सुप्रसिद्ध फिल्म निर्माता और निर्देशक प्रकाश झा का मानना है कि सदी के महानायक अमिताभ बच्चन में अभी भी काम करने की वह ललक है जो आज के युवा कलाकारों में दूर-दूर तक नहीं है.
एक कार्यक्रम में भाग लेने रांची आये प्रकाश झा ने कहा, ‘सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के साथ काम करके मैंने पाया कि उनमें अभी भी काम करने की वह ललक है जो किसी भी अन्य कलाकार में दुर्लभ है.’
दामुल, मृत्युदंड, गंगाजल, अपहरण और पिछले वर्ष आई राजनीति जैसी क्रांतिकारी सामाजिक फिल्मों के निर्माता प्रकाश झा ने बिग बी को लेकर अपनी नयी फिल्म आरक्षण बनायी है. इस फिल्म में अमिताभ बच्चन का काम के प्रति समर्पण देखकर वह अचंभित हैं.
उन्होंने कहा कि उम्र के इस पड़ाव पर भी अमिताभ बच्चन के काम के प्रति इस समर्पण और अभिनय में गहराई को देखने से पता चलता है कि आखिर वह जीवन में इतने सफल क्यों हैं और लोग उन्हें महानायक क्यों मानते हैं.
फिल्म आरक्षण में अमिताभ ने प्रभाकर आनंद की भूमिका निभायी है जो एक कालेज के प्रधानाचार्य हैं.
अमिताभ के काम करने के तरीके और अभिनय के प्रति उनके समर्पण से अभिभूत प्रकाश झा ने बताया कि अमिताभ काम करते हुए कभी थकते नहीं. उन्होंने कहा, ‘अमिताभ में गजब की जिजीविषा है और शायद उनकी यही जिजीविषा उन्हें कभी थकने नहीं देती.’ झा ने कहा कि अमिताभ फिल्म के सेट पर सबसे पहले पहुंचने वाले कलाकारों में से हैं. सेट पर पहुंचने के लिए जो समय फिल्म के निर्माता, निर्देशक तय करते हैं, उससे पहले ही अमिताभ सेट पर मौजूद होते हैं. वह नये कलाकारों से कहीं अधिक तन्यमता से काम करते हैं और सभी से कुछ सीखने का प्रयास करते हैं.
उन्होंने कहा, ‘एक बार मैंने बच्चन साहब से फिल्म के सेट पर समय से पहले पहुंचने के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि वह अपने साथी कलाकारों के काम को देखेंगे और उससे अपनी भूमिका को और बेहतर करने की कोशिश करेंगे. यह कह कर वह सेट पर एक कोने में बैठ गये.’ झा ने बताया कि अमिताभ की काम की भूख पहले जैसी ही है और यही कारण है कि आरक्षण फिल्म की कहानी में उनका किरदार उन्हें पूरी तरह सूट करता है.
आरक्षण फिल्म में शिक्षा के व्यावसायीकरण को फोकस कर पूरी पटकथा लिखी गयी है और यह बताने की कोशिश की गई है कि आरक्षण के चलते देश की शिक्षा व्यवस्था कैसे महंगी हो गयी है.
प्रकाश झा ने 12 अगस्त को रिलीज होने जा रही आरक्षण फिल्म के बारे में पूछे जाने पर कहा कि यह, पूरी तरह सामाजिक सरोकारों से जुड़ी हुई है और आरक्षण से समाज में जो भेदभाव पैदा होता है, उस सामाजिक समस्या को और लोगों के दर्द को उजागर करती है . उन्होंने कहा कि जिस तरह भारतीय शिक्षा प्रणाली में कैपिटेशन फीस, डोनेशन आदि ने घर कर लिया है, उसके पीछे आरक्षण एक बड़ा कारण है. उन्होंने कहा कि मुंबई के जुहू में एक प्राइमरी स्कूल के बच्चों की फीस एक लाख रूपये महीना सुनने के बाद ही उन्हें आरक्षण फिल्म बनाने की प्रेरणा मिली.
इस फिल्म में अमिताभ के साथ सैफ अली खान, दीपिका पादुकोणे और प्रतीक बब्बर ने भी काम किया है. इससे पूर्व प्रकाश झा की सितारों से भरी पिछले वर्ष आयी बहुचर्चित फिल्म राजनीति में अजय देवगन, मनोज वाजपेयी, नसीरूद्दीन शाह, कैटरीना कैफ, अजरुन रामपाल, नाना पाटेकर और रणवीर कपूर ने काम किया था और वह फिल्म बॉक्स आफिस पर जबर्दस्त सफल रही थी.
भारतीय राजनीति में अपनी पारी के बारे में पूछे जाने पर प्रकाश झा ने कहा, ‘राजनीति से तो मैंने अब तौबा कर ली है. वर्ष 2004 और 2009 के लोकसभा चुनाव अपने गृह नगर बिहार के पश्चिमी चम्पारण से लड़ने के बाद अब मैंने फैसला किया है कि फिर कभी चुनाव नहीं लडूंगा.
झा ने कहा, ‘भारतीय राजनीति की हमें कोई समझ नहीं है. अब कभी मैं चुनाव नहीं लडू़गा. संसद में सांसद के तौर पर पहुंचना चाहता था ताकि देश में व्याप्त समस्याओं को उठा सकूं. बिहार के पिछड़े इलाकों के लिए कुछ कर सकूं. लेकिन अब मुझे समझ में आ गया है कि मैं अपने उद्देश्य को फिल्म के माध्यम से ही बेहतर ढंग से हासिल कर सकता हूं.’ 69 वर्षीय प्रकाश झा को 1984 में सिर्फ 32 वर्ष की उम्र में दामुल फिल्म के लिए सर्वेश्रेष्ठ फिल्म का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार हासिल हो चुका है. यह फिल्म बिहार में बंधुआ मजदूरी की समस्या पर बनायी गयी थी.
इसके अलावा उन्हें गंगाजल और अपहरण जैसी समसामयिक विषयों पर बनी फिल्मों के लिए भी राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार प्राप्त हो चुके हैं.
अपनी नयी फिल्म आरक्षण की खूबियों की चर्चा करते हुए प्रकाश झा ने कहा कि इसका संगीत सोनी म्यूजिक ने जारी किया है और इसमें पद्म भूषण पंडित छन्नूलाल मिश्र ने श्रेया घोषाल के साथ एक दो गाना गाया है.
इसके अलावा मौका, सीधे प्वाइंट पे, सांस अल्बेली और रोशनी जैसे चार अन्य दिलचस्प गाने इस फिल्म में हैं. फिल्म में गांधी जी का भजन ‘‘वैष्णव जन तो तेणे कहिये जे पीर पराई ..’’ भी बड़ी खूबसूरती से फिल्माया गया है.