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मनोरंजन

Padmavati: शाहिद-दीपिका के रोमांस पर भारी पड़ा खि‍लजी

Padmavati: शाहिद-दीपिका के रोमांस पर भारी पड़ा खि‍लजी
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दर्शक फिल्म पद्मावती के रिलीज हुए दूसरे गाने एक दिल एक जान की क्लासिक धुन को अपने दिमाग से उतार भी नहीं पाए थे कि रणवीर सिंह ने दस्तक दे डाली. दीपिका और शाहिद का इस गाने में रोमांस रानी पद्मिनी और महाराजा रत्न सिंह की प्रेम लीला की यादें ताजा कर ही रहा था कि रणवीर के नए खि‍लजी लुक ने इस प्रेम लीला में जैसे खलल सा डाल दिया. दरअसल शनि‍वार को रिलीज हुए फिल्म के दूसरे गाने के कुछ देर बाद ही रणवीर से फिल्म पद्मावती से अपना नया पोस्टर जारी कर दिया.
Padmavati: शाहिद-दीपिका के रोमांस पर भारी पड़ा खि‍लजी
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रणवीर सिंह के इस पोस्टर को देखने के बाद शाहिद और दीपिका का रोमांस फीका पड़ता नजर आया. पोस्टर रिलीज हाते ही सिर्फ रणवीर के खौफनाक लुक के चर्चे होने लगे और दर्शक रानी पद्मिनी और महाराजा रत्न सिंह की प्रेम कहानी को भूल ही गए.
Padmavati: शाहिद-दीपिका के रोमांस पर भारी पड़ा खि‍लजी
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संजय लीला भंसाली के निर्देशन में बनी फिल्म पद्मावती में रणवीर सिंह अलाउद्दीन खिलजी के किरदार में नजर आएंगे. फिल्म के ट्रेलर के रिलीज होने के बाद से ही रणवीर का दिलचस्प किरदार दीपिका और शाहिद के रोल पर भारी पड़ता नजर आ रहा है. दर्शक बेसब्री से रणवीर को इस किरदार में देखने के इंतजार में हैं. ये फिल्म 1 दिसंबर को रिलीज होने जा रही है.
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अलाउद्दीन खिलजी के इतिहास की बात करें तो ये दिल्ली सल्तनत के खिलजी वंश का दूसरा शासक था और उसने अपना शासन दक्षिण भारत के मदुरै तक फैला दिया था. कहा जाता है कि उसके बाद कोई भी शासक इतना साम्राज्य स्थापित नहीं कर पाया था. आइए जानते हैं खिलजी के बारे में जो अपनी वीरता के साथ प्यार, इश्क के लिए भी जाना जाता था....
Padmavati: शाहिद-दीपिका के रोमांस पर भारी पड़ा खि‍लजी
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सिंहल द्वीप के राजा गंधर्व सेन और रानी चंपावती की बेटी पद्मिनी चित्तौड़ के राजा रतनसिंह के साथ ब्याही गई थी. कहा जाता है कि रानी पद्मिनी बहुत ही खूबसूरत थी और उनकी खूबसूरती पर एक दिन दिल्ली के सुल्तान 'अलाउद्दीन खिलजी' की बुरी नजर पड़ गई.
Padmavati: शाहिद-दीपिका के रोमांस पर भारी पड़ा खि‍लजी
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खिलजी को लेकर कई किताबों में दावा है कि उसके हरम में कई पुरुष थे. इतिहासकारों की मानें तो अलाउद्दीन के बारे कहा जाता है कि उसके हरम में करीब 70 हजार आदमी, औरतें और बच्चे शामिल थे. औरतों के सार्वजनिक नाच पर रोक थी जिसके चलते नौजवान लड़कों को औरतों के लिबास पहनाकर नचाया जाता था.
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