भ्रष्टाचार अबतक राजनेताओं का महज चुनावी मुद्दा बनता आया था, पर अब अन्ना हज़ारे ने पहली बार इसके खिलाफ एक ईमानदार आवाज उठाई. 4 दिनों के सत्याग्रह के बाद अन्ना की जीत हुई. पांच दिन तक देश की जनता आंदोलित रही है अंतत: उसकी जीत हुई. तस्वीरों के जरिए जानिए इस आंदोलन की गाथा...
5 अप्रैल: पहला दिन
अन्ना हजारे और देश के कई बुद्धिजीवी चाहते हैं कि सरकार जन लोकपाल बिल लाए और इसे संसद में पारित करे.
ऐसा समझा जाता है कि जन लोकपाल बिल से भ्रष्टाचारियों पर शिकंजा कसना आसान हो जाएगा.
जन लोकपाल बिल को लेकर अन्ना हजारे की लड़ाई 5 अप्रैल को शुरू हुई.
जन लोकपाल बिल की मांग को लेकर अन्ना दिल्ली के जंतर-मंतर पर अनशन पर बैठे.
अन्ना हजारे के साथ स्वामी अग्निवेश, आरटीआई कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल भी थे.
भारत की पहली महिला आईपीएस किरण बेदी भी अन्ना हजारे के आंदोलन में शामिल थीं.
शुरू में सरकार ने इसे हल्के में लिया, लेकिन जैसे-जैसे जनता जुड़ती गई, सरकार की बेचैनी बढ़ने लगी.
6 अप्रैल: दूसरा दिन
अन्ना हजारे का आंदोलन दूसरे दिन यानी 6 अप्रैल को पूरे जोश से जारी रहा.
आंदोलन का असर दूसरे दिन यानी 6 अप्रैल को साफ-साफ दिखने लगा.
लोकपाल पर बने ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स से शरद पवार ने हटने का एलान कर दिया.
बुधवार की शाम कैबिनेट की बैठक में भी अन्ना हजारे का अनशन छाया रहा.
अन्ना के अनशन ने केंद्रीय मंत्रियों के बीच खलबली मचा दी.
इस मसले पर मंत्रियों ने चिंता जाहिर की और सारा मसला पीएम पर छोड़ दिया.
7 अप्रैल: तीसरा दिन
गुरुवार को अन्ना का अनशन तीसरे दिन में प्रवेश कर चुका था.
अब तक सरकार ने अन्ना से बातचीत की कोई कोशिश नहीं की थी.
शुरू में सरकार इस आंदोलन की गहराई मापने में सफल रही.
उधर अन्ना का जनसमर्थन लगातार बढ़ता जा रहा था.
देशभर में आंदोलन और धरना-प्रदर्शन का दौर शुरू हो चुका था.
आंदोलन और अन्ना हजारे के अनशन का सरकार पर दबाव बढ़ने लगा.
जंतर-मंतर को देश के लोगों ने 'हिंदुस्तान का तहरीर चौक' की संज्ञा दी.
ऐसे में कपिल सिब्बल ने बीच का रास्ता निकालने के लिए प्रधानमंत्री से मुलाकात की.
पीएम से मुलाकात के बाद सिब्बल ने अन्ना हजारे के प्रतिनिधि स्वामी अग्निवेश औऱ अरविंद केजरीवाल से बातचीत शुरू की.
इस बातचीत में लोकपाल बिल पर संयुक्त समिति बनाने पर सरकार ने सहमति जताई.
सरकार ने ये तो मान लिया था कि समिति में आधे सदस्य अन्ना की टीम के होंगे, लेकिन बात अटक गई नोटिफिकेशन और अध्यक्ष को लेकर.
सरकार ड्रफ्टिंग कमेटी में अपना अध्यक्ष चाहती थी.
इस मसले पर बातचीत रुकी, तो अन्ना ने एक बार फिर हुंकार लगाई. सरकार हिलाने की चेतावनी दी.
8 अप्रैल: चौथा दिन
अन्ना बिना खाये-पिए अपनी जिद पर चौथे दिन यानी 8 अप्रैल को भी अड़े रहे.
चौथे दिन अन्ना हजारे की सेहत बिगड़ रही थी.
हजारे का वजन ढाई किलो कम हो चुका था. ब्ल्ड प्रेशर में उतार-चढ़ाव जारी था.
हर गुजरता पल सरकार पर दबाव बढ़ा रहा था.
चौथे दिन बातचीत का दौर चलता रहा.
चौथे दिन योगगुरु बाबा रामेदव भी अन्ना हजारे के समर्थन में सामने आ गए.
बाबा रामदेव ने मंच से देशवासियों को संबोधित किया.
रामदेव ने कहा कि भ्रष्टाचार के खात्मे के लिए जन लोकपाल बिल पारित होना ही चाहिए.
रामदेव ने भ्रष्टाचारियों को फांसी की सजा दिए जाने की मांग की.
