अपने खास अंदाज के लिए बॉलीवुड में अलग पहचान बनाने वाले बेहतरीन एक्टर शम्मी कपूर का जन्म 21 अक्टूबर, 1931 में हुआ.
शम्मी कपूर का मानना था कि संगीत और धुन की समझ ने उन्हें नृत्य के मामले में काफी मदद की. यही वजह है कि वह आशा पारेख, मुमताज और हेलन जैसी नृत्यकला में पारंगत अभिनेत्रियों के साथ ताल से ताल मिला सके. शमशेर राज कपूर (असली नाम) ने अभिनय की शुरूआत पृथ्वी थियेटर से की. उनकी पहली फिल्म जीवन ज्योति थी.
अपने बिंदास स्टाइल के जरिए बॉलीवुड को एक नया स्टाइल देने वाले शम्मी कपूर अपने जमाने के स्टाइलिश एक्टर्स में से एक थे.
शम्मी कपूर ने 1955 में लोकप्रिय अभिनेत्री गीता बाली से शादी की और इसे वह अपने जीवन का महत्वपूर्ण मुकाम मानते थे . गीता बाली ने संघर्ष के दौर में उन्हें काफी प्रोत्साहन दिया. उनका वैवाहिक जीवन लंबा नहीं रहा क्योंकि गीताबाली का 1966 में निधन हो गया. बाद में शम्मी ने दूसरा विवाह किया.
1968 में उन्हें ब्रह्मचारी के लिए श्रेष्ठ अभिनय का फिल्म फेयर पुरस्कार मिला. कई फिल्म समीक्षक शम्मी कपूर की सफलता का श्रेय मोहम्मद रफी द्वारा गाए गए गानों और शंकर जयकिशन के संगीत को देते हैं.
इसमें कोई दो राय नहीं है कि उनकी फिल्मों के जरिए दर्शकों ने तेज धुन पर आधारित गानों को काफी पसंद किया. इसके अलावा शम्मी कपूर की संगीत की समझ उनके लिए काफी मददगार साबित हुई.
वैसे तो अभिनेता शम्मी कपूर का बॉलीवुड में अपना एक अलग ही अंदाज था लेकिन इसके अलावा फिल्म इंडस्ट्री में उन्हें बहुत ऊर्जावान अभिनेता माना जाता है.
कुछ दिनों पूर्व उन्होंने कहा था कि मैंने एक प्रिंस की तरह जीवन जिया जिसका मौका कम ही लोगों को मिल पाता है. मैं तो अब बोनस या क्रिकेट की भाषा में अतिरिक्त समय में खेल रहा हूं.
1966 में आई 'तीसरी मंजिल' विजय आनंद द्वारा निर्देशित हिंदी फिल्म है. इस फिल्म में शम्मी कपूर के अलावा आशा पारेख, हेलेन, प्रेमनाथ और प्रेम चोपड़ा भी थे.
'कश्मीर की कली' 1964 में प्रदर्शित हुई. इस फिल्म का ये चांद सा रोशन चेहरा, ज़ुल्फ़ों का रंग सुनहरा ये गीत आज भी लोगों के जुबान पर रहता है.
शम्मी कपूर को 'राजकुमार' फिल्म में बेहतरीन अदाकारी के लिए लोग आज भी याद करते हैं.
1968 में आई 'ब्रह्मचारी' फिल्म में भी शम्मी कपूर की अदाकारी को दर्शकों ने खूब सराहा.
'जंगली' में अपनी कमाल की अदाकारी के बल पर शम्मी ने पूरे बॉलीवुड में अपनी एक अलग ही पहचान बना ली.
'पगला कहीं का' 1970 आई थी और इस फिल्म एक गीत तुम मुझे यूं भूला ना पाओगे बहुत पॉपुलर हुआ था.
'एन इवनिंग इन पेरिस' की शूटिंग विदेश में हुई थी और यह पहली भारतीय फिल्म है जिसमें नियाग्रा जलप्रपात को दिखाया गया है. इसके अलावा इसके सभी सात गाने काफी हिट रहे जो आज भी लोकप्रिय हैं.
'जानवर' फिल्म में शम्मी कपूर ने बड़े ही मंझे हुए कलाकार की तरह काम किया है. पुरानी फिल्मों के शौकीन आज इस फिल्म को बड़े ही चाव से देखते हैं.
'दिल तेरा दीवाना' फिल्म में शम्मी कपूर ने माला सिन्हा के साथ काम किया. इसके अलावा शम्मी कपूर ने मधुवाला जैसी कई बेहतरीन एक्ट्रेस के साथ भी काम किया.
शम्मी कपूर की फिल्मों का एक अन्य पक्ष नई हीरोइनें थीं. जंगली में सायरा बानो, कश्मीर की कली में शर्मिला टैगोर, प्रोफेसर में कल्पना और दिल देके देखो में आशा पारेख ने उनके साथ अपने फिल्मी जीवन की शुरूआत की थी.
नासिर की निर्देशक के तौर पर 1959 में 'दिल देके देखो' प्रदर्शित हुई. इस फिल्म में शम्मी कपूर के साथ उन्होंने आशा पारेख को अभिनेत्री के तौर पर पहली बार पर्दे पर पेश किया.
1982 में आई फिल्म 'विधाता' के लिए शम्मी को बेस्ट सर्पोटिंग एक्टर का अवार्ड मिला था.