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अभिषेक रे: माहौल से मिली समझ

करीब 600 जिंगल्स और टीवी सीरियल्स के गाने कंपोज करने के बाद दिल्ली के हंसराज कॉलेज का यह एमसीए पोस्ट ग्रेजुएट फिल्मों में संगीत देने उतरा.

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अभिषेक रे
अभिषेक रे

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अभिषेक रे  28 वर्ष

करीब 600 जिंगल्स और टीवी सीरियल्स के गाने कंपोज करने के बाद दिल्ली के हंसराज कॉलेज का यह एमसीए पोस्ट ग्रेजुएट फिल्मों में संगीत देने उतरा. तिग्मांशु धूलिया की जबरदस्त बैकग्राउंड म्यु.जिक वाली फिल्म हासिल के साथ उनका आगाज हुआ. फिर आहिस्ता-आहिस्ता हरिहरन, कविता कृष्णमूर्ति, उदित नारायण और अलका याग्निक सरीखे नामों ने उनके निर्देशन में गाया.

वे कहते हैं, ''ऐसे गायक आपकी धुन पर गा रहे हों तो आपके लिए चुनौती और बढ़ जाती है. ये लोग अपने खुद के स्टाइल को शामिल कर संगीत का दर्जा बढ़ाते हैं.''

वे लोग-यह शौकः संगीत निर्देशक सलिल चौधरी और राहुल देव बर्मन से वे खासे प्रभावित हैं. सितारवादक पिता का भी रोल अहम रहा. ''संगीत प्रधान माहौल वाले घर में पला-बढ़ा और धीरे-धीरे वही सब मेरा शौक बन गया.''
ताजा हिटः शागिर्द फिल्म का गाना ये साली जिंदगी संगीत, उसके बोल और कैरेक्टर के एहसास की वजह से खासा चर्चित हुआ. आइ एम कलाम और साहेब बीवी और गैंगस्टर के उनके संगीत ने खासी हलचल पैदा की.
''प्रतिभावान लोगों के साथ काम करना चुनौतीपूर्ण और कारगर होता है.''

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उन्हें लोक और आधुनिक संगीत की अच्छी समझ है.
नील माधव पांडा, आइ एम कलाम के निर्देशक

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