उनके मन में ग्लैमर वाली दुनिया छोड़कर ऐसी शांत जगह पर बसने और काम करने का खयाल कैसे और कब आया, इसकी कहानी भी दिलचस्प है. सर्वदमन बनर्जी बताते हैं कि ग्लैमर वाली दुनिया में ग्लैमर है ही नहीं, वो तो देखने वालों के लिए है. उसमें काम करने वालों के लिए कोई ग्लैमर नहीं, हमाई आंखें खराब हो गईं कृष्णा की शूटिंग में तेज रोशनी में काम करते हुए.
उन्होंने कहा कि उनके अंदर आध्यात्मिक एनर्जी बचपन से ही जोर मार रही थी. पांच साल के थे तो बोलते नहीं थे, लोग सोचते थे कि लड़का गूंगा है. फिर पढ़ाई लिखाई करके एक्टिंग में आए और ये श्री कृष्णा वाला प्रोजेक्ट चल रहा था तभी उनका मन इस सबसे हट गया. रामानंद सागर से हाथ जोड़ लिए कि हमें माफ कर दो, ये हमारा लास्ट प्रोजेक्ट है.