काका यानी राजेश खन्ना के निधन को आज दो बरस बीत गए हैं काका अब सिर्फ यादों में बसेंगे. तस्वीरों, वीडियो और अपनी फिल्मों के जरिए वो अपने चाहने वालों के जेहन में बसे हुए हैं.
गुजरे जमाने के सुपरस्टार राजेश खन्ना अब हमारे बीच नहीं हैं. बॉलीवुड में उन्हें पहला सुपरस्टार होने का दर्जा हासिल था. राजेश खन्ना को लो प्यार से काका भी बुलाते थे. 69 वर्षीय राजेश खन्ना का निधन 18 जुलाई 2012 को उनके घर 'आशीर्वाद' में हुआ.
राजेश खन्ना सालों बाद 2012 में ही एक पंखे के विज्ञापन में दिखे थे. उस विज्ञापन में राजेश के स्टारडम की एक झलक दिखाई दी थी.
राजेश खन्ना द्वारा पहने गए गुरु कुर्ते खूब प्रसिद्ध हुए और कई लोगों ने उनके जैसे कुर्ते पहने.
मुमताज और शर्मिला टैगोर के साथ राजेश खन्ना की जोड़ी को काफी पसंद किया गया. मुमताज के साथ उन्होंने 8 सुपरहिट फिल्में दी.
अपनी फिल्मों के संगीत को लेकर राजेश हमेशा सजग रहते हैं. वे गाने की रिकॉर्डिंग के वक्त स्टुडियो में रहना पसंद करते थे और अपने सुझावों से संगीत निर्देशकों को अवगत कराते थे.
राजेश खन्ना की सफलता के पीछे संगीतकार आरडी बर्मन और गायक किशोर का अहम योगदान रहा है. इनके बनाए और राजेश पर फिल्माए अधिकांश गीत हिट साबित हुए और आज भी सुने जाते हैं. किशोर ने 91 फिल्मों में राजेश को आवाज दी तो आरडी ने उनकी 40 फिल्मों में संगीत दिया.
'आनंद' फिल्म राजेश खन्ना के करियर की सर्वश्रेष्ठ फिल्म मानी जा सकती है, जिसमें उन्होंने कैंसर से ग्रस्त जिंदादिल युवक की भूमिका निभाई.
'आराधना', 'सच्चा झूठा', 'कटी पतंग', 'हाथी मेरे साथी', 'मेहबूब की मेहंदी', 'आनंद', 'आन मिलो सजना', 'आपकी कसम' जैसी फिल्मों ने आय के नए रिकॉर्ड बनाए.
'आराधना' फिल्म का गाना ‘मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू...’ उनके करियर का सबसे बड़ा हिट गीत रहा.
गुजरे जमाने के सुपरस्टार राजेश खन्ना अब हमारे बीच नहीं रहे. बॉलीवुड में उन्हें पहला सुपरस्टार होने का दर्जा हासिल था. राजेश खन्ना को लोग प्यार से 'काका' भी बुलाते थे.
राजेश खन्ना के रूप में हिंदी सिनेमा को पहला ऐसा सुपरस्टार मिला जिसका जादू चाहने वालों के सिर चढ़कर बोलता था.
29 दिसंबर 1942 को अमृतसर में जन्मे जतिन खन्ना बाद में फिल्मी दुनिया में राजेश खन्ना के नाम से मशहूर हुए.
राजेश खन्ना ने अभिनय करियर शुरुआती नाकामियों के बाद इतनी तेजी से परवान चढ़ा कि उसकी मिसाल बहुत कम ही मिलती हैं.
जिस तरह से आज टीवी के जरिये टैलेंट हंट किया जाता है, कुछ इसी तरह काम 1965 यूनाइटेड प्रोड्यूसर्स और फिल्मफेअर ने किया था. वे नया हीरो खोज रहे थे. फाइनल में दस हजार में से आठ लड़के चुने गए थे, जिनमें एक राजेश खन्ना भी थे. अंत में राजेश खन्ना विजेता घोषित किए गए.
राजेश खन्ना का वास्तविक नाम जतिन खन्ना है. अपने अंकल के कहने पर उन्होंने नाम बदल लिया.
पाइल्स के ऑपरेशन के लिए एक बार राजेश खन्ना को अस्पताल में भर्ती होना पड़ा. अस्पताल में उनके इर्दगिर्द के कमरे निर्माताओं ने बुक करा लिए ताकि मौका मिलते ही वे राजेश को अपनी फिल्मों की कहानी सुना सके.
1969 से 1975 के बीच राजेश ने कई सुपरहिट फिल्में दीं. उस दौर में पैदा हुए ज्यादातर लड़कों के नाम राजेश रखे गए.
फिल्म इंडस्ट्री में राजेश को प्यार से काका कहा जाता है. जब वे सुपरस्टार थे तब एक कहावत बड़ी मशहूर थी- ऊपर आका और नीचे काका.
