लीबिया के पूर्व तानाशाह मुअम्मर गद्दाफी को विद्रोहियों ने मार गिराया. मारे जाने के बाद गद्दाफी की कुछ ऐसी तस्वीर सामने आई.
खबरों के अनुसार पकड़े जाने के बाद गद्दाफी गुहार लगा रहा था कि उसे गोली ना मारी जाए.
खबरों के अनुसार गद्दाफी के दोनों पैरों में गोलियां लगी थी.
लीबिया के पूर्व तानाशाह को मुअम्मर गद्दाफी को मार गिराया गया है.
गद्दाफी 1969 में सत्तारूढ़ हुए थे. गत फरवरी में भड़के जनांदोलन की वजह से उन्हें अपदस्थ होना पड़ा था.
सिरते अकेला ऐसा शहर था जहां गद्दाफी के वफादार सुरक्षा बलों का कब्जा अब तक बरकरार था.
एनटीसी के एक सदस्य हसन द्राउबा ने कहा, ‘हमारे सुरक्षा बलों ने सिरते पर कब्जा कर लिया है. शहर को आजाद करा लिया गया है.’
गद्दाफी के गृह नगर सिरते पर नियंत्रण स्थापित कर लेने के बाद एनटीसी समर्थक लड़ाके जश्न मनाते देखे गए. वे हवा में गोलियां चला रहे थे और राष्ट्रगान गा रहे थे.
लीबिया में सरकार संचालित कर रही नेशनल ट्रांजिशनल काउंसिल (एनटीसी) के लड़ाकों के दोहरी कामयाबी हासिल करने की खबर आई है. लड़ाकों ने मुअम्मर गद्दाफी के गृहनगर सिरते पर कब्जा कर लिया.
पिछले कुछ दिनों से सिरते में एक विशेष इलाके तक ही लड़ाई सीमित हो गई थी. इस क्षेत्र भी में एनटीसी के लड़ाकों ने नियंत्रण कर लिया. खुशी में झूम रहे एनटीसी लड़ाकों ने अंगुलियों से ‘विजय’ का चिन्ह् दिखाया.
कहा तो ये भी जाता है कि जब गद्दाफी को मारा गया तब भी ये महिला गार्ड्स उसके साथ थीं. करीब 40 साल तक लीबिया पर राज करने वाला अय्याश तानाशाह आज मर चुका है. लेकिन उसकी अय्याशी के किस्से दुनिया को हमेशा हैरान करते रहे हैं.
इन महिला बॉडीगार्ड्स की ड्यूटी लगाने का पूरा जिम्मा गद्दाफी के हाथों में ही रहता था. किसे कब अपने साथ रखना है इसका फैंसला सिर्फ गद्दाफी ही करता था. गद्दाफी की बॉडीगार्ड बनने की कुछ शर्तें थीं.
गद्दाफी की रंगीन मिजाजी सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरती थी. खासकर गद्दाफी के साथ हर वक्त की साए की तरह रहने वाली किलिंग मशीन यानी खूबसूरत महिला बॉडीगार्डस का वो घेरा जो गद्दाफी के लिए जान की बाजी लगाने से भी नहीं हिचकता था.
जितना क्रूर उतना ही अय्याश, जितना बेरहम उतना ही दिलफेंक था लीबिया का तानाशाह जनरल मुअम्मर गद्दाफी.
और आखिरकार 20 अक्टूबर को आई दुनिया के सबसे बड़े तानाशाह मुआम्मर गद्दाफी के मारे जाने की खबर.
17 अक्टूबर 2011
सीरियाई टेलिविजन ने गद्दाफी के बेटे खामिश के मारे जाने की पुष्टि की.
14 अक्टूबर2011
त्रिपोली में शुरू हुआ घमासान.
12 अक्टूबर 2011
गद्दाफी के बेटे को विद्रोहियों ने पकड़ा.
21 अगस्त 2011
त्रिपोली में घुसे विद्रोही और यही थी गद्दाफी के अंत की शुरुआत.
30 अप्रैल 2011
त्रिपोली में गद्दाफी के घर पर नाटो का हमला. हमले में गद्दाफी के छोटे बेटे और तीन पोते को मार गिराया गया.
19 मार्च 2011
बेंगाजी में गद्दाफी की एयरफोर्स पर निशाना साधा गया जिससे गद्दाफी को कमजोर किया जा सकता था.
17 मार्च 2011
यूएन सिक्योरिटी कांउंसिल द्वारा लीबिया को नो फ्लाईजोन घोषित कर दिया गया और ये थी गद्दाफी के लिए अंतराष्ट्रीय चुनौती.
24 फरवरी 2011
सरकार विरोधी सेना ने मिसराता के सेंट्रल कोस्ट पर कब्जा कर लिया.
15 फरवरी 2011
ये वो दिन था जब 4 दशक तक लीबिया पर एक छत्र राज करने के वाले गद्दाफी के खिलाफ बिगुल फूंक दिया गया. विद्रोह की पहली चिनगारी उठी बेनगाजी से.
लीबिया के सिर्ते यानी कर्नल गद्दाफी का गृह शहर जहां लोग हवा में बंदूक लहराकर लोग जश्न मना रहे हैं, गोलियां दागी जा रही हैं.
इस क्रांति की शुरुआत हुई एक मानवाधिकार कार्यकर्ता की गिरफ्तारी के बाद.
नौ महीने के लंबे संघर्ष के बाद आखिरकार लीबिया के लोगों को उस तानाशाह से मुक्ति मिल गई जिसे लेकर लीबिया की जनता सड़को पर उतरी थी.
विरोध और विद्रोह के बाद एक लंबी लड़ाई और फिर 42 साल तक तानाशाही करने वाले लीबिया के कर्नल गद्दाफी की मौत.
एक सप्ताह के खूनी जंग के बाद सिर्त में सेना का कब्जा हो गया है और मुअम्मर गद्दाफी की मौत हो गई है.
सुबह ही विद्रोहियों ने सिर्त को खाली कर देने का ऐलान कर दिया था और आखिरकार सिर्त में विद्रोही सेना ने कब्जा कर लिया है.
विद्रोही सेना ने गद्दाफी का झंडा उखाड़ फेंका है.
41 साल की तानाशाही खत्म होने के बाद लीबिया के सिर्त शहर में जश्न का माहोल है.
हालांकि, गद्दाफी के वफादारों ने विद्रोहिय़ों का सामना करने की पूरी कोशिश की, लेकिन कुछ घंटे की गोलीबारी के बाद गद्दाफी और वफादारों के पांव उखड़ गए.
खबरों के मुताबिक, एक गली से दूसरी गली. छिप-छिप कर जमकर हुई गोलीबारी.
हमले के बाद गद्दाफी और उसके वफादार गलियों में छिप गए और इसके बाद विद्रोहियों के साथ शुरू हो गई भारी गोलीबारी.
गद्दाफी की तानाशाही के खिलाफ आठ महीने से जंग लड़ रहे विद्रोहियों के लिए ये सबसे बड़ा दिन था.
हालांकि, पहले यही खबर आई थी कि गोलीबारी में जख्मी गद्दाफी को विद्रोहियों ने पकड़ लिया है और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है.
ये जश्न है तानाशाह गद्दाफी के मारे जाने. न्यूज चैनल अल-जजीरा का दावा है कि सिर्ते में विद्रोहियों के हाथों कर्नल गद्दाफी की मौत हो चुकी है.
हालांकि, अल-जजीरा के बाद लीबिया के सूचना मंत्री ने गद्दाफी के मारे जाने की पुष्टि कर दी है, लेकिन अमेरिका ने अब तक इसकी पुष्टि नहीं की है.
पिछले दो महीने से नाटो फौज और विद्रोही गद्दाफी की तलाश कर रहे थे. आज उन्हें इसमें कामयाबी मिल गई.
बेशक, गद्दाफी त्रिपोली छोड़ने में कामयाब रहा लेकिन लीबिया से नहीं भाग पाया और त्रिपोली छोड़ने के दो महीने के बाद अपने ही गृहशहर में विद्रोहियों के हाथों मारा गया.
विद्रोहियों के हमले के बाद गद्दाफी को त्रिपोली छोड़कर भागना पड़ा था.
1969 को लीबिया की गद्दी पर बैठे गद्दाफी के खिलाफ इसी साल फरवरी में विद्रोहियों ने सशस्त्र मोर्चा खोला था. इस लड़ाई में विद्रोहियों को सबसे बड़ी कामयाबी मिली अगस्त में, जहां उन्होंने राजधानी त्रिपोली पर कब्जा कर लिया.
ऐसी खबरें भी आ रही हैं कि सिर्ते से गद्दाफी का काफिला जब गुजर रहा था, तो पहले उस पर नाटो के विमानों ने हमला बोला और फिर जब गद्दाफी गलियों में छिप गया तो विद्रोहियों के साथ भारी गोली बारी में मारा गया.
हालांकि, गद्दाफी के वफादारों ने विद्रोहिय़ों का सामना करने की पूरी कोशिश की, लेकिन कुछ घंटे की गोलीबारी के बाद गद्दाफी और वफादारों के पांव उखड़ गए.
खबरों के मुताबिक हमले के बाद गद्दाफी और उसके वफादार गलियों में छिप गए थे और इसके बाद विद्रोहियों के साथ शुरू हो गई भारी गोलीबारी.
गद्दाफी की तानाशाही के खिलाफ आठ महीने से जंग लड़ रहे विद्रोहियों ने गद्दाफी के ठिकाने पर धावा बोला था.
गद्दाफी के मारे जाने पर लीबिया में जश्न मनाया जा रहा है. विद्रोही हवा में बंदूक लहराकर, हवा में गोलियां दागकर जश्न मना रहे हैं.
इसी के साथ लीबिया में 42 साल की तानाशाही का खात्मा हो गया.
दुनिया का सबसे क्रूर तानाशाह कर्नल गद्दाफी मारा गया. अपने ही शहर सिर्ते में विद्रोहियों के हाथों कर्नल गद्दाफी मारा गया.