बॉक्स ऑफिस पर तालियों और सीटियों के बाद नेशनल अवॉर्ड ही तो है, जिसकी भूख हर बॉलीवुड स्टार में है. पिछले कुछ सालों में ऐसी तमाम अभिनेत्रियां सामने आईं हैं, जिन्होंने अकेले अपने
दम पर फिल्म में जान डाल दी. कहने को तो इस अवॉर्ड की नींव 1953 में ही रख दी गई थी, लेकिन 1967 से इसे अभिनेत्रियों को दिया जाने लगा. 1967 में फिल्म 'रात और दिन' के लिए नर्गिस दत्त
को 'नेशनल अवॉर्ड फॉर बेस्ट एक्ट्रेस' के खिताब से नवाजा गया. उसके बाद से हिंदी, बंगाली, तमिल, तेलुगू, अंग्रेजी और कन्नड़ आदि भाषाओं में कुल 50 अभिनेत्रियों को नेशनल अवॉर्ड दिए जा
चुके हैं. पेश है नेशनल अवॉर्ड पाने वाली कुछ खास अभिनेत्रियों की एक झलक:
प्रियंका चोपड़ा
2008 में आई फिल्म 'फैशन' से पिग्गी चॉप्स ने हिंदी सिनेमा में एक्ट्रेस को एक नई पहचान दी. अपनी उम्दा अदाकारी के लिए उन्होंने यह अवॉर्ड भी हासिल किया.
कंगना रनोट
नेशनल अवॉर्ड पाने वाली इस लिस्ट में लेटेस्ट एंट्री है कंगना की. फिल्म 'क्वीन' से इंडस्ट्री में एक नई पहचान बनाने वाली कंगना को यह अवॉर्ड दिया गया. इससे पहले फिल्म फैशन के लिए भी कंगना नेशनल अवॉर्ड जीत चुकी हैं. और एक बार फिर कंगना को इस साल 63 वें नेशनल अवॉर्ड के मौके पर उनकी पिछले साल रिलीज हुई
फिल्म 'तनु वेड्स मनु रिटर्न्स' के लिए बेस्ट एक्ट्रेस के लिए नेशन अवॉर्ड से
नवाजा गया.
शबाना आजमी
अगर सबसे ज्यादा नेशनल अवॉर्ड बटोरने की बात की जाए, तो लिस्ट में शबाना टॉप पर हैं. 1974 में 'अंकुर', 1982 में 'अर्थ', 1983 में 'खंडहर', 1984 में 'पार' और 1998 में
'गॉडमदर' कुल मिलाकर शबाना यह अवॉर्ड 5 बार हथिया चुकी हैं.
तब्बू
यह साइलेंट एक्ट्रेस भी किसी से कम नहीं. 1996 में 'माचिस' और 2001 में 'चांदनी बार' जैसी बेहतरीन फिल्मों के लिए तब्बू को इस अवॉर्ड से नवाजा जा चुका है.
स्मिता पाटिल
इस उम्दा अदाकारा ने भी अपने समय में तमाम सुपरस्टार्स के साथ काम किया. अपने बेहतरीन एक्टिंग स्किल्स के चलते इन्हें भी 1977 में 'भूमिका' और 1980 में 'चक्र' जैसी
फिल्मों के लिए नेशनल अवॉर्ड दिया गया.
सीमा बिस्वास
सिर्फ खूबसूरत लड़की ही हिरोइन बन सकती है, इस अवधारणा को सीमा ने तोड़ा. आज तक बड़े पर्दे से लेकर छोटे पर्दे तक सीमा की एक्टिंग का कोई तोड़ नहीं है. 1995 में
उन्हें अपनी विवादित फिल्म 'बैंडिट क्वीन' के लिए नेशनल अवॉर्ड भी दिया गया.
रेखा
एक अदाकारा, जिसके जलवों के दीवाने आज भी हैं. रेखा की अदाओं और उनकी खूबसूरती का कोई मुकाबला इंडस्ट्री में नहीं रहा. 1981 में फिल्म 'उमराव जान' के लिए उन्हें दिया गया
नेशनल अवॉर्ड इस बात का सुबूत है.
किरन खेर
हिंदी फिल्म इंडस्ट्री से बाहर जाकर किसी दूसरी भाषा में फिल्म करना और उसमें नेशनल अवॉर्ड जीतना, यह वाकई काबिल-ए-तारीफ है. यह कमाल कर दिखाया था किरन
खेर ने 1999 में, जब उन्होंने बंगाली में फिल्म 'बारीवाली' की थी.
कोंकणा सेन शर्मा
हिंदी के अलावा दूसरी भाषा की फिल्म में अवॉर्ड जीतने की बात आती है, तो इस ब्लैक ब्यूटी ने भी साल 2002 में इंग्लिश फिल्म 'मिस्टर एंड मिसेज अइय्यर' के लिए नेशनल
अवॉर्ड जीता.
विद्या बालन
अकेले अपने दम पर पिक्चर सुपरहिट करा लेने की काबिलियत रखने वाली विद्या को साल 2011 में 'द डर्टी पिक्चर' के लिए नेशनल अवॉर्ड दिया गया.