कई भारतीय भाषाओं में अपनी गायिकी के चलते मील का पत्थर साबित हो चुके जगजीत सिंह का जन्म 8 फरवरी 1941 को हुआ था. जबकि 10 अक्टूबर 2011 को जगजीत सिंह इस दुनिया को छोड़ कर चले गए. भले ही जगजीत सिंह अब हमारे बीच मौजूद नहीं हैं लेकिन उनकी गायी हुई गजलें आज भी लोगों के मन में ताजा हैं.
जन्म के बाद उनके परिवार वालों ने उनका नाम जगमोहन रखा था जो बाद में पारिवारिक ज्योतिष की सलाह पर बदल कर जगजीत कर दिया गया था.
भारत में सालों तक गजल गायकी का चेहरा बने रहे जगजीत सिंह के चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हुए थे.
हिंदी, उर्दू, पंजाबी, भोजपुरी सहित कई जबानों में गाने वाले जगजीत सिंह को साल 2003 में भारत सरकार के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक पद्मभूषण से नवाजा गया है.
जगजीत सिंह को आम तौर पर भारत में ग़ज़ल गायकी पुनः प्रचलित करने का श्रेय दिया जाता है.
जगजीत सिंह को उन कुछ चुनिंदा लोगों में से एक हैं जिन्होंने संसद के में 1857 के भारत में अंग्रेजों के खिलाफ़ हुए ग़दर की 150 वीं वर्षगाँठ पर आखिरी मुग़ल बादशाह बहादुर शाह ज़फर की ग़ज़ल प्रस्तुत की थी.
जगजीत सिंह और उनकी पत्नी ने अपना आखिरी संयुक्त एल्बम 'समवन समवेयर' पेश किया उसके बाद से जगजीत केवल अकेले गा रहे थे.
जगजीत सिंह ने लता मंगेशकर के साथ एक ख़ास एल्बम 'सजदा' पेश किया जो की बहुत ही प्रचलित हुआ.
इसके अलावा फ़िल्म निर्माता लेखक शायर गुलज़ार के साथ भी जगजीत सिंह ने खूब काम किया. जगजीत सिंह गुलज़ार के निर्देशन में बने टीवी सीरियल मिर्ज़ा ग़ालिब में मिर्ज़ा ग़ालिब की चुनिंदा गज़लों को अपनी आवाज़ दी.
गुलज़ार की तरह मशहूर शायर और लेख जावेद अख्तर के साथ मिल कर अपने चाहने वालों को एक विएशेष एल्बम 'सोज़' दिया.
बाद के सालों में सिंह ने भजन गाने शुरू किये जो कि उनकी गज़लों ही की तरह हाथों हाथ लिए गए.
जगजीत सिंह के बारे में बहुत ही कम लोगों को यह पता था कि मौसिकी का यह शहजादा घुड़दौड़ का बहुत ही शौक़ीन था.
जगजीत न केवल घोड़े पालते थे बल्कि उनके घोड़े दौड़ों में भाग भी लेते थे.
जगजीत सिंह ने घोड़ों की देखभाल और उनके प्रशिक्षण के लिए बाकायदा कई लोगों की सेवाएं ले रखीं थीं.
हिन्दी के अलावा पंजाबी, बांग्ला, उर्दू, गुजराती, सिंधी और नेपाली में भी जगजीत सिंह ने कई गीत-गजल गाए हैं.
2003 में भारत सरकार ने कला में उनके खास योगदान के लिए पद्म भूषण से सम्मानित किया.
सोमवार सुबह 8 बजे उनका निधन हो गया. बांद्रा में रह रहे जगजीत सिंह को 23 सिंतबर को ब्रेन हेमरेज के बाद हॉस्पिटल में ऐडमिट करवाया गया था जहां उनकी सर्जरी की गई थी.
लाखों दिलों को अपनी नज्मों और गजलों से छूनेवाले जगजीत सिंह गंभीर बीमारी से जूझते हुए अपने पीछे एक सुरीला संसार छोड़ गए.
हिन्दुस्तान और पाकिस्तान और पूरे उपमहाद्वीप के गजल गायकों में जगजीत सिंह का नाम बहुत ही सम्मान से लिया जाता है.
जगजीत आम लोगों में गजलों को लोकप्रिय बनाने में उनका अहम योगदान है. अब तक वे 50 से ज्यादा अलबम निकाल चुके हैं.
साल 1990 में एक हादसे इस दंपत्ति ने अपने एकमात्र पुत्र विवेक को खो दिया. चित्रा सिंह इस हादसे से कभी नहीं उबार पाईं और उन्होंने गाना बंद कर दिया.
जगजीत सिंह सालों तक अपने पत्नी चित्र सिंह के साथ जोड़ी बना कर गाते रहे. दोनों पति पत्नी ने मिल कर कई ऐसी प्रस्तुतियां दीं हैं.
मशहूर गजल गायक जगजीत सिंह को पिछले माह 23 सितम्बर को गंभीर हालत में मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
जिस दिन सिंह को अस्पताल में भरती कराया गया उस दिन शाम को वे पाकितान के नामचीन ग़ज़ल गायक गुलाम अली के साथ एक साझा कार्यक्रम देने वाले थे.
जगजीत सिंह सालों तक अपने पत्नी चित्र सिंह के साथ जोड़ी बना कर गाते रहे. दोनों पति पत्नी ने मिल कर कई ऐसी प्रस्तुतियां दीं हैं.
मशहूर गजल गायक जगजीत सिंह का 10 अक्टूबर 2011 की सुबह निधन हो गया था. वह 70 साल के थे. वह मुंबई के लीलावती अस्पताल में ब्रेन हेमरेज के बाद भर्ती किए गए थे.