राजीव गांधी का जन्म 20 अगस्त, 1944 को हुआ था. इन्दिरा गांधी के पुत्र राजीव 31 अक्टूबर 1984 से 2 दिसम्बर 1989 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे.
1980 में अपने छोटे भाई संजय गांधी की एक हवाई जहाज़ दुर्घटना में असामयिक मृत्यु के बाद माता इन्दिरा गांधी को सहयोग देने के लिए 1982 में राजीव गांधी ने राजनीति में प्रवेश किया और 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश के प्रधानमंत्री बने.
राजीव का विवाह एन्टोनिया मैनो से हुआ जो उस समय इटली की नागरिक थी. विवाहोपरान्त उनकी पत्नी ने नाम बदलकर सोनिया गांधी कर लिया. राजीव गांधी से सोनिया की शादी 1968 में हुई उसके बाद वो भारत में रहने लगीं. राजीव व सोनिया के दो बच्चे हैं. उनकी पुत्री प्रियंका वाड्रा है. जबकि पुत्र राहुल गांधी हैं जो एक लोकप्रिय सांसद और युवा नेता व भावी प्रधानमंत्री हैं.
1980 में छोटे भाई संजय गांधी की अकाल मौत ने राजीव की जिंदगी और छोटे छोटे सपनों को बदल दिया. मां इंदिरा गांधी को सहारा देने के लिए राजीव को ना चाहते हुए भी राजनीति में आना पड़ा.
राजीव कांग्रेस में शामिल होकर मां इंदिरा गांधी के सलाहकार तो बन गए, लेकिन सत्ता के मोह से दूर ही रहे.
राजीव ने भारतीय राजनीति के पन्नों पर अपनी सोच, अपने सपनों को उकेरना शुरू किया. उन्होंने जो सोचा, वो पुराने ढर्रे की राजनीति से बिल्कुल अलग था.
1984 में मां की हत्या ने राजीव की जिंदगी और छोटे छोटे सपनों को बदल दिया.
31 अक्टूबर, 1984 को इंदिरा गांधी के अंगरक्षकों ने उन्हें मार दिया.
किस्मत कब किसे ज़िंदगी के दोराहे पर खड़ा कर दे, ये कोई नहीं जानता.
इंदिरा की अंत्येष्टि के समय राजीव, सोनिया, प्रियंका और राहुल. 31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी की हत्या के बाद राजीव गांधी भी ऐसे ही दोराहे पर थे.
एक तरफ था मां की राजनीतिक विरासत संभालने का दबाव तो दूसरी तरफ था परिवार को संभालने की जिम्मेदारी.
स्वर्गीय इंदिरा गांधी की समाधी पर पुष्पांजलि अर्पित करते राजीव.
राजीव गांधी ने जब 31 अक्टूबर 1984 को प्रधानमंत्री पद की शपथ ली, तब वो भारतीय राजनीति में कोरी स्लेट की तरह थे, जिस पर सियासी दांवपेंच की आड़ी-तिरछी लकीरें नहीं थीं.
मां के गुजरने के बाद राजनीतिक विरासत संभालने का दबाव और परिवार को संभालने की जिम्मेदारी राजीव के कंधों पर आ गई.
राजीव को ना चाहते हुए भी राजनीति में आना पड़ा. सोनिया गांधी शुरु से ही राजीव के राजनीति में आने के खिलाफ थीं.
इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए चुनाव में कांग्रेस को लोकसभा में भारी बहुमत मिला.
राजीव गांधी को राजनीति में आने के सख्त खिलाफ थीं सोनिया गांधी. वे अपने दोस्तों और परिवार के साथ काफी खुश थें.
अपनी पत्नी सोनिया के साथ राजीव गांधी. सोनिया कभी नहीं चाहतीं थीं कि राजीव राजनीति में आएं. सोनिया इसी शर्त पर शादी की थीं.
एक रैली के दौरान सोनिया गांधी के साथ राजीव गांधी.
