है. फिल्म 'वार' में यह साफ नजर आता है.
वैसे तो पाकिस्तान में बॉलीवुड फिल्मों का सालों से जलवा रहा है. लेकिन अब भारत में भी पाकिस्तान की एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री के काम को पसंद किया जा रहा है. वहां के
टीवी सीरियल्स तो भारत में हिट हैं ही, अब एक नजर पाकिस्तान की उन फिल्मों पर जो आपके दिल में खास जगह बना सकती हैं.