मशहूर भारतीय गीतकार गुलज़ार का जन्म 18 अगस्त 1936 में हुआ था. गुलज़ार का असली नाम संपूरन सिंह कालरा है.
हिन्दी सिनेमा में फिल्मकार-गीतकार-संवाद लेखक और साहित्यकार गुलज़ार जैसा व्यक्तित्व रखने वाले अंगुलियों पर गिने जा सकते हैं. सफेद झक कुरता और पायजामा. चेहरे पर मुस्कान और मृदुभाषी. हिन्दी और उर्दू के साफ उच्चारण ये ही है गुलज़ार की शख्सियत.
गुलज़ार का जन्म अविभाजित भारत के झेलम जिला पंजाब के दीना गांव में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है.
गुलज़ार अपने पिता की दूसरी पत्नी की इकलौती संतान हैं. उनके बचपन में ही उनकी मां की मृत्यु हो गई थी.
मां के आंचल की छांव और पिता का दुलार भी गुलज़ार को नहीं मिल सका. उनका बचपन दिल्ली की सब्जी मंडी में बीता.
वह नौ भाई-बहन में चौथे नंबर पर थे. बंट्वारे के बाद उनका परिवार अमृतसर (पंजाब, भारत) आकर बस गया. गुलज़ार वहीं से मुंबई चले गए.
वर्ली के एक गैरेज में गुलज़ार ने बतौर मेकैनिक काम किया और खाली समय में कवितायें लिखना शुरू किया.
फिल्म इंडस्ट्री में उन्होंने बिमल राय, हृषिकेश मुख़र्जी और हेमंत कुमार के सहायक के तौर पर काम शुरू किया. बिमल राय की फिल्म 'बंदनी' के लिए गुलज़ार ने अपना पहला गीत लिखा.
गुलजार ने बतौर निर्देशक अपना सफर 1971 में 'मेरे अपने' से शुरू किया.
1972 में आयी संजीव कुमार और जया बच्चन अभिनीत फिल्म 'कोशिश' जो एक गूंगे बहरे दम्पति के जीवन पर आधारित कहानी थी, ने आलोचकों को भी हैरान कर दिया.
इसके बाद गुलजार ने संजीव कुमार के साथ आंधी (1974), मौसम (1975), अंगूर(1981) और नमकीन (1982) जैसी फिल्में निर्देशित कीं.
फिल्म 'स्लमडॉग मिलेनियर' के गाने 'जय हो' उन्हें सर्वश्रेष्ण गीतकार का ऑस्कर अवार्ड भी मिल चुका है.
गुलज़ार को 2004 में 'पद्म भूषण' अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है.
गुलजार को साल 2002 में साहित्य एकैडमी पुरस्कार और 2004 में भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'पद्म भूषण' से भी सम्मानित किया जा चुका है.
गुलज़ार एक कवि, पटकथा लेखक, फिल्म निर्देशक तथा नाटककार भी हैं, उनकी रचनाए मुख्य हिन्दी, उर्दू तथा पंजाबी में हैं.
गुलजार को साल 2002 में साहित्य एकैडमी पुरस्कार और 2004 में भारत सरकार द्वारा दिया जाने वाला तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'पद्म भूषण' से भी सम्मानित किया जा चुका है.
फिल्म 'आनंद', 'आशीर्वाद' और 'खामोशी' जैसी फिल्मों डायलॉग और पटकथा लिखने के बाद गुलजार ने डायरेक्टर के तौर पर अपनी पहली फिल्म 'मेरे अपने' बनाई.
गुलजार की इस फिल्म में मीना कुमारी भी हैं, इसके अलावा फिल्म में मुख्य भूमिका में विनोद खन्ना और शत्रुघ्न सिन्हा हैं.
गुलज़ार ने बॉलीवुड अभिनेत्री राखी से शादी की. दोनों फिलहाल साथ नहीं हैं लेकिन दोनों में तलाक भी नहीं हुआ है.
गुलज़ार और राखी की बेटी मेघना गुलजार फिल्म डायरेक्टर हैं.
1972 में फिल्म 'कोशिश' के लिए उन्हें बेस्ट स्क्रीनप्ले राइटर का पहला नेशनल फिल्म अवॉर्ड मिला.
गुलज़ार का लिखा गाना 'मेरा कुछ सामान...' आज भी लोगों की ज़ुबान पर चढ़ा हुआ है. इस गाने के लिए उन्हें फिल्मफेयर अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया.
गुलज़ार और जगजीत सिंह के बीच काफी अच्छी दोस्ती थी. जगजीत सिंह की गायी हुई कई गज़लों को गुलज़ार ने ही लिखा था. जगजीत सिंह के गुज़रने पर गुलज़ार काफी दुखी हुए थे.
'हाथ छूटे भी तो रिश्ते' गज़ल गुलजार की लिखी हुई है, जिसे जगजीत सिंह ने गाया है.
2010 में गुलज़ार को 'जय हो' गाने के लिए ग्रैमी अवार्ड से भी सम्मानित किया गया.
मशहूर कार्टून सीरीज 'द जंगल बुक' का टाइटल गाना 'जंगल-जंगल बात चली है...' भी गुलज़ार ने ही लिखा है.
कई हिट बॉलीवुड गानों के अलावा गुलज़ार का योगदान म्यूजिक एलबम में भी रहा है.