जब भी बॉलीवुड में बेहतरीन कॉमेडियन का जिक्र होगा महान कलाकार महमूद अली का नाम सबसे टॉप पर सुनने को मिलेगा. महमूद एक ऐसे कलाकार जो फिल्मों में साइड रोल अदा करके भी लीड हीरो
से ज्यादा पसंद किए गए, यहां तक कि दर्शक फिल्म थिएटर में उसी वक्त एंट्री करते जब महमूद की फिल्म में एंट्री होती थी. आइए इस महान कलाकार के महान करियर के बारे में जानें कुछ ऐसी ही
दिलचस्प बातें:
महमूद की जिदंगी की कहानी कितनी दिलचस्प रही है उसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि महमूद ने फिल्मों में काम शुरू करने के पहले अंडे बेचने और टैक्सी चलाने जैसे काम भी
किए. महमूद डायरेक्टर पीएल संतोषी के ड्राइवर भी रहे फिर दशकों बाद उनके बेटे राजकुमार संतोषी की फिल्म अंदाज अपना अपना में महमूद ने काम किया. यही नहीं महमूद को महान एक्ट्रेस मीना
कुमारी को टेबल टेनिस सिखाने की नौकरी मिली थी. बाद में महमूद ने मीना की बहन मधु से शादी भी की.
महमूद ने एक्टिंग की तरफ गंभीरता से ध्यान देना शुरू किया शादी और एक बच्चे का बाप बनने के बाद. पहला रोल फिल्म 'सीआईडी' में किलर का मिला.
फिल्मों 'दो बीघा जमीन' और 'प्यासा' में भी महमूद के रोल थे. मगर बेहद मामूली. यानी किसी ने भी नोटिस नहीं किया. बतौर एक्टर महमूद की किस्मत का पिटारा खुला उनकी अपने ही डायरेक्शन में
बनी फिल्म 'भूत बंगला' से. इस फिल्म में उनके अपोजिट थीं तनूजा. इस फिल्म की कामयाबी के बाद महमूद को जॉनी वॉकर के बाद कॉमेडी का वारिस कहा जाने लगा.
किशोर कुमार जैसे एक्टर्स को अपनी फिल्मों के लिए साइन करने वाले महमूद का ओहदा इंडस्ट्री में कितना बड़ा था इस बात से ही पत चल जाता है. एक बार राइटर मनमोहन मेलविले ने महमूद
और किशोर के बारे में एक दिलचस्प किस्सा भी अपने लेख में बयां किया था. उन्होंने लिखा कि महमूद ने अपने करियर के सुनहरे दौर से गुजर रहे किशोर से अपनी किसी फिल्म में रोल देने की
गुजारिश की थी, लेकिन महमूद के टैलेंट से पूरी तरह वाकिफ किशोर ने कहा था कि वह ऐसे किसी इंसान को मौका कैसे दे सकते हैं, जो भविष्य में उन्हीं के लिए चुनौती बन जाए. लेकिन किशोर की
इस बात पर महमूद ने कहा- 'एक दिन मैं भी बड़ा फिल्मकार बनूंगा और आपको अपनी फिल्म में रोल दूंगा.' महमूद अपनी बात के पक्के साबित हुए और आगे चलकर जब उन्होंने अपनी होम
प्रोडक्शन की फिल्म 'पड़ोसन' शुरू की तो उसमें किशोर को काम दिया. इन दोनों महान कलाकारों की जुगलबंदी से यह फिल्म बॉलीवुड की सबसे बड़ी कॉमेडी फिल्म साबित हुई.
सत्तर के दशक के आखिर में महमूद का करियर ढलान पर आ गया था. इंडस्ट्री में जगदीप से लेकर असरानी तक कई कॉमेडी एक्टर आ गए. उनकी नए एक्टर्स के साथ ट्यूनिंग भी जम गई.
लेकिन वो बात नहीं रही. महमूद एक खुद्दार इंसान थे वह काम के लिए दूसरों के आगे हाथ भैलाने वालों में से नहीं थे. महमूद ने खुद एक इंटरव्यू में कहा था कि वह कैसे उन लोगों से काम मांग सकते
हैं जिनको खुद उन्होंने स्टार बनाया.
'भूत बंगला', 'पड़ोसन', 'बांम्बे टू गोवा', 'गुमनाम', 'कुंवारा बाप' जैसी फिल्मों में अपनी अलग ही छाप छोड़ने वाले मेहमूद ने करीब 300 फिल्मों में काम किया. आखिरी बरसों में महमूद को दिल की बीमारी हो गई थी. इसी के इलाज के लिए वह अमेरिका गए थे, जहां 23 जुलाई 2004 को उनका नींद में ही देहांत हो गया.