अपने समय की मशहूर अदाकारा सुचित्रा सेन का शुक्रवार की सुबह कोलकाता के बेले व्यू अस्पताल में निधन हो गया. लंबे समय से बीमार चल रहीं सुचित्रा का निधन दिल का दौरा पड़ने से हुआ.
सुबह करीब 8:25 बजे उन्होंने आखिरी सांस ली. सुचित्रा सेन 82 साल की थीं और बॉलीवुड के अलावा उन्होंने कई बांग्ला फिल्मों में भी काम किया था.
उनका इलाज कर रहे डॉक्टरों ने पहले ही बताया था कि बड़ी उम्र के साथ-साथ मधुमेह और थायराइड होने के कारण भी उनकी सेहत सुधरने में बाधा पैदा हो रही थी.
सुचित्रा सेन ने प्रसिद्ध हिन्दी फिल्मों देवदास, आंधी के साथ बंगाली फिल्मों अग्निपरीक्षा, सप्तपदी, और दीप ज्वाले जय में भी अभिनय कर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया था. 1972 में उन्हें पद्मश्री से नवाजा गया था.
सुचित्रा सेन पहली ऐसी बंगाली अदाकारा बनीं जिन्हें इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में सम्मानित किया गया. उन्हें 'सप्तपदी' के लिए 1963 में मॉस्को फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट एक्ट्रेस का अवॉर्ड मिला था.
उत्तम कुमार और सुचित्रा सेन की जोड़ी बंगाली फिल्मों की सबसे हिट जोड़ी रह चुकी है.
फिल्मों से अपने रिटायरमेंट के बाद से ही सुचित्रा सेन लोगों की नजरों से दूर रहीं और अपना समय रामकृष्ण मिशन में लगाया.
2012 में सुचित्रा सेन ने पश्चिम बंगाल सरकार का सर्वोच्च सम्मान 'बंगा विभूषण' हासिल किया.
सुचित्रा सेन अभिनीत फिल्म 'आंधी' के रिलीज के 20 हफ्तों बाद ही इसे गुजरात में बैन कर दिया गया था. 1977 में जनता पार्टी के सत्ता में आने के बाद ही इससे रोक हटाई गई.
लोगों की नजरों से दूर और एकांत में रहने के लिए 2005 में सुचित्रा सेन ने दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड लेने से इनकार कर दिया था.
बेटी मुनमुन सेन गुरुवार पूरी रात उनके साथ ही थीं और सुबह ही सुचित्रा के पास से गईं थी. फेंफेड़े में इनफेक्शन के चलते उन्हें 24 दिसंबर को अस्पताल में भर्ती किया गया था.
सुचित्रा सेन ने 1955 में 'देवदास' में पारो का किरदार निभाया था, ये उनकी पहली हिंदी फिल्म भी थी.