आज मशहूर गायक मन्ना डे का जन्मदिन है. इस महान कलाकार का 94 साल की उम्र में निधन हो गया था.
मन्ना डे इंडस्ट्री के उन फनकारों में से एक थे जिनकी कमाल की गायकी ने फिल्म इंडस्ट्री को एक नई पहचान दी.
1 मई 1919 को जन्मे मन्ना डे ने अपने करियर में 4000 से ज्यादा गाने गाए.
मन्ना डे ने 1942 में फिल्म तमन्ना से अपने करियर की शुरुआत की.
उन्होंने हिंदी, बंगाली समेत कई भाषाओं में गाने गाये.
मन्ना डे ने लोकगीत से लेकर पॉप तक हर तरह के गीत गाए और देश विदेश में संगीत के चाहने वालों को अपना मुरीद बनाया.
उन्होंने हरिवंश राय बच्चन की मशहूर कृति ‘मधुशाला’ को भी आवाज़ दी.
काबुलीवाला का 'ए मेरे प्यारे वतन' और आनंद का 'ज़िंदगी कैसी है पहेली हाय' आज भी संगीतप्रेमियों के दिल को छू जाता है.
इसके अलावा 'पूछो न कैसे मैंने रैन बिताई', 'लागा चुनरी में दाग़', 'आयो कहां से घनश्याम' 'सुर न सजे' जैसे गीत भी काफी पंसद किए गए.
कौन आया मेरे मन के द्वारे, ऐ मेरी जोहर-ए-जबीं, ये रात भीगी-भीगी, ठहर जरा ओ जाने वाले, बाबू समझो इशारे, कस्मे वादे प्यार वफा, जैसे गाने आज भी लोगों के दिलों में राज करते हैं.
मन्ना डे का असली नाम प्रबोध चंद्र डे है.
मन्ना डे की दो बेटियां हैं. एक बेटी अमेरिका में रहती है.
उनके परिवार के सदस्यों ने बताया कि अंतिम समय में मन्ना डे के पास उनकी पुत्री शुमिता देव और उनके दामाद ज्ञानरंजन देव मौजूद थे.
मन्ना डे को संगीत के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया.
2007 में उन्हें भारतीय सिनेमा के प्रतिष्ठित दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
उन्हें 1971 में पद्मश्री और 2005 में पद्म विभूषण से नवाजा गया.
संगीत में उनकी रूचि अपने चाचा केसी डे की वजह से पैदा हुई. हालांकि उनके पिता चाहते थे कि वो बड़े होकर वकील बने. लेकिन मन्ना डे ने संगीत को ही चुना.
कलकत्ता के स्कॉटिश कॉलेज में पढ़ाई के साथ-साथ मन्ना डे ने केसी डे से शास्त्रीय संगीत की बारीकियां सीखीं.