बाबा रामदेव के सहयोग से आंदोलनकारियों में कई ऊर्जा का संचार हुआ.
बाबा रामेदव ने तर्क के माध्यम से लोगों को आंदोलन की जरूरत समझाई.
चौथे दिन आखिर में अन्ना ने अपना रुख थोड़ा नरम किया, तो सरकार भी झुक गई.
आंदोलन के चौथे दिन जिन दो मुद्दों पर सरकार अड़ी हुई थी, उनपर सरकार झुक गई. अन्ना हजारे ने एलान किया कि सरकार ने सारी मांगे मान ली हैं. स्वामी अग्निवेश ने कहा कि अन्ना हजारे 9 अप्रैल को अधिसूचना की कॉपी देखने के बाद अनशन तोड़ेंगे.
9 अप्रैल: पांचवां दिन
सहमति शुक्रवार को बन गई थी, लेकिन अन्ना ने एलान कर दिया था कि वे अधिसूचना की प्रति देखने के बाद ही अनशन तोड़ेंगे.
पांचवें दिन यानी 9 अप्रैल को अधिसूचना की प्रति हाथ में आई और शनिवार की सुबह रालेगन के संत अन्ना हजारे ने अनशन तोड़ दिया.
एक बच्ची ने अन्ना हजारे को नींबू-पानी पिलाकर अनशन समाप्त करवाया.
इससे पहले अन्ना हजारे ने घोषणा की कि पहले वे उनके साथ बैठे अन्य लोगों का अनशन समाप्त करवाएंगे.
अन्ना हजारे ने अपने साथ अनशन पर बैठे करीब 200 लोगों का अनशन समाप्त करवाया.
सरकार द्वारा मांगें मान लिए जाने से आंदोलन में शामिल देश की जनता ने राहत की सांस ली.
सरकार ने भी भ्रष्टाचार के खिलाफ जनता की मुहिम को सराहा.
सरकार ने कहा कि यह आंदोलन लोकतंत्र की जीत है.
अन्ना हज़ारे ने शनिवार को अपना अनशन इस अल्टीमेटम के साथ खत्म किया कि अगर 15 अगस्त तक जन लोकपाल कानून पास नहीं, हुआ तो फिर छिड़ेगा जनांदोलन.
कपिल सिब्बल ने कहा कि अब किसी विवाद के मसले को तूल नहीं दिया जाना चाहिए. सरकार ने नरम और सकारात्मक रवैया अपनाया है.
पांचवें दिन आंदोलन में श्री श्री रविशंकर के 'आर्ट ऑफ लिविंग' का भी सहयोग मिल गया.
पांचवें दिन सत्याग्रह के इस सिपाही का अनशन टूटा.
पांचवें दिन अन्ना हजारे के हाथ में था सरकार का नया अध्यादेश.
यह आंदोलन देश के लिए दूसरी आजादी जैसा था.
इस आंदोलन में देश की जनता भ्रष्टाचार से मुक्त भारत का सपना देख रही है.
इस आंदोलन के कई दूरगामी परिणाम देखे जा सकते हैं. यह लड़ाई खत्म हुई इस कसम के साथ कि अगर सरकार की ओर से इस बिल को लागू करने में जरा भी ढिलाई बरती गई, तो आंदोलन दोबारा शुरू होगा.
समाज सुधारक अन्ना हजारे ने कहा कि वह लोकपाल विधेयक पर आम लोगों से चर्चा के लिए पूरे देश की यात्रा करेंगे और एसएमएस के जरिए भी लोगों से सुझाव लेंगे.
अन्ना हजारे ने कहा है कि 'मैंने पहले इस आंदोलन को महाराष्ट्र में आयोजित करने की योजना बनाई थी लेकिन बाद में इसे दिल्ली लाया गया. जब से मैं दिल्ली आया तभी से मुझे लोगों और मीडिया का भारी समर्थन मिला और आंदोलन इतना बड़ा हो गया.
सरकार ने सख्त लोकपाल विधेयक बनाने के लिए उनकी लगभग सभी मांगें मान लीं हैं.
सैकड़ों समर्थकों के साथ अन्ना हजारे ने शनिवार को अपना अनशन समाप्त किया.
अन्ना ने कहा कि हम पूरे देश की यात्रा करेंगे और लोगों की चिंताएं जानने के लिए एसएमएस जैसी प्रौद्योगिकियों का उपयोग करेंगे. उन्होंने कहा कि उन्हें उम्मीद नहीं थी कि यह आंदोलन इतना बड़ा रूप लेगा
अन्ना हजारे ने कहा है कि लोकपाल विधेयक तैयार करने के लिए हम अब रणनीति तय कर रहे हैं और हमें लोगों तक पहुंचने की जरूरत है.
समाज सुधारक अन्ना हजारे ने कहा कि वह लोकपाल विधेयक पर आम लोगों से चर्चा के लिए पूरे देश की यात्रा करेंगे और एसएमएस के जरिए भी लोगों से सुझाव लेंगे.