गोवा में 43वें भारतीय अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह का शुभारंभ अकेडमी पुरस्कार विजेता निर्देशक आंग ली की बहुचर्चित 3डी फिल्म 'लाइफ ऑफ पाइ' के साथ हुआ. इस अवसर पर फिल्म के सदस्य यहां कला अकेदमी में मौजूद रहे. आंग ली पहले इस समारोह में हिस्सा लेने वाली थीं, लेकिन न्यूयॉर्क में अपने किसी अंतरराष्ट्रीय काम में व्यस्त होने के कारण इसमें भाग नहीं ले सकीं.
यान मार्टल के बुकर प्राइज विजेता नोवेल 'लाइफ ऑफ पाइ' पर आधारित यह फिल्म एक युवक की कहानी है जो लगभग असाध्य बाधाओं के बावजूद समुद्र में जीवित रहता है. आंग ली ने इस उपन्यास को बड़े ही रोमांचक तरीके से फिल्म के रूप में प्रदर्शित किया है.
यह 3डी फिल्म दिल को छू जाने वाली है तथा यह दर्शकों को ऐसे आलम में ले जाएगी जो वो कभी नहीं भूल पाएंगे. इस फिल्म की मुख्य रूप से शूटिंग भारत और ताइवान में हुई है. इस फिल्म में इरफान खान, तब्बू, राफे स्पाल और जियार्ड देपारदियू ने काम किया है और सूरज शर्मा ने इस फिल्म के ज़रिए फिल्मी दुनिया में अपना पहला कदम रखा है. मीरा नायर की 'रिलक्टेंट फंडामेंटलिस्ट' समारोह के अंत में दिखाई जाएगी.
खानाबदोश समुदाय ‘गोवली’ के जीवन पर आधारित कोंकणी भाषा की फिल्म ‘दिगांत’ 43वें अंतर्राष्ट्रीय भारतीय फिल्म समारोह में गोवा की अकेली प्रविष्टि है. इस फिल्म के साथ उम्मीदें हैं कि यह दर्शकों का ध्यान सबसे ज्यादा खींच सकेगी.
यह फिल्म आईएफएफआई 2012 के भारतीय पैनोरमा खंड में दिखाई जाएगी. इस फिल्म का विषय खानाबदोश कबीलों पर आधारित है जिन्होंने जीवन में ‘स्थिरता और आजादी’ जैसी प्रचलित धारणाओं को चुनौती दी है.
इस फिल्म के निर्देशक ध्यानेश मोघे ने बताया, 'यह समुदाय प्रकृति में विश्वास रखता है. वे जंगलों में भेड़ों के झुंड के साथ इधर से उधर घूमते रहते हैं.' मोघे ने कहा, 'यह समुदाय एक पृष्ठभूमि मात्र है. यह फिल्म जिंदगी में स्थिरता और आजादी की भावना को चुनौती देने की कोशिश करती है.' उन्होंने आगे कहा कि स्थिरता के बारे में एक प्रचलित धारणा खुद का एक घर होना है.
मोघे कहते हैं, 'गडरिए कभी भी एक ही जगह पर नहीं रहते फिर भी उनमें स्थिरता है.' वह बताते हैं, 'आजादी का अर्थ हमेशा बदलता रहता है. इस फिल्म में विभिन्न किरदारों के बीच के विवाद मुख्यत: उनके मूल्यों के बीच के अंतर की वजह से हैं.' ‘दिगांत’ को इस साल मुंबई एकेडमी ऑफ मूविंग इमेजेज के ‘न्यू फेसेज’ खंड में भी शामिल किया गया था.
निर्देशक ने कहा, 'गोवा के कुछ लोगों ने इस फिल्म को मुंबई में देखा था और वे इसे लेकर बहुत भावुक थे.' मोघे को खुशी है कि बुद्धदेव दासगुप्ता, गिरीश कासरवाली और जाहनू बरूआ जैसे प्रसिद्ध फिल्मकार भारतीय पैनोरमा खंड के लिए फिल्में चुनने वाले निर्णायक मंडल का हिस्सा थे.
मोघे ने कहा, 'मुझे आईएफएफआई से उम्मीद है कि इसे ज्यादा से ज्यादा लोग देखें.' यह फिल्म गोवा-महाराष्ट्र सीमा पर स्थित सुदूरवर्ती गांव काल्ने में 26 दिनों तक फिल्माई गई. उन्हें उम्मीद है कि इस फिल्म समारोह के बाद इसे व्यवसायिक रूप से भी प्रदर्शित किया जाएगा. इस फिल्म का लेखन कोंकणी लेखक प्रसाद लोलीनकार और निर्माण संजय शेत्ये ने किया है.
43वें अंतरराष्ट्रीय भारतीय फिल्म समारोह का आरंभ मंगलवार को गोवा में हो गया. इसका उद्घाटन अभिनेता अक्षय कुमार ने किया.