ट्रेन के मलबे को क्रेन की सहायता से हटाने का प्रयास करते रेलवे कर्मी.
उत्तर प्रदेश में फतेहपुर जिले में रविवार को हुई कालका मेल दुर्घटना में मरने वालों की संख्या 68 हो गई है, जबकि लगभग 300 लोग घायल हैं और उनका विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है.
बचाव और राहत का काम सेना ने संभाल रखा है. इस काम में 200 से अधिक जवान और सेना के पांच हेलीकाप्टर लगे हुए हैं.
जिला पुलिस अधीक्षक राम भरोसे ने बताया, ‘अब तक 64 शवों का पंचनामा करके उन्हें पोस्ट मार्टम के लिए भेजा गया है. इनमें एक स्वीडन का नागरिक भी शामिल है.’
जिला पुलिस अधीक्षक राम भरोसे ने बताया कि घायलों को फतेहपुर, कानपुर और आसपास के जिलों के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया है.
रामभरोसे ने बताया कि राहत, बचाव कार्य और पटरियों को खाली कराने का जिम्मा सेना ने संभाल रखा है और यह अभियान पूरा होने में 48 घंटे का समय और लग सकता है.
उल्लेखनीय है कि फतेहपुर-कानपुर के बीच मलवां स्टेशन के पास रविवार को लगभग 108 किलोमीटर की रफ्तार से दौड़ रही कालका मेल के इंजन सहित 15 डिब्बे पलट गये थे.
कालका मेल की एक अन्य यात्री तृणा मजूमदार की एक अलग कहानी है. वह दिल्ली विश्वविद्यालय में एम.एसी (रसायन शास्त्र) में दाखिला लेने जा रही थीं, हादसे के बाद उनका थैला खो गया. तृणा के दाहिने पैर में चोट लगी है. उन्होंने कहा, ‘थैले में मेरे सारे प्रमाणपत्र रखे हुए थे. इनकी मेरे दाखिले के लिए जरूरत थी.’
यात्री तृणा मजूमदार ने बताया, ‘राहतकर्मी हादसे के तीन घंटे बाद मौके पर पहुंचे. हमारे पास पीने के लिए पानी तक नहीं था.’
कालका एक्सप्रेस हादसे की चपेटे में आए एक अन्य यात्री रजत ने कहा कि उन्हें इस हादसे को भूलने में वक्त लगेगा क्योंकि उन्होंने चारो ओर पड़े शवों को देखा था.
यात्री रजत ने कहा, ‘मेरे डिब्बे में कई शव पड़े हुए थे और इनमें कुछ बुरी हालत में थे. मैं इसे बयां नहीं कर सकता.’
एक अन्य यात्री गीता अपने बेटे के साथ विशेष ट्रेन का बेसब्री से इंतजार कर रही थीं ताकि वह अपने पति बी आर चावला को देख सकें.
बी आर चावला ने कहा, ‘मैं इस ट्रेन (कालका मेल) से सफर करता रहा हूं, लेकिन इस बार हादसे का सामना करना पड़ा.’
ट्रेन की 15 बोगियां पटरी से उतर गईं जिससे इस साल का सबसे भयानक रेल हादसा हुआ. यह हादसा रविवार दोपहर 12.20 पर हुई.
यात्री बी आर चावला ने कहा, ‘मैं इस ट्रेन (कालका मेल) से सफर करता रहा हूं, लेकिन इस बार हादसे का सामना करना पड़ा.’
हासिम नामक एक यात्री ने कहा, ‘मेरा थैला खो गया. मेरे पास इतना वक्त नहीं था कि मैं अपना थैला ढूंढ़ू क्योंकि पहली चिंता ट्रेन से बाहर आने की थी.’
दुर्घटना में कुल 24 डिब्बे में से 15 डिब्बे पटरी से उतर गए, जिनमें से 10 डिब्बे को अधिक नुकसान पहुंचा है.
ट्रेन के क्षतिग्रस्त डिब्बे से बाहर निकलने को व्याकुल कुछ यात्रियों को खिड़कियों के शीशे तोड़ते देखा गया.
क्षतिग्रस्त डिब्बे में छह वातानुकूलित हैं. एक एसी-3 डिब्बा पलट गया, जबकि एक अन्य डिब्बा इसके उपर चढ़ गया है क्योंकि ट्रेन की गति 108 किलोमीटर प्रति घंटा थी.
क्षतिग्रस्त डिब्बे में फंसे यात्री मदद की गुहार लगा रहे थे, जबकि यात्रियों के सामान चारों ओर बिखरे पड़े थे.
हावड़ा से दिल्ली आ रही कालका मेल के दुर्घटनाग्रस्त हो जाने के बाद घटनास्थल पर चारों ओर चीख-पुकार मची थी.
हादसा यूपी में लखनऊ से 120 किलोमीटर फतेहपुर के मालावन इलाके में हुआ.
ट्रेन की 15 बोगियां पटरी से उतर गईं जिससे इस साल का सबसे भयानक रेल हादसा हुआ. हादसे के कारणों की जांच की जा रही है.
