आज विश्व टीबी दिवस है. इस मौके पर आइए बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता अमिताभ बच्चन के उस दर्द भरे अनुभव को जानें जब वे इस बीमारी से ग्रस्त हो गए थे. कैसे उन्होंने इससे लड़ाई लड़ी और खुद को टीबी मुक्त किया.
साल 2000 में अमिताभ बच्चन ने टीवी शो कौन बनेगा करोड़पति में बतौर होस्ट शुरुआत की थी. लेकिन इसी दौरान उनमें टीबी के होने की पुष्टि हुई. यह वो वक्त था जब अमिताभ बेहद दर्द में थे.
अमिताभ ने एक इंटरव्यू के दौरान अपने दर्दनाक अनुभव का खुलासा किया था. उन्होंने कहा था- 'साल 2000 में मुझमें टीबी पाया गया और फिर एक साल तक मैंने हैवी ट्रीटमेंट ली. बहुत असहज महसूस होता था. आप बैठ नहीं सकते, न लेट सकते हैं. कई बार मुझे एक दिन में 8-10 पेनकिलर्स खाकर अपना गेम शो पूरा करना होता था'.
अमिताभ ने 24 मार्च 2016 में विश्व टीबी दिवस के दिन रिचर्ड आर वर्मा (यूएस अम्बेसडर भारत के लिए) के साथ हाथ मिलाया. इनके साथ जुड़कर अमिताभ सामाजिक कार्यों और हेल्थ वर्कर्स के साथ जुड़े.
अमिताभ कहते हैं- 'मैं एक टीबी सर्वाइवर हूं और इसलिए मैंने इस बीमारी के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने की जिम्मेदारी ली.
उन्होंने यह भी कहा- 'जब लोग मुझसे पूछते हैं कि आप चिकित्सा के क्षेत्र में क्यों योगदान देते हैं, तो मैं कहता हूं कि मेरी खुद की बहुत कॉम्प्लिकेटेड मेडिकल हिस्ट्री रही है.
अमिताभ बच्चन 'कॉल टू एक्शन फॉर टीबी फ्री इंडिया' के सेंटर ब्रांड अम्बेसडर हैं. वे कहते हैं- 'यह बीमारी किसी को भी हो सकती है. अगर समय पर इसकी जांच और पुष्टि न हो तो यह जानलेवा हो सकता है. मुझे मेडिकल हेल्प और गाइडेंस मिली, इसलिए आज मैं यहां सेहतमंद बैठा हूं. टीबी की पकड़ सही समय पर हो गयी थी.'
अमिताभ बच्चन हमेशा से टीबी के प्रति लोगों को जागरूक करते आए हैं.
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