शनिवार 27 दिसंबर 2015 को सलमान खान अपने जीवन के 5वें दशक में प्रवेश कर रहे हैं. ट्विटर पर 23 दिसंबर से ही #SalmanKhanBdayWeek #SalmanKhanTomorrow और #HappyBirthDaySalman ट्रेंड में है. यानी किसी त्योहार की तरह सलमान के फैंस के लिए यह दिन उत्साह और उमंग से भरा हुआ है. बीते 27 वर्षों के सिनेमाई सफर और जीवन के 50 वर्षों में सलमान की शख्सियत में कई उतार चढ़ाव आए हैं. सिनेमा में बिगड़ैल 'विक्की' से 'प्रेम' और रौबदार 'राधे मोहन' के बाद अब 'देवी लाल सिंह' तक जहां सलमान ने 75 से ज्यादा चरित्रों को पर्दे पर गढ़ा है, वहीं बचपन में पिता सलीम जैसी शख्सियत चाहने वाले सलमान आज अपनी बहन अर्पिता के लिए पिता से भी बढ़कर हो गए हैं.
सिनेमाई पर्दे पर सलमान ने साल 1988 में 'बीवी हो तो ऐसी' से दस्तक दी. फिल्म में वह फारुख शेख के भाई बने थे और यह एक ग्रे कैरेक्टर था. 26 साल बाद 2014 में आई 'किक' में भी सलमान ने ग्रे कैरेक्टर प्ले किया. लेकिन तब के 'विक्की' और आज के 'देवी' में फर्क है. तब शुरुआत थी और सलमान को समझने में शायद ही किसी की दिलचस्पी थी, लेकिन आज बात सीधी और सपाट है, 'मेरे बारे में ज्यादा मत सोचना. दिल में आता हूं, समझ में नहीं'.
बतौर लीड रोल सलमान की पहली फिल्म 1989 में 'मैंने प्यार किया' रिलीज हुई. भाग्यश्री के साथ फिल्म में उनकी जोड़ी को न सिर्फ पसंद किया गया बल्कि फिल्म सुपरहिट साबित हुई. हिंदी सिनेमा की यह पहली फिल्म थी जिसे फोर ट्रैक साउंड से लैस किया गया था. सलमान इस फिल्म में इतने दुबले-पतले थे कि कपड़े फिट आएं इसके लिए उन्हें लड़कियों वाली स्लैक्स पहनाई जाती थी. लेकिन पांच साल बाद ही 1995 में सलमान को वर्ल्ड लेवल पर टफ बॉडी एंड सॉफ्ट फेस श्रेणी में पांचवां सबसे आकर्षक व्यक्ति चुना गया.
सलमान आज बॉलीवुड के सबसे बड़े स्टार्स में से एक हैं, लेकिन एक सच यह भी है कि वह एक्टर की बजाय अपने पिता की तरह राइटर बनना चाहते थे. 1990 में रिलीज अपनी फिल्म 'बागी' में उन्होंने अपनी इस प्रतिभा को आजमाया भी था, लेकिन फिर उसे जारी नहीं रख सके. फिल्म में सलमान के अपोजिट नगमा थीं और इस फिल्म ने भी लवर ब्वॉय 'प्रेम' की छवि को आगे बढ़ाने का काम किया. फिल्म के एक सीन में वह बिकिनी पहनकर कर सड़क पर दौड़ते दिखाए गए हैं. सलमान इस सीन को अपने जीवन का सबसे मुश्किल शूट मानते हैं.
फिल्मी जीवन में सलमान के स्टारडम की शुरुआत यूं तो 1989 में 'मैंने प्यार किया' से हो गई थी, लेकिन 'प्रेम' दीवानों की बाढ़ तब आई जब 1991 में एक के बाद एक उनकी सभी पांच फिल्में बॉक्स ऑफिस पर हिट साबित हुईं. 'सनम वेबफा' के 'सलमान' में हर लड़की ने अपनी दीदी के लिए 'जीजा जी' तलाशना शुरू कर दिया, वहीं 'पत्थर के फूल' में रवीना टंडन के साथ रोमांस और वर्दी के रौब ने उन्हें कमोबेश एक्शन के अवतार में दर्शकों के सामने पेश किया.