फतेहपुर अस्पताल के चीफ मेडिकल ऑफिसर केएन जोशी के मुताबिक अब तक 35 लोगों की मौत हो चुकी है और 200 घायलों का इलाज चल रहा है. दो बोगियों से अभी घायलों को निकाला नहीं जा सका है.
फतेहपुर के पुलिस अधीक्षक राम भरोसे ने बताया कि मृतकों में महिलाएं और बच्चे शामिल हैं. सबसे ज्यादा नुकसान जनरल बोगी को हुआ है. डिब्बों को काटने के लिए गैस कटर और अन्य उपकरणों का इस्तेमाल किया जा रहा है ताकि एसी और अन्य कोच तक पहुंच कर घायलों को राहत पहुंचाई जा सके.
इस बीच नई दिल्ली में भारतीय रेलवे के प्रवक्ता ने बताया कि रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष विनय मित्तल के अलावा रेलवे बोर्ड के सदस्य मैकेनिकल और सदस्य इंजीनियरिंग, आरपीएफ के महानिदेशक और रेलवे स्वास्थ्य सेवा के महानिदेशक मौके के लिये रवाना हो गये हैं.
इस दुर्घटना का शिकार हुए लोगों के परिजनों का हावड़ा रेलवे स्टेशन पर तांता लगा हुआ है.
उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने दुर्घटना पर अफसोस जाहिर करते हुए मृतकों के परिजनों को एक लाख रुपये, गंभीर रूप से घायलों को 50 हजार और मामूली घायलों कों को 25 हजार रुपये देने की घोषणा की है.
केंद्र सरकार ने कहा है कि मृतकों के परिवारजनों को पांच लाख रुपये, गंभीर रूप से घायलों को एक लाख रुपये जबकि मामूली रूप से घायल हुए लोगों को 25 हजार रुपये दिए जाएंगे.
इलाहाबाद, कानपुर और दिल्ली से राहत ट्रेनें घटनास्थल पहुंच कर राहत कार्य में जुटी हैं. हावड़ा और दिल्ली ट्रेन स्टेशनों पर भी पूछताछ के लिए हेल्पलाइन शुरू की गई है.
इलाहाबाद और कानपुर से सेना के 100 से ज्यादा जवानों को बचाव के काम में हाथ बंटाने के लिए रवाना किया गया है. राष्ट्रीय आपदा राहत बल के जवान भी वहां तैनात किए गए हैं.
उत्तरप्रदेश में दुर्घटना का शिकार हुई कालका मेल में सुरक्षित बचे 167 यात्रियों के दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंचने के बाद उसमें से एक यात्री को एम्स के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया है. गंभीर रूप से घायल एक महिला यात्री काजि़ल (60 वर्ष) को तत्काल एम्स के ट्रॉमा सेंटर भेज दिया गया. दुर्घटनास्थल से 167 यात्रियों को लेकर एक विशेष रेलगाड़ी सोमवार की सुबह छह बजे से कुछ पहले दिल्ली पहुंची.
कालका दुर्घटना में घायल लोगों को दूसरी ट्रेन से दिल्ली ले जाया गया.
दुर्घटना में दो बोगियां बुरी तरह छतिग्रस्त हुईं और उनमें बैठे लोग सबसे ज्यादा प्रभावित हुए.
रेलवे ने हालांकि इस हादसे के भी जांच के आदेश दे दिए हैं लेकिन सवाल यह उठता है कि आखिर इतनी मौतों का जिम्मेदार कौन है?
इस भयानक दुर्घटना ने कई लोगों से उनके अपनों को हमेशा के लिए छीन लिया.
स्टेशन पर लगे सूचना पट्ट में अपने परिजनों के नाम तलाशते लोग.
हमेशा की तरह सेना ने राहत एवं बचाव कार्यों में अहम भूमिका निभाई.
इस रोती बिलखती बच्ची ने इस दुर्घटना में अपनी मां और भाई को खो दिया.
अपने रिश्तेदारों को फोन पर इस दुखदाई घटना की सूचना देता आंसुओं में डूबा एक शख्स.
अस्पताल में कालका मेल हादसे में घायल हुए लोग.
दुर्घटना की वजह से कई ट्रेनों को या तो रद्द कर दिया गया या कई ट्रेनों के मार्ग में परिवर्तन कर दिया गया.
दुर्घटना के बाद ट्रैक पर क्षतिग्रस्त डिब्बों के आ जाने से रेल मार्ग भी प्रभावित हुए.
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल बीएल जोशी ने भी घटनास्थल का दौरा किया और इसे बेहद दुखदाई घटना बताते हुए पीडि़तों के प्रति संवेदना भी व्यक्त की.
बारिश की वजह से राहत एवं बचाव कार्य में दिक्कत भी हुई.
हादसे के बाद तस्वीर दिखा कर अपने को तलाशता एक व्यक्ति.
इस हादसे ने 68 लोगों की जान ले ली.
कालका मेल दुर्घटना के बाद राहत कार्य में जुटे सेना के जवान.