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इन फिल्‍मों से बदली रेखा की जिंदगी

इन फिल्‍मों से बदली रेखा की जिंदगी
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रेखा के नाम से मशहूर हिंदी सिनेमा की सदाबहार अदाकारा भानुरेखा गणेशन की खूबसूरती और बेजोड़ अदाकारी आज भी बरकरार है. जन्‍मदिन के मौके पर एक इंटरव्‍यू में उनकी खूबसूरती के बारे में पूछे जाने पर रेखा ने कहा, 'ये सब प्‍यार की वज‍ह से है. मेरे माता-पिता ने एक दूसरे से बहुत प्‍यार किया. फिर मेरा जन्‍म हुआ, मैं उनके प्‍यार में बड़ी हुई. अब मैं महसूस करती हूं कि प्‍यार मेरे डीएनए में है.' रेखा मानती हैं कि प्‍यार में एक बच्‍चे सी मासूमियत होती है और सकारात्‍मकता आपकी पूरी जिंदगी को खूबसूरत बनाती है.

आगे की स्‍लाइड्स में जानते हैं रेखा की निजी जिंदगी के बारे में और उन फिल्‍मों के बारे में जिन्‍होंने उनकी जिंदगी बदल दी:

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फिल्‍म 'घर' 1978 में रिलीज हुई थी. फिल्‍म में रेखा ने रेप पीड़‍िता का किरदार निभाया था. ये फिल्‍म उनके करियर की एक महत्‍वपूर्ण फिल्‍म थी. फिल्‍म एक रेप पीड़‍िता के संघर्ष की कहानी थी. इसमें उनके साथ विनोद मेहरा थे. इस फिल्‍म के लिए पहली बार उन्‍हें फिल्‍म फेयर में बेस्‍ट एक्‍ट्रेस का नॉमिनेशन मिला था.

निजी जिंदगी हो या पेशेवर जिंदगी, रेखा ने दोनों में ही काफी संघर्ष किया है. 10 अक्टूबर, 1954 को मद्रास (अब चेन्नई) में जन्मी रेखा के पिता जेमनी गणेशन मशहूर तमिल अभिनेता और मां पुष्पावल्ली तेलुगू अभिनेत्री थीं.

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'मुकद्दर का सिकंदर' साल 1978 में रिलीज हुई थी. फिल्‍म 'शोले' और 'बॉबी' के बाद ये फिल्‍म सबसे बड़ी हिट साबित हुई. रेखा और अमिताभ बच्‍चन की जोड़ी को बहुत पसंद किया जाने लगा और जल्‍द ही ये जोड़ी बॉलीवुड की हॉट जोड़ी बन गई.

रेखा ने 1966 में तेलुगू फिल्म 'रंगुला रत्नम' से अभिनय की शुरुआत की थी. फिल्म में उन्होंने बाल कलाकार की भूमिका निभाई थी. रेखा को फिल्मों में आने में दिलचस्पी नहीं थी, लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति के कारण उन्हें अभिनय जारी रखना पड़ा.

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'मिस्‍टर नटवरलाल' साल 1979 में रिलीज हुई. इसमें भी रेखा और अमिताभ बच्‍चन लीड रोल में थे. इस फिल्‍म के बाद दोनों ने कई फिल्‍में साथ में की. इनकी जोड़ी को दर्शक खूब पसंद कर रहे थे और निर्देशकों ने भी इसका खूब फायदा उठाया.

कुछ दक्षिण भारतीय फिल्में करने के बाद रेखा ने बंबई की ओर रुख किया और हिंदी फिल्मों में काम करना शुरू किया. बंबई उनके लिए एकदम नया था. सांवला रंग और लड़खड़ाती हिंदी के कारण रेखा को बंबई में भी काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने फिल्म 'सावन भादो' (1970) के साथ आगाज किया और रातों रात मशहूर हो गईं.

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'खूबसूरत' फिल्‍म साल 1980 में रिलीज हुई. इसमें भी रेखा ने मुख्‍य किरदार निभाया था. फिल्‍म के लिए रेखा ने पहला फिल्‍म फेयर अवॉर्ड फॉर बेस्‍ट एक्‍ट्रेस भी जीता था. इस फिल्‍म में दर्शकों ने एक खुशमिजाज लड़की को देखा था.

रेखा, शादी और प्रेमप्रसंगों को लेकर भी सुर्खियों में रही हैं. रेखा का नाम लंबे समय तक अभिताभ बच्चन के साथ जुड़ता रहा. दोनों की जोड़ी पर्दे पर भी काफी लोकप्रिय रही.

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फिल्‍म 'उमराव जान' 1981 में रिलीज हुई थी. अपने करियर के शुरुआत में रेखा को हिंदी भी ठीक से बोलने नहीं आती थी, लेकिन उन्‍होंने इस फिल्‍म के लिए उर्दू सीखी. इस फिल्‍म के लिए उन्‍हें नेशनल फिल्‍म अवॉर्ड फॉर बेस्‍ट एक्‍ट्रेस मिला.

भिनय के अलावा रेखा को नृत्य के लिए भी जाना जाता है. नृत्य के लिए 1998 में हिंदी फिल्मों की सर्वश्रेष्ठ नर्तक के लिए 'लच्छू महाराज पुरस्कार' से सम्मानित किया गया था. 'उमराव जान' में उनके नृत्य की काफी प्रशंसा हुई थी.

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एक रोमांटिक और रीयल लाइफ स्‍टोरी 'सिलसिला' साल 1981 में बड़े पर्दे पर रिलीज हुई. फिल्‍म में रेखा, अमिताभ और जया बच्‍चन थे. फिल्‍म तीनों की असल जिंदगी के प्‍यार और उलझनों पर ही बनी थी. इस फिल्‍म के बाद दोनों का ऑन और ऑफ स्‍क्रीन रोमांस का अंत हो गया. इस फिल्‍म के बाद दोनों कभी एक साथ नजर नहीं आए.

असफल प्रेम संबंधों के बाद रेखा ने 1990 में दिल्ली के एक व्यवसायी मुकेश अग्रवाल से शादी की थी, लेकिन यहां भी किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. मुकेश ने शादी के एक साल बाद 1991 में आत्महत्या कर ली थी. अब रेखा मुंबई के बांद्रा के बैंडस्टैंड में अपने बंगले में अकेली रहती हैं.

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रेखा की फिल्‍म 'खून भरी मांग' 12 अगस्‍त 1988 में रिलीज हुई और उनकी करियर के लिए बहुत महत्‍वपूर्ण साबित हुई. इस फिल्‍म को बहुत अच्‍छी समीक्षा मिली और उनके जोरदार अभिनय की खूब तारीफ भी हुई.

2003 में उन्हें 'फिल्म फेयर लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार' और 'सैमसंग दिवा पुरस्कार' तथा 2012 में 'आउटस्टैंडिंग अचीवमेंट इन इंडियन सिनेमा' पुरस्कार से सम्मानित किया गया था.

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'फूल बने अंगारे' 1991 में रिलीज हुई. इसमें रेखा ने मुख्‍य किरदार निभाया था. फिल्‍म में रेखा के बोल्‍ड लुक की सबने सराहना की और उनका ये अंदाज दर्शकों के बीच पॉपुलर हो गया.

रेखा को लिखने-पढ़ने का शौक है. वह कविताएं लिखती हैं. रेखा को उनकी कांजीवरम साड़ियों के लिए भी जाना जाता है. वह अपने कास्ट्यूम खुद डिजाइन करती हैं. उन्हें बागबानी का शौक है. वह ओपरा विनफ्रे की बड़ी प्रशंसक हैं.

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