29 दिसम्बर 1942 को जन्मे राजेश खन्ना स्कूल और कॉलेज जमाने से ही एक्टिंग की ओर आकर्षित हुए. उन्हें उनके एक नजदीकी रिश्तेदार ने गोद लिया था और बहुत ही लाड़-प्यार से उन्हें पाला गया.
राजेश ने फिल्म में काम पाने के लिए निर्माताओं के दफ्तर के चक्कर लगाए. स्ट्रगलर होने के बावजूद वे इतनी महंगी कार में निर्माताओं के यहां जाते थे कि उस दौर के हीरो के पास भी वैसी कार नहीं थी.
प्रतियोगिता जीतते ही राजेश का संघर्ष खत्म हुआ. सबसे पहले उन्हें ‘राज’ फिल्म के लिए जीपी सिप्पी ने साइन किया, जिसमें बबीता जैसी बड़ी स्टार थीं.
राजेश की पहली प्रदर्शित फिल्म का नाम ‘आखिरी खत’ है, जो 1967 में रिलीज हुई थी.
1969 में रिलीज हुई आराधना और दो रास्ते की सफलता के बाद राजेश खन्ना सीधे शिखर पर जा बैठे. उन्हें सुपरस्टार घोषित कर दिया गया और लोगों के बीच उन्हें अपार लोकप्रियता हासिल हुई.
सुपरस्टार के सिंहासन पर राजेश खन्ना भले ही कम समय के लिए विराजमान रहे, लेकिन यह माना जाता है कि वैसी लोकप्रियता किसी को हासिल नहीं हुई जो राजेश को हासिल हुई थी.
लड़कियों के बीच राजेश खन्ना बेहद लोकप्रिय हुए. लड़कियों ने उन्हें खून से खत लिखे. उनकी फोटो से शादी कर ली. कुछ ने अपने हाथ या जांघ पर राजेश का नाम गुदवा लिया. कई लड़कियां उनका फोटो तकिये के नीचे रखकर सोती थी.
स्टुडियो या किसी निर्माता के दफ्तर के बाहर राजेश खन्ना की सफेद रंग की कार रुकती थी तो लड़कियां उस कार को ही चूम लेती थी. लिपिस्टिक के निशान से सफेद रंग की कार गुलाबी हो जाया करती थी.
निर्माता-निर्देशक राजेश खन्ना के घर के बाहर लाइन लगाए खड़े रहते थे. वे मुंहमांगे दाम चुकाकर उन्हें साइन करना चाहते थे.
परिवार की मर्जी के खिलाफ अभिनय को बतौर करियर चुनने वाले राजेश खन्ना ने वर्ष 1966 में 24 बरस की उम्र में आखिरी खत फिल्म से सिनेमा जगत में कदम रखा था.
राज, बहारों के सपने और औरत के रूप में उनकी कई फिल्में आई. मगर उन्हें बॉक्स आफिस पर कामयाबी नहीं मिल सकी.
वर्ष 1969 में आई फिल्म आराधना ने राजेश खन्ना के करियर को उड़ान दी और देखते ही देखते वह युवा दिलों की धड़कन बन गए.
वर्ष 1970 में बनी फिल्म सच्चा झूठा के लिए उन्हें पहली बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर अवार्ड दिया गया.
अराधना फिल्म में शर्मिला टैगोर के साथ उनकी जोड़ी बहुत पसंद की गई और वह हिंदी सिनेमा के पहले सुपरस्टार बनकर प्रशसंकों के दिलोदिमाग पर छा गए.
दो रास्ते, दुश्मन, बावर्ची, मेरे जीवन साथी, जोरू का गुलाम, अनुराग, दाग, नमक हराम और हमशक्ल के रूप में हिट फिल्मों के जरिए उन्होंने बॉक्स आफिस को कई वर्र्षो तक गुलजार रखा.
आराधना ने राजेश खन्ना की किस्मत के दरवाजे खोल दिए और उसके बाद उन्होंने अगले चार साल के दौरान लगातार 15 हिट फिल्में देकर समकालीन तथा अगली पीढ़ी के अभिनेताओं के लिए मील का पत्थर कायम किया.
भावपूर्ण दृश्यों में राजेश खन्ना के सटीक अभिनय को आज भी याद किया जाता है.
साल 2005 में उन्हें फिल्मफेयर लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड दिया गया था. वैसे तो राजेश खन्ना ने अनेक अभिनेत्रियों के साथ फिल्मों में काम किया, लेकिन शर्मिला टैगोर और मुमताज के साथ उनकी जोड़ी खासतौर पर लोकप्रिय हुई
राजेश खन्ना ने वर्ष 1973 में खुद से उम्र में काफी छोटी नवोदित अभिनेत्री डिम्पल कपाडि़या से विवाह किया और वे दो बेटियों ट्विंकल और रिंकी के माता-पिता बने. हालांकि राजेश और डिम्पल का वैवाहिक जीवन ज्यादा दिनों तक नहीं चल सका और कुछ समय के बाद वे अलग हो गए.
