रेडियो पर कभी गानों का लुत्फ उठाया हो तो आपने गाने से पहले बार बार एक नाम जरूर सुना होगा- 'बोल हैं आनंद बख्शी के'. हिन्दी सिनेमा को सुकूं देने वाले कई गाने लिखने वाले आनंद बख्शी का जन्म 21 जुलाई को हुआ था. आनंद बख्शी एक ऐसे फनकार थे जिनकी बातें ही गाना बन जाया करती थीं.
आनंद बख्शी ने बॉलीवुड में बतौर सिंगर अपने करियर की शुरुआत की लेकिन उन्हें बाद में एक बेहतरीन गीतकार के तौर पर पहचान मिली. बॉबी, अमर प्रेम, आराधना, शोले, दिलवाले दुल्हनिया ले
जाएंगे और ताल जैसी हिट फिल्मों के लिए गाने लिखे.
कहा जाता है कि साहिर लुधियानवी के अलावा आनंद बख्शी ही एक ऐसे गीतकार थे जो अपने गानों की रिकॉर्डिंग के दौरान मौजूद रहते थे और लगगभग 4000 गाने उन्होंने लिखे हैं साथ ही आनंद बख्शी ने 1973 की
फिल्म 'मोम की गुड़िया' में लता मंगेशकर के साथ गाना भी गाया है.
आनंद बख्शी के गानों के अल्फाज ऐसे थे जो कि आज तक जनरेशन को एंटरटेन कर रहे हैं- फिर वो चाहे 'तू चीज बड़ी है मस्त मस्त' हो या फिर 'दम मारो दम'.
आनंद बख्शी का सपना बचपन से ही बॉलीवुड में नाम कमाने का था. परिवार की इजाजत के बगैर उन्होंने ने नेवी ज्वाइन कर ली जिससे की आनंद मुंबई आ सकें. लेकिन उनका नेवी का करियर
ज्यादा दिन नहीं चल पाया क्योंकि भारत पाकिस्तान के बंटवारे के बाद उन्हें परिवार के साथ लखनऊ जाकर रहना पड़ा.
लखनऊ में आनंद एक टेलीफोन ऑपरेटर का काम भी किया करते थे. उसके बाद दिल्ली जाकर एक मोटर मैकेनिक का काम भी उन्होंने किया.
आनंद बख्शी साहब की बीमारी के चलते 30 मार्च 2002 को 71 साल की उम्र में मौत हो गई थी. उनके अंतिम संस्कार के मौके पर पहुंचे सुपरस्टार राजेश खन्ना ने कहा था-'आनंद के गानों ने मुझे
स्टार बना दिया.'
सन ऑफ पाकिस्तान कहे जाने वाले नुसरत साहिब के साथ सन ऑफ इंडिया आनंद बख्शी साहब.
आनंद बख्शी ने एक गाना फिल्म शोले के लिए भी गाया था. ये रिकॉर्ड तो हुआ लेकिन इसे फिल्म में जोड़ा नहीं गया था.
आनंद बख्शी के बेटे राकेश आनंद बख्शी ने कुछ साल पहले Directors' Diaries नाम की एक किताब भी रिलीज की. जिसमें उन्होंने करीब 33 फिल्ममेकर्स के डायरेक्शन एक्सपीरियंस को एक
अलग अंदाज में दुनिया के सामने रखा.