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मनोरंजन

'जब शुभालक्ष्‍मी को देखा तो लगा खुदा ने उन्‍हें मेरे लिए ही भेजा है'

'जब शुभालक्ष्‍मी को देखा तो लगा खुदा ने उन्‍हें मेरे लिए ही भेजा है'
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उस्‍ताद अमजद अली खान को 'सरोद सम्राट' के रूप में जाना जाता है. वे अपने परिवार की छठवीं पीढ़ी के सदस्‍य हैं, जो सरोद वादन कर रही है. अजमद अली खान का जन्‍म मध्‍यप्रदेश के ग्‍वालियर में 9 अक्‍टूबर, 1945 को हुआ था. उन्‍होंने सिर्फ 15 साल की उम्र में देश-विदेश में गाना शुरू कर दिया था.
'जब शुभालक्ष्‍मी को देखा तो लगा खुदा ने उन्‍हें मेरे लिए ही भेजा है'
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उन्‍होंने 1976 में भरतनाट्यम नृत्‍यांगना शुभालक्ष्मी से दूसरी शादी की थी. शुभालक्ष्‍मी से अपने प्रेम के बारे में बीबीसी को दिए इंटरव्‍यू में उन्होंने बताया था, 'वो भी एक नृत्यांगना थीं. मेरे ससुर परशुराम बरुआ का असम (शिवसागर) में चाय बागान का व्यवसाय था. कलकत्ता में जब मैने पहली बार शुभालक्ष्‍मी को नृत्य देखा तो लगा कि खुदा ने उन्हें मेरे लिए ही भेजा है. फिर हमने मिलने-जुलने की कोशिश की. प्यार का इज़हार किया और उनके माता-पिता, भाई आदि को मनाया और आखिरकार हमारा मिलन हो गया'.
'जब शुभालक्ष्‍मी को देखा तो लगा खुदा ने उन्‍हें मेरे लिए ही भेजा है'
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उस्‍ताद अमजद अली खान ने बताया कि एक बार 1966 में वे अफ़गानिस्तान गए थे, वहां उन्‍हें एक महिला बेहद आकर्षक लगी. उन्‍हें लगा था कि इसे खूबसूरत महिला कोई दूसरी नहीं है. उससे मुलाक़ात हुई और फिर दोनों की दोस्ती रही.
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'जब शुभालक्ष्‍मी को देखा तो लगा खुदा ने उन्‍हें मेरे लिए ही भेजा है'
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खान साहब उन दुर्लभ संगीतकारों में हैं, जिसने दुनिया के लगभग सभी बड़े मंचों पर अपनी प्रस्‍तुति दी है. फिर चाहे वो लंदन का रॉयल अलबर्ट हॉल हो या फ़्रैंकफ़र्ट का मोत्सार्त हॉल या सिडनी का ऑपेरा हाउस. उन्‍होंने अपने संगीत से पूरी दुनिया को मंत्रमुग्‍ध किया है.
'जब शुभालक्ष्‍मी को देखा तो लगा खुदा ने उन्‍हें मेरे लिए ही भेजा है'
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अपने परिवार में संगीत के माहौल पर अमजद कहते हैं कि उनके घर में खाना-पीना, सोचना सब कुछ संगीत के बीच ही होता था. वे परिवार में सबसे छोटे थे. उनके चाचा, चचेरे भाई सभी अच्छे कलाकार थे. वे उन्‍हें अपना गुरु मानते थे. उनके बेटे अमान और अयान अपने परिवार की सातवीं पीढ़ी का प्रति‍निधित्‍व करेंगे.
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अमजद अली खान मौजूदा शिक्षा व्‍यवस्‍था पर अधिक भरोसा नहीं रखते. बकौल अमजद अली खान, 'मैं यह नहीं समझ पाया हूं कि पढ़ाई की डिग्री इंसान को रहमदिल क्‍यों नहीं बना पाई है. इतनी नफ़रत, जलन, गुस्सा है. ये कौन सी पढ़ाई है जो इंसान को शिष्‍ट नहीं बना पाई है.
'जब शुभालक्ष्‍मी को देखा तो लगा खुदा ने उन्‍हें मेरे लिए ही भेजा है'
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खान साहब मशहूर गायि‍का बेगम अख्तर का काफी सम्‍मान करते थे. वे कहते हैं, 'जब भी मैं उनके कार्यक्रम में दर्शकों के बीच बैठा रहता था वो गाना शुरू करने से पहले मुझसे ज़रूर पूछती थीं, 'ख़ां साहब इज्‍जात है.'
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