आगे की स्लाइड्स में जानते हैं रेखा की निजी जिंदगी के बारे में और उन फिल्मों के बारे में जिन्होंने उनकी जिंदगी बदल दी:
निजी जिंदगी हो या पेशेवर जिंदगी, रेखा ने दोनों में ही काफी संघर्ष किया है. 10 अक्टूबर, 1954 को मद्रास (अब चेन्नई) में जन्मी रेखा के पिता जेमनी गणेशन मशहूर तमिल अभिनेता और मां पुष्पावल्ली तेलुगू अभिनेत्री थीं.
रेखा ने 1966 में तेलुगू फिल्म 'रंगुला रत्नम' से अभिनय की शुरुआत की थी. फिल्म में उन्होंने बाल कलाकार की भूमिका निभाई थी. रेखा को फिल्मों में आने में दिलचस्पी नहीं थी, लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति के कारण उन्हें अभिनय जारी रखना पड़ा.
कुछ दक्षिण भारतीय फिल्में करने के बाद रेखा ने बंबई की ओर रुख किया और हिंदी फिल्मों में काम करना शुरू किया. बंबई उनके लिए एकदम नया था. सांवला रंग और लड़खड़ाती हिंदी के कारण रेखा को बंबई में भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने फिल्म 'सावन भादो' (1970) के साथ आगाज किया और रातों रात मशहूर हो गईं.
रेखा, शादी और प्रेमप्रसंगों को लेकर भी सुर्खियों में रही हैं. रेखा का नाम लंबे समय तक अभिताभ बच्चन के साथ जुड़ता रहा. दोनों की जोड़ी पर्दे पर भी काफी लोकप्रिय रही.
भिनय के अलावा रेखा को नृत्य के लिए भी जाना जाता है. नृत्य के लिए 1998 में हिंदी फिल्मों की सर्वश्रेष्ठ नर्तक के लिए 'लच्छू महाराज पुरस्कार' से सम्मानित किया गया था. 'उमराव जान' में उनके नृत्य की काफी प्रशंसा हुई थी.
असफल प्रेम संबंधों के बाद रेखा ने 1990 में दिल्ली के एक व्यवसायी मुकेश अग्रवाल से शादी की थी, लेकिन यहां भी किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. मुकेश ने शादी के एक साल बाद 1991 में आत्महत्या कर ली थी. अब रेखा मुंबई के बांद्रा के बैंडस्टैंड में अपने बंगले में अकेली रहती हैं.
2003 में उन्हें 'फिल्म फेयर लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार' और 'सैमसंग दिवा पुरस्कार' तथा 2012 में 'आउटस्टैंडिंग अचीवमेंट इन इंडियन सिनेमा' पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.
रेखा को लिखने-पढ़ने का शौक है. वह कविताएं लिखती हैं. रेखा को उनकी कांजीवरम साड़ियों के लिए भी जाना जाता है. वह अपने कास्ट्यूम खुद डिजाइन करती हैं. उन्हें बागबानी का शौक है. वह ओपरा विनफ्रे की बड़ी प्रशंसक हैं.