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मनोरंजन

नए समय के युवा शास्त्रीय संगीतकारों का जादू

नए समय के युवा शास्त्रीय संगीतकारों का जादू
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टेक्नोलॉजी आदि के शौकीन नए समय के युवा शास्त्रीय संगीतकार अनूठा संगीत रचने के लिए परंपराओं से ऊपर उठकर काम कर रहे हैं. ये संगीतकार तकनीक के जानकार भी हैं. उनका संगीत सीमाओं को लांघकर नए दर्शकों की तलाश कर रहा है क्योंकि उनमें घराने की परंपरा से ऊपर उठने का साहस है. परंपरा के साथ ताजगी की जुगलबंदी करने वाले ये संगीतकार संगीत का नया, अनूठा व्याकरण रच रहे हैं. यह नए उस्तादों का युग है.
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रियाज के कभी न खत्म होने वाले घंटों के अलावा इस नई पीढ़ी के पास पंडित रविशंकर से लेकर उस्ताद विलायत खां और उस्ताद बिस्मिल्ला खां तक सबसे उम्दा संगीत को परखने और उससे सीखने का मौका है.

34 साल की कौशिकी चक्रवर्ती प्रसिद्ध भारतीय शास्त्रीय गायक अजय चक्रवर्ती की बेटी हैं. कौशिकी की आवाज में पटियाला घराने की सारी खूबियां हैं. उनकी शैली सहज और जीवंत है.

संतूर के उस्ताद सतीश व्यास कौशिकी के लिए कहते हैं, 'वे प्रतिभा की खान हैं और बिल्कुल किशोरी अमोणकर की तरह भारतीय शास्त्रीय संगीत का चेहरा बनेंगी.

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8 वर्षीय मुराद अली संगीत का जादुई संगम पैदा करने के लिए फ्रांस के संगीतकारों के साथ जुगलबंदी करते हैं. मशहूर सितार वादक शुभेंदु राय कहते हैं, 'सारंगी को मृतप्राय वाद्य यंत्र कह दिया जाता है, पर मुराद के हाथों में आकर वह  ख‍िल उठती है.
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नीलाद्रि कुमार का जिटार के साथ जादुई रिश्ता है. जिटार, सितार और गिटार के अद्भुत मेल से पैदा हुआ है. संतूर वादक तरुण भट्टाचार्य नीलाद्रि को लेकर कहते हैं, 'नीलाद्रि की प्रस्तुति और उनका काव्यात्मक अंदाज जादुई है. उन्होंने सितार के सुरों में क्रांति ला दी है.
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41 साल के राकेश चौरसिया बांसुरी वादक उस्ताद हरिप्रसाद चौरसिया के भतीजे हैं. राकेश पिछले 35 साल से उनसे श‍िक्षा ले रहे हैं. उन्होंने अपने दम पर अपना स्थान बनाया है. पंडित हरिप्रसाद चौरसिया कहते हैं, 'राकेश बहुत प्रतिभाशाली है और उसमें मेरी विरासत को आगे बढ़ाने की पूरी क्षमता है.'
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45 साल के संजीव अभयंकर ने आठ साल की उम्र में हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत सीखना शुरू किया. वे मेवाती घराने से ताल्लुक रखते हैं. 1999 में फिल्म 'गॉडमदर' में उनके गीत सुना रे भाइला के लिए उन्हें राष्ट्रीय फिल्म अवॉर्ड से सम्मानित किया गया. गायक अश‍ि्वनी भ‍िड़े देशपांडे कहते हैं, 'संजीव के संगीत में साफगोई और सादगी है. उनकी आवाज में शमनकारी प्रभाव है.'
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34 साल के संजीव शंकर और 30 साल के अश‍ि्वनी शंकर बिस्मिल्‍लाह खां के अवसान के बाद बनारस घराने की परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं. शास्त्रीय संगीत के अलावा वे विदेशी बैंड के साथ फ्यूजन भी कर चुके हैं. गायिका शुभा मुद्गल शंकर बंधु के लिए कहती हैं, 'संजीव और अश्विनी बेहतरीन संगीतकार और भविष्य का चेहरा हैं.'
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जयपुर और आगरा घराने की शास्त्रीय परंपरा से जुड़े 44 वर्षीय गायक शौनक अभिषेकी कहते हैं, ‘‘मैं उस पीढ़ी की संतान हूं, जहां पुराने दिग्गज और आने वाले गायक साथ-साथ मौजूद हैं.’’
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33 साल के टीएम कृष्णा गायक, कंपोजर और लेखक हैं. किसी भी मोर्चे पर कर्नाटक संगीत को आगे बढ़ाने का वे कोई अवसर नहीं छोड़ते हैं. शास्त्रीय गायक मधुप मुद्गल कहते हैं, 'कृष्णा उन संगीतकारों के पौध से ताल्लुक रखते हैं, तो क्रांतिकारी हैं. कर्नाटक संगीत की उनकी समझ बहुत मौलिक है.'
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  • 10/10
अपना पारंपरिक कुर्ता-पाजामा पहने जयतीर्थ मेवुंडी ने हैदराबाद के निजाम कॉलेज में एक सालाना संगीत समारोह में राग पूरिया की अनूठी प्रस्तुति देकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया. मशहूर मेवाती घराने से ताल्लुक रखने वाले दिग्गज गायक पंडित जसराज श्रोताओं की भीड़ में बैठे थे. इस प्रस्तुति से वे इतने भाव विह्वल हुए कि मंच पर जा पहुंचे और कहा, ‘‘तुमने मुझे युवा भीमसेन जोशी की याद दिला दी!’’

पंडित जसराज ने जयतीर्थ के बारे में कहा, ''जयतीर्थ जैसे प्रतिभाशाली गायक किसी भी महान उस्ताद की जगह ले सकते हैं.”

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