आनन्द फिल्म में उनके सशक्त अभिनय को एक उदाहरण का दर्जा हासिल है. राजेश को आनंद में यादगार अभिनय के लिये वर्ष 1971 में लगातार दूसरी बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर अवार्ड दिया गया. तीन साल बाद उन्हें आविष्कार फिल्म के लिए भी यह पुरस्कार प्रदान किया गया.
राजेश खन्ना ने राजनीति में भी कदम रखा और वर्ष 1991 से 1996 के बीच नई दिल्ली से कांग्रेस के लोकसभा सांसद भी रहे. वर्ष 1994 में उन्होंने खुदाई से अभिनय की नई पारी शुरू की. उसके बाद उनकी आ अब लौट चलें (1999), क्या दिल ने कहा (2002) और जाना (2006) जैसी फिल्मों के साथ बॉलीवुड में उनका सफर अब भी जारी है.
टीएमसी के नेता डेरेक ओब्रेन ने भी राजेश खन्ना को ट्विटर के जरिए श्रद्धांजलि दी. ओब्रेन ने ट्वीट किया कि वह राजेश खन्ना की फिल्म देखने के लिए क्लास बंक किया करते थे.
राजेश खन्ना के निधन पर बॉलीवुड अभिनेत्री नेहा धूपिया ने कहा कि काका का जादू हमेशा कायम रहेगा.
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि राजेश खन्ना के गुजर जाने का उन्हें काफी दुख है. उन्होंने कहा कि हमने एक अभिनेता और अच्छा इंसान खो दिया है.
फिल्मकार फराह खान ने कहा कि राजेश खन्ना अपनी फिल्मों के जरिए हमेशा अमर रहेंगे.
काका के निधन के बाद बॉलीवुड में शोक की लहर दौड़ गई. मधुर भंडारकर ने कहा कि काका जैसा न कोई था, न कोई है और न कोई होगा.
गायक दलेर मेहंदी ने कहा कि काका हमेशा हमारे दिल में रहेंगे.
गुजरे जमाने की अभिनेत्री सायरा बानो ने कहा कि राजेश खन्ना हमें बहुत याद आएंगे.
राजेश खन्ना के निधन पर जया प्रदा ने शोक जताते हुए कहा कि वे बहुत अच्छे और संजीदा कलाकार थे.
फिल्म बिरादरी, देश के राजनीतिक नेताओं और प्रशंसकों ने राजेश को बेमिसाल हस्ती के रूप में याद किया.
अमिताभ बच्चन सहित यश चोपड़ा, ऋषि कपूर, प्रेम चोपड़ा, अभिषेक बच्चन, अनु मलिक, विंदू दारा सिंह, साजिद खान, अरबाज खान और मलाइका अरोड़ा खान अभिनेता के निधन के बाद उनके बांद्रा स्थित निवास आशीर्वाद पर पहुंचे.
राजेश खन्ना को साल 2009 में IIFA की ओर से लाइफ टाइम एचीवमेंट अवार्ड दिया गया.
राजेश खन्ना के निधन पर कांग्रेस सांसद प्रिया दत्त ने गहरा अफसोस जाहिर किया.
राजेश खन्ना ने अपने बॉलीवुड करियर की शुरुआत वर्ष 1966 में फिल्म 'आखिरी खत' से की थी.
राजेश खन्ना के निधन पर राज बब्बर ने कहा कि इस सुपरस्टार को नस्लें याद रखेंगी.
राजेश खन्ना के निधन से बॉलीवुड में हर कोई बेहद दुखी है.
वह 'अराधना', 'दो रास्ते', 'सफर' और 'आनंद' जैसी फिल्मों से बॉलीवुड के सुपरस्टार बन गए.
राजेश खन्ना के व्यक्तित्व के जादू ने न केवल उनके प्रशंसकों को दीवाना बनाया बल्कि सुनहरे दिनों में तीन-तीन बालीवुड अभिनेत्रियों पर भी उनका जादू चला.
काका के निधन पर हेमा मालिनी ने कहा कि यह पल बहुत ही दुख भरा है.
अभिनेत्री अरुणा ईरानी ने भी काका के निधन पर गहरा शोक जताया.
राजेश खन्ना आखिरी बार इस वर्ष की शुरुआत में हेवल्स पंखों के विज्ञापन में नजर आए थे.
बाद में राजेश खन्ना ने राजनीति में भी कदम रखा.
राजेश खन्ना 1992 से लेकर 1996 तक बतौर लोकसभा के सदस्य रहे. वह कांग्रेस के टिकट पर नयी दिल्ली सीट से जीते थे.
राजेश खन्ना का अंतिम संस्कार गुरुवार सुबह 11 बजे दिन में किया जाएगा.