साल 1991 में ही आई 'कुर्बान' में आयशा जुल्का के साथ और रेवती के साथ 'लव' में एक बार फिर सलमान का रोमांटिक अंदाज देखने को मिला, लेकिन 'साजन' में दिलफेंक मगर सामाजिक संस्कारों में पले-बढ़े सलमान के किरदार ने दोस्ती को नया 'आकाश' दे दिया. इन फिल्मों के साथ सलमान के क्रेज में थोड़ा परिवर्तन भी दिखने लगा. अब तक जो सलमान लवर ब्वॉय की इमेज में लड़कियों और आशिकों का फेवरेट था, वह अपने एक्शन और सुगठित बॉडी के लिए बेफिक्र लड़कों के वर्ग में भी पसंद किया जाने लगा.
किसी भी एक्टर के लिए एक इमेज में बंधकर रह जाना सबसे हानिकारक माना जाता है. 1992 में रिलीज 'सूर्यवंशी', 'जागृति' और कमोबेश 'निश्चय' जैसी फिल्मों के जरिए सलमान ने भी शायद यही कोशिश की. लेकिन रोमांस के साथ ही एक्शन पैक्ड इन फिल्मों ने ऐसा कोई कमाल नहीं दिखाया. इसी साल एक और फिल्म रिलीज हुई 'एक लड़का एक लड़की'. कई बच्चों के 'राजा चाचा' ने भी सलमान के करियर ग्राफ में कोई खास निशान नहीं छोड़े.
साल 1993 में सलमान की दो फिल्में रिलीज हुईं, 'चंद्रमुखी' और 'दिल तेरा आशिक'. 'चंद्रमुखी' में श्रीदेवी के साथ सलमान की जोड़ी जहां दादी-नानी की परियों की कहानी जैसी थी, वहीं 'दिल तेरा आशिक' में 'साजन' के बाद माधुरी और सलमान की जोड़ी एक बार फिर पर्दे पर आई. दोनों ही फिल्मों ने सफलता तो हासिल की, लेकिन उस अपार सफलता के दरवाजों तक नहीं पहुंच सकी, जिसकी अपेक्षा की गई थी.
साल 1994 में एक बार फिर सूरज बड़जात्या ने पर्दे पर 'प्रेम' को जादू बिखेरने का मौका दिया. 'हम आपके हैं कौन..!' सलमान के करियर को न सिर्फ नई ऊंचाई पर ले गई बल्कि उसने पिछले सारे रेकॉर्ड तोड़ दिए. खास बात यह भी है कि जब सलमान के पास सूरज इस फिल्म की स्क्रिप्ट लेकर आए थे, तब सलमान ने पहला सवाल किया था कि इसमें हीरो कौन है? यानी एक ऐसी कहानी जिसमें कोई हीरो नहीं था और सभी हीरो थे. इसी साल 'संगदिल सनम' और 'चांद का टुकड़ा' भी रिलीज हुई थी. जबकि हिंदी सिनेमा में कॉमेडी को नए मानदंड देने वाली 'अंदाज अपना अपना' भी 1994 में ही रिलीज हुई, जिसमें 'अमर-प्रेम' की जोड़ी अब अमर हो चुकी है.
सलमान अब करियर की उस ऊंचाई पर थे, जिसकी चाह किसी भी स्टार को होती है. सितारे सलमान के साथ थे और 1995 में वह भी हुआ, जिसकी सलमान को चाह थी. 'करण अर्जुन' और 'वीरगति' ने 'प्रेम' को 'अजय' से अजेय बना दिया. राकेश रोशन और केके सिंह की इन दोनों फिल्मों में चुलबुल अंदाज वाला मस्तीखोर 'प्रेम' गंभीर और सीधी बात करने वाला चरित्र गढ़ने में कामयाब हुआ. दुबला पतला सलमान अब 'टफ बॉडी और सॉफ्ट फेस' के साथ दुश्मनों के लिए सुलेमान बन गया था.