विदेशी राजनेताओं के साथ राजीव गांधी. राजीव ने कहा था, मेरा सपना है एक मजबूत, आज़ाद, आत्मनिर्भर और दुनिया के अगुवा देशों की कतार में खड़े भारत का.
राजीव ने हिन्दुस्तान के गांवों को विकास में हिस्सेदार बनाने के लिए तिहत्तरवें संविधान संशोधन के जरिए पंचायती राज व्यवस्था लागू की. ये राजीव के सपनों के भारत की बुनियाद थी.
राजीव ने पंचायती राज के जरिए एक साथ दो काम कर दिया. गांवों को अपने विकास का अधिकार और महिलाओं को एक तिहाई हिस्सेदारी.
मजबूत भारत के अपने सपने को पूरा करने के लिए राजीव ने मिसाइल और परमाणु कार्यक्रमों की रफ्तार बढ़ाने का फैसला किया.
राजीव ने गांव-गांव को टेलीफोन से जोड़ने और कंप्यूटर के जरिए महीनों का काम मिनटों में करने की बात की.
भारतीय फौज को मजबूती देने के लिए उनकी सरकार ने स्वीडन की बोफोर्स कंपनी से तोपें खरीदने का सौदा किया था, उसमें दलाली का ऐसा बवंडर मचा, जिसने राजीव गांधी के बेदाग़ राजनीतिक जीवन पर बदनामी का ग्रहण लगा दिया.
हार के बाद राजीव ने दिल्ली दरबार से बाहर निकलने का फैसला किया. वो उस हिंदुस्तान को समझने के सफर पर निकल पड़े, जिसे संवारने के लिए उन्होंने तमाम सपने देखे थे.
कांग्रेसी नेताओं के बीच राजीव गांधी एवं सोनिया गांधी.
चुनाव प्रचार के दौरान लोगों के मिलते राजीव गांधी.
विमान से उतरते अपनी पत्नी के साथ राजीव गांधी.
एक दूरदर्शी नेता की तरह राजीव गांधी ने देश की तरक्की के लिए विज्ञान और युवा को एक साथ आगे बढ़ाने की कोशिश की.
राजीव गांधी का सपना था कि गांव-गांव में टेलीफोन पहुंचे और कंप्यूटर शिक्षा का प्रचार हो.
राजीव गांधी देश की जनता के बीच पहुंचकर सही मायनों में लोक नेता बन गए.
विदेश दौरे पर राजीव गांधी. देश में तकनीक के विकास को लेकर वह काफी सजग थें. इसके लिए उन्होंने कई महत्वपूर्ण कदम भी उठाए.
अपनी मां इंदिरा गांधी पर डाक टिकट जारी किए जाने के मौके पर राजीव गांधी.
राजीव का सपना एक युवा भारत का सपना था.
पाकिस्तान की तत्कालीन प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टों के साथ राजीव गांधी.
खुशियां मनाने के लिए राजीव हरदम अपने समर्थकों के बीच होते थें.
राजीव गांधी के सपनों का भारत सैन्य शक्ति भी था. वो अमन के पैरोकार थे, लेकिन जानते थे कि शांति और अहिंसा की बातें मजबूत मुल्क को ही शोभा देती हैं.
बड़े शौक से सुन रहा था ज़माना..तुम्हीं सो गए दास्तां कहते-कहते...
राजीव ने भारत को मजबूत, महफूज़ और तरक्की की राह पर रफ्तार से दौड़ता मुल्क बनाने का सपना देखा था.
तमिलनाडु के श्रीपेरूम्बदूर में 21 मई 1991 के उस धमाके में बिखर गया इक्कीसवीं सदी के भारत का सुनहरा सपना. एलटीटीई के आत्मघाती हमले ने हिंदुस्तान का एक नेता...एक पूर्व प्रधानमंत्री या फिर सोनिया गांधी का सुहाग भर नहीं छीना था.. काल का ये क्रूर हमला तो देश की तकदीर और तरक्की पर था.