फिल्मी जगत में सुरेखा सीकरी किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं. उन्होंने अपने काम के बलबूते सभी के दिल में एक ऐसी जगह बनाई है कि अब हर कोई उन्हें एक लैजेंड के रूप में देखता है.
सुलेखा सीकरी वैसे तो पिछले 40 सालों से फिल्म और टीवी की दुनिया में सक्रिय हैं, लेकिन उन्होंने तहलका तब मचाया जब उन्हें फिल्म बधाई हो के लिए तीसरी बार नेशनल अवॉर्ड मिला.
कई सालों तक सीरियल बालिका वधू में दादी सा का रोल प्ले कर सुरेखा सीकरी ने खूब नाम कमया था. शो में उनके रोल को कई अवॉर्ड भी मिले.
बालिका वधू में सुरेखा की अविका गौर संग जोड़ी खूब पसंद की जाती थी. अब क्योंकि कई सालों तक दोनों ने साथ काम किया, इसलिए उनकी बॉन्डिंग भी खासा मजबूत थी.
लेकिन सुरेखा सीकरी बालिका वधू करने के बाद रुकी नहीं. उन्होंने अच्छे काम की तलाश जारी रखी. इसी वजह से उन्हें फिल्म बधाई हो करने का मौका मिला.
बधाई हो में भी वैसे तो सुरेखा एक दादी के रोल में ही थीं, लेकिन ये किरदार एकदम अलग था. इस किरदार की कहानी, उसका बोलने का लहजा से लेकर सबकुछ दर्शकों के दिल को छू गया था.
आपको जानकर हैरानी होगी कि जो सुरेखा सीकरी आज दोनों बड़े और छोटे पर्दे पर राज कर रही हैं, एक समय ऐसा था जब वे पत्रकार बनना चाहती थीं. जी हां, वे पढ़ने में खासा अच्छी थीं, इसलिए बड़े होकर पत्रकार बनना चाहती थीं.
लेकिन किस्मत को कुछ और मंजूर था. सुरेखा की जिंदगी किताबों से निकल थिएटर की दुनिया में जा मिली. फिर क्या था, सुरेखा ने कई सालों तक थिएटर में काम किया.
इसके बाद तो सुरेखा सीकरी ने कभी पीछे मुंड़कर नहीं देखा. सुरेखा ने 1988 में रिलीज हुई फिल्म तमस के लिए सपोर्टिंग एक्टर में नेशनल अवॉर्ड जीता था. वहीं साल 1995 में भी उन्होंने फिल्म Mammo के लिए नेशनल अवॉर्ड अपने नाम किया. इसके बाद सुरेखा को 23 साल के लंबे इंतजार के बाद फिर बधाई हो के लिए नेशनल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया.
फिल्मों के अलावा उन्हें 'सांझा चूल्हा', 'सात फेरे : सलोनी का सफर' और 'बालिका वधू' जैसे टीवी सीरियल्स के लिए भी जाना जाता है.