साल 1996 में सलमान की तीन फिल्में रिलीज हुईं, 'मझधार', 'खामोशी' और 'जीत'. इनमें 'मझधार' को छोड़कर बाकी दो फिल्मों की कहानी के केंद्र में सलमान का कैरेक्टर नहीं था. लेकिन जब सितारे साथ हों तो इंसान सितारों में गिना जाता है. सलमान का सौम्य चेहरा और चमकता करियर इन फिल्मों के लिए दर्शक बटोरने के लिए काफी था.
करियर के बेजोड़ नौ साल बाद सलमान ने 1997 में एक और नई कोशिश की. फिल्मों में डबल रोल की. 'जुड़वा' में सलमान के फैंस को एक नहीं दो-दो सलमान देखने को मिले. यह कोशिश इतनी लाजवाब रही कि आज इस फिल्म के सीक्वल तक की बात उठने लगी है. इस साल सलमान के भाई सोहेल खान ने भी निर्देशन की दुनिया में कदम रखा और फिल्म बनाई 'औजार'. यह फिल्म औसत रही, लेकिन 'जुड़वा' की सफलता ने फैंस को '...नौ से बारह' जाने पर मजबूर कर दिया.
'औजार' के एक साल बाद 1998 में सोहेल खान ने एक और फिल्म बनाई 'प्यार किया तो डरना क्या'. यह फिल्म सुपरहिट साबित हुई. इसी साल दो और फिल्में रिलीज हुईं 'जब प्यार किसी से होता है' और 'बंधन'. एक्श्न हीरो के तौर पर उभर चुके सलमान ने 'बंधन' में अपनी मांसपेशियों के ऐसे दर्शन करवाए कि मुहल्ले के लड़कों की लोहे (डंबल) से दोस्ती होने लगी और खुले बदन 'ओ ओ जाने जाना' की ट्यून ने लड़कियों को कुछ भी सोचने-समझने का मौका नहीं दिया.
इस बीच करण जौहर के डेब्यू 'कुछ कुछ होता है' में जब सलमान इंटरवल से ठीक पहले 'साजन जी' बनकर काजोल के घर आए तो स्क्रीन जैसे सलमानमय हो जाता है.
साल 1999 में यूं तो 'जानम समझा करो', 'बीवी नंबर-1' और 'हेल्लो ब्रदर' भी रिलीज हुई, लेकिन 'हम दिल दे चुके सनम' तक सलमान रील लाइफ से इतर रियल लाइफ में भी दिल लुटा चुके थे. ऐश्वर्या संग उनका प्रेम परवान चढ़ा तो इसी साल रिलीज 'हम साथ साथ हैं' में एक बार फिर वह परिवार के चहेते बने. लेकिन अफसोस इन दोनों फिल्मों ने उनकी असल जिंदगी में ऐसा असर छोड़ा कि सलमान तो दूर उनके फैंस भी नहीं अब तक नहीं उबर पाए हैं.
मिलेनियम ईयर 2000 में सलमान की एक के बाद एक चार फिल्में रिलीज हुईं, लेकिन डेविड धवन की 'दुल्हन हम ले जाएंगे' के अलावा 'चल मेरे भाई', 'हर दिल जो प्यार करेगा' और 'कहीं प्यार न हो जाए' बॉक्स ऑफिस पर ज्यादा कमाल नहीं दिखा सकीं. हालांकि इस समय तक सलमान एक ऐसे स्टार बन चुके थे जो सिनेमाघर के लिए एवरग्रीन था.
साल 2001 में सलमान की एक ही फिल्म रिलीज हुई 'चोरी चोरी चुपके चुपके'. इस फिल्म में 'हर दिल जो प्यार करेगा' की तिकड़ी यानी सलमान, रानी और प्रीति साथ दिखी, लेकिन यह फिल्म अपने अंडरवर्ल्ड कनेक्शन के कारण ज्यादा चर्चा में रही. हालांकि बाद में टीवी पर इस फैमिली फिल्म को खूब पसंद किया गया.
साल 2002 में सलमान ने एक और एक्शन पैक्ड किरदार निभाया 'वीर सिंह ठाकुर' का. फिल्म थी 'तुमको न भूल पाएंगे'. फिल्म औसत रही, लेकिन सलमान का अंदाज-ए-एक्शन दर्शकों में छाप छोड़ गया. इस साल दो और फिल्म आई, 'हम तुम्हारे हैं सनम' और 'ये है जलवा'. ये दोनों फिल्में भी औसत कारोबार ही कर पाईं.
अब सलमान को एक हिट फिल्म का इंतजार था. बीते वर्षों में उनके असल जीवन में कोर्ट कचहरी से लेकर ऐश्वर्या संग रिश्तों में खटास ने फिल्मों से ज्यादा सुर्खियां बटोरी, लेकिन 2003 में सतीश कौशिक की फिल्म 'तेरे नाम' ने 'प्रेम' को 'राधे मोहन' की श्रेणी में ला खड़ा किया. इस फिल्म ने सलमान को स्टारडम की नई ऊंचाईयों पर पहुंचाया. नतीजा हर गली में कईयों को सलमान की 'लगन लग गई' और राधे कट फैशन बन गया. इसी साल 'बागबान' भी रिलीज हुई, जिसके 'आलोक' ने बेधड़क 'राधे' से इतर एक आदर्श बेटे की छवि को जीवित किया.
सलमान एक बार फिर शिखर पर पहुंच गए. 2004 में 'गर्व' और 'मुझसे शादी करोगी' हिट साबित हुई, वहीं 'फिर मिलेंगे' और 'दिल ने जिसे अपना कहा' के औसत कारोबार ने उन्हें स्टारडम के शिखर पर बनाए रखा.
कुछ इसी तरह 2005 में भी 'मैंने प्यार क्यूं किया?' और 'नो एंट्री' हिट हुई तो 'लकी: नो टाइम फॉर लव' और 'क्योंकि...' ने सलमान के करियर को बैलेंस करने का काम किया.
हालांकि 2006 में आई सलमान की चारों फिल्में 'शादी करके फंस गया यार', 'सावन', 'जान-ए-मन' और 'बाबुल' ने कोई खास कमाल नहीं किया. लेकिन यह वह दौर साबित हुआ जब असल जीवन में भी सलमान ने खूब उथल-पुथल देखा.
करियर के गिरते ग्राफ को 2007 में 'पार्टनर' मिला और कभी पर्दे पर प्यार को परिभाषित करने वाला 'प्रेम' 18 साल बाद वयस्क होकर 'लव गुरु' बन गया. इसी साल सलमान एक इंटरनेशनल प्रोजेक्ट 'मैरीगोल्ड' का भी हिस्सा बने, लेकिन यह हिंग्लिश फिल्म सलमान के फैन वर्ग को ज्यादा नहीं लुभा पाई, वहीं 'सलाम-ए-इश्क' भी कमाल नहीं दिखा पाई. हालांकि अब तक फैंस 'पार्टनर' के 'कैंडी' की मिठास में ही रमे हुए थे.
साल 2008 में आई 'गॉड तुसी ग्रेट हो' और 'हीरोज' सलमान की उन फिल्मों की फेहरिस्त में शामिल हुए, जिसे फैंस 'अकसा बीच' पर भी शायद ही याद करना चाहें. हालांकि कटरीना कैफ के साथ 'युवराज' ने इस साल को थोड़ा बैलेंस करने का काम किया.
सही मायने में देखा जाए तो 'तेरे नाम' के बाद सलमान की जिन फिल्मों ने भी नाम कमाया, सभी मल्टीस्टारर फिल्में थीं. ऐसे में जरूरत एक कमबैक की थी और 2009 में प्रभु देवा के 'वांटेड' ने इस कसर को पूरा किया. माना जाता है कि इसी बात को ध्यान में रखते हुए फिल्म में सलमान के कैरेक्टर को 'राधे' का नाम दिया गया. असर कुछ ऐसा कि 'यहां भी... वहां भी... अब तो सारे जहां में...' हुआ सलमान का जलवा.
हालांकि इस साल 'मैं और मिसेज खन्ना' व 'लंदन ड्रीम्स' भी रिलीज हुई, लेकिन फैंस की एक ही वांट थी.... 'वांटेड'.
साल 2010 को सलमान के करियर का 22वां साल न कहकर, 'सलमान युग' की शुरुआत कहना ज्यादा सही होगा. इस साल रिलीज 'दबंग' ने जो किया, वह हिंदी सिनेमा के लिए नया भी था और मिथकों को तोड़ने वाला भी. सलमान खान एक एक्टर से आगे बढ़कर सिनेमा का 'सलमान जोनर' बन गए. अब फिल्में सलमान अंदाज में बनने लगीं और बॉक्स ऑफिस पर 100 करोड़ क्लब की शुरुआत हुई, जिसके अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी जाहिर तौर पर 'चुलबुल पांडे' को मिली. हालांकि इस साल 'दबंग' से पहले 'वीर' भी रिलीज हुई, लेकिन पांडे जी ने इतने छेद कर दिए कि सब कनफ्यूज हो गए...
'दबंग' के बाद सलमान की फिल्मों का 'तेवर' बदल गया. क्योंकि अब न तो उसे समीक्षक के तमगों की जरूरत रही और न ही अलग कहानी की. फिल्म में सलमान हैं, मतलब फिल्म 100 करोड़ क्लब का हिस्सा बनेगी. 2011 में रिलीज 'रेडी' और 'बॉडीगार्ड' इसी की बानगी है. सलमान का मानना है कि वह सिनेमा मनोरंजन के लिए बनाते हैं और फैंस को उनका हीरो लार्जर दैन लाइफ इमेज वाला चाहिए. यानी फैंस 'ढिंका चिका' में व्यस्त हैं तो सलमान अपने 'जोनर' की फिल्मों में.
साल 2010 का 'दबंग' 2012 आते-आते 'टाइगर' बन गया और बॉक्स ऑफिस पर उसकी दहाड़ जिसने भी सुनी कह उठा, 'माशाल्लाह... एक था टाइगर'. इस बीच 'चुबलुल पांडे' का नया अवतार (दबंग-2) भी आया, जिसे इस बार न तो 'मुन्नी' के सहारे की जरूरत थी और न ही छेदी सिंह में छेद करने की. बस फेविकॉल डाला और लोग सीने से चिपकते गए.
सलमान के 26 साल के फिल्मी करियर में 2013 ऐसा साल रहा, जब उनकी एक भी फिल्म रिलीज नहीं हुई. लेकिन फैंस के इंतजार को 'जय अग्नहोत्री' और 'देवी लाल सिंह' ने सूद समेत वापस लौटाया. 2014 में 'जय हो' और 'किक' रिलीज हुई. दोनों फिल्में 100 करोड़ क्लब में शामिल हुई, जबकि 'किक' ने इतनी ईदी बटोरी कि 233 करोड़ रुपये की कमाई के साथ साल की सबसे बड़ी हिट साबित हुई है.
साल दर साल सफलता और बॉक्स ऑफिस के लिए कमाई के नए रिकॉर्ड बनाने वाले सलमान के लिए 2015 बंपर ईयर की तरह रहा है. इस साल रिलीज 'बजरंगी भाईजान' और 'प्रेम रतन धन पायो' दोनों की फिल्में कमाई के लिहाज से सलमान के करियर की सबसे बड़ी फिल्में साबित हुई हैं. 'बजरंगी भाईजान' जहां भारत में 300 करोड़ क्लब में शामिल हुई, वहीं पर्दे पर सूरज बड़जात्या के 'प्रेम' की वापसी ने 200 करोड़ क्लब में एंट्री की. दोनों ही फिल्मों ने अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी क्रम से 600 करोड़ और 400 करोड़ के आंकड़े को पार किया.
हिंदी सिनेमा में अब तक के 27 साल के करियर और 75 फिल्मों के सफर में यकीनन सलमान ने कई उतार-चढ़ाव देखें. लेकिन मौजूदा दौर में वह प्रसिद्धि और शोहरत के उस मुकाम पर हैं, जहां अब फिल्मों की पटकथा में एक्टर खुद को सलमान का फैन और उन्हें अपना गुरु बताने लगे हैं. उनके नाम पर गीत लिखे जा रहे हैं, वहीं टीवी की दुनिया में भी वह सबसे ज्यादा पसंद किए जाने वाले होस्ट हैं. संभव है कि आने वाले वर्षों में सलामन नाम की यह आंधी थम जाए, लेकिन यह भी तय है कि यह जब तक बहेगी उसका अपना अंदाज होगा, मिजाज होगा और यही कहेगी... Do Whatever you want to do